तेरे पूरे खत में आधी बातें

कुछ जागी कुछ सोई रातें

कुछ चूडि़यों की खनक लिए

कुछ टूटी चूडि़यों की वो यादें

रुनझुन पायलिया के बोल

कुछ टूटे झुमके की सौगातें

बहकीबहकी वो मादक सांसें

वो नाजुक करधन में उलझी बातें

याद बहुत आती हैं हम को

आधी उजली काली रातें.

                               - धीरेंद्र कुमार दुबे

 

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...