तेरे पूरे खत में आधी बातें

कुछ जागी कुछ सोई रातें

कुछ चूडि़यों की खनक लिए

कुछ टूटी चूडि़यों की वो यादें

रुनझुन पायलिया के बोल

कुछ टूटे झुमके की सौगातें

बहकीबहकी वो मादक सांसें

वो नाजुक करधन में उलझी बातें

याद बहुत आती हैं हम को

आधी उजली काली रातें.

                               – धीरेंद्र कुमार दुबे

 

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