पिछले साल सितंबर महीने की बात है. एक शख्स राजस्थान पुलिस के स्पैशल औपरेशन ग्रुप यानी एसओजी के थाने में पहुंचा. आंखों पर चश्मा लगाए अच्छी कदकाठी के उस व्यक्ति ने बताया कि उस का नाम संदीप घोष है और वह अजमेर का रहने वाला है. वह पश्चिम बंगाल की पिनकौन स्पिरिट समूह की कंपनी में काम करता है. पिनकौन समूह की कंपनियां विभिन्न योजनाओं में लोगों से निवेश कराती हैं.
संदीप घोष ने बताया कि अब यह कंपनी लोगों से ली गई रकम वापस नहीं लौटा रही है. इस संबंध में उस ने कई बार कंपनी के टौप मैनेजमेंट और चेयरमैन तक बात पहुंचाने की कोशिश की लेकिन उसे हर जगह से नेगेटिव रिस्पौंस मिला.
संदीप घोष ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि पिनकौन कंपनी की विभिन्न योजनाओं में हजारों गरीबों ने अपनी खूनपसीने की कमाई निवेश की है. तमाम लोगों ने उस के भरोसे पर कंपनी में पैसा लगाया है. अब वे पैसा मांग रहे हैं तो कंपनी उन निवेशकों का पैसा नहीं लौटा रही है. आशंका है कि इस कंपनी ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की है.
एसओजी के अधिकारियों ने संदीप से पूछा कि धोखाधड़ी कैसे की गई तो उस ने बताया कि कंपनी ने लोगों को 4 साल में रकम दोगुनी करने और 14 फीसदी तक ब्याज देने का वादा किया था. पिनकौन ग्रुप की कंपनियां राजस्थान में करीब 7 साल से चल रही हैं. अच्छे मुनाफे के लालच में पूरे राजस्थान के हजारों लोगों ने हमारी कंपनियों में पैसा निवेश किया है. यह रकम सैकड़ों करोड़ रुपए बनती है.
संदीप घोष ने बताया कि वह भी 14 फीसदी ब्याज के लालच में आ गया और उस ने अपने खुद के और अपनी जानपहचान वालों के 76 लाख रुपए पिनकौन ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवा दिए. पहले तो कुछ लोगों को पैसा वापस मिल गया था, कुछ निवेशकों को ब्याज की राशि भी मिली थी, लेकिन अब कई महीनों से ब्याज तो दूर लोगों को अपनी मूल रकम भी नहीं मिल रही है. निवेशक कंपनी के औफिसों के चक्कर लगा रहे हैं.
संदीप से आवश्यक पूछताछ के बाद एसओजी ने पिनकौन स्पिरिट कंपनी समूह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. एसओजी के एडीशनल डीजीपी उमेश मिश्रा ने आईजी दिनेश एम.एन. को इस मामले की जांच के लिए टीम गठित करने के निर्देश दिए. आईजी दिनेश एम.एन. ने संजय श्रोत्रिय के नेतृत्व में विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया.
संजय श्रोत्रिय के नेतृत्व में एसओजी की टीम ने जांच शुरू की. एसओजी के अधिकारियों ने सब से पहले पिनकौन ग्रुप की सभी कंपनियों की जानकारी जुटाई. इस के बाद इन कंपनियों के काम करने के तरीकों का पता लगाया, तब जा कर पुलिस अफसरों को फरजीवाड़े का यह मामला समझ में आया.
हालांकि इस तरह के वित्तीय फरजीवाड़े के मामलों की जांच आमतौर पर सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी या रिजर्व बैंक आदि करती है, लेकिन यह मामला सीधे निवेशकों से ठगी का था, इसलिए एसओजी ने गहराई से मामले की जांच की.
रोजाना 3 करोड़ रुपए का टैक्स दे रही थी कंपनी
जांचपड़ताल में सामने आया कि पिनकौन स्पिरिट लिमिटेड कंपनी देश की नामी कंपनी है. पश्चिम बंगाल की इस कंपनी को पीएसएल के नाम से भी जाना जाता है. यह कंपनी बौंबे स्टौक एक्सचेंज, नैशनल स्टौक एक्सचेंज व सेबी में सूचीबद्ध है. सन 1978 में इस कंपनी की स्थापना कोलकाता में हुई थी.
पिनकौन समूह की कई अन्य कंपनियां भी हैं. इन कंपनियों में एलआरएन फाइनैंस लिमिटेड, एएसके फाइनैंशियल सर्विसेज, यूनिवर्सल मल्टीस्टेट क्रैडिट कोऔपरेटिव सोसायटी, ग्रिनेज फूड प्रोडक्ट लिमिटेड, बंगाल पिनकौन हाउसिंग इंफ्रा लिमिटेड और एलआरएन यूनिवर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड शामिल हैं.
जांच में पता चला कि पिनकौन ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डाइरेक्टर मनोरंजन राय हैं. पिनकौन स्पिरिट लिमिटेड कंपनी शराब का उत्पादन करने वाली प्रमुख कंपनी है. इस कंपनी की शराब पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा सहित कई राज्यों में सप्लाई की जाती है.
यह बात भी सामने आई कि पिनकौन कंपनी सरकार को रोजाना करीब करीब 3 करोड़ रुपए का टैक्स दे रही थी. मार्च 2016 में पिनकौन ग्रुप ने अपने उत्पाद को बढ़ाने के लिए सिंगापुर की और्बिटोल सोल्यूशन कंपनी का अधिग्रहण किया था. मई, 2017 में पिनकौन कंपनी ने लंदन स्टौक एक्सचेंज में 30 मिलियन डौलर कैपेक्स के फौरन करेंसी कनवर्टबल बौंड्स जारी किए थे.
एसओजी के अधिकारियों को जब पिनकौन ग्रुप की सभी कंपनियों की जानकारी मिल गई तो यह पता लगाया गया कि राजस्थान और देश में किसकिस राज्य में पिनकौन ने अपनी कंपनी की शाखाएं खोल रखी हैं. इस में पता चला कि राजस्थान में कंपनी की 11 शाखाएं हैं.
इन में से अजमेर, जयपुर, कोटा, निवाई व चौमूं शाखाएं अजमेर रीजनल औफिस के तहत आती थीं और अलवर, भरतपुर, कामां, धौलपुर, बांदीकुई व हिंडौन की शाखाएं आगरा रीजनल औफिस के तहत. अजमेर के रीजनल औफिस में एक ही कमरे में पिनकौन ग्रुप की 6 कंपनियां चलती थीं.
इस औफिस में सभी 6 कंपनियों का लेखाजोखा भी एक ही रजिस्टर में रखा जाता था. इस के अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के प्रमुख शहरों में भी पिनकौन ग्रुप ने अपनी कंपनी की 105 शाखाएं खोल रखी थीं.
पिनकौन ग्रुप की कंपनियों की राजस्थान की सभी 11 शाखाओं को सीज कर एसओजी के अधिकारियों ने वहां से कंपनी के दस्तावेज जब्त किए. इन दस्तावेजों की जांचपड़ताल के साथसाथ कंपनी की शाखाओं में काम करने वाले कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई. पता चला कंपनी ने एकमुश्त पैसा जमा कराने पर 4 साल में रकम दोगुनी करने का वादा किया था.
इस के अलावा अन्य जमा राशियों पर 14 फीसदी तक ब्याज देने की बात थी. लोगों से निवेश के नाम पर प्रतिमाह या 4 साल के लिए एकमुश्त रकम ली जाती थी. निवेश 500 रुपए से शुरू किया जा सकता था. मोटे मुनाफे के इसी लालच में लोगों ने पिनकौन ग्रुप की कंपनियों में रकम जमा कराई थी.
3 लाख लोगों से की ठगी
एसओजी की जांच में पता चला कि लोगों में भरोसा जमाने के लिए शुरू में अजमेर स्थित एक्सिस बैंक में एक खाता खोला गया था. निवेशकों का पैसा इसी बैंक में जमा करवाया जाता था. बाद में उस रकम को पिनकौन ग्रुप के अधिकारी दूसरे खातों में स्थानांतरित करवा कर रकम निकलवा लेते थे. अजमेर के एक्सिस बैंक का खाता सन 2014 में बंद करा दिया गया था.
जांच में पता चला कि जब निवेशकों की रकम की अवधि पूरी हो जाती थी और वे अपना पैसा वापस मांगते थे तो कंपनी के कर्मचारी उन्हें निश्चित ब्याज के अलावा 2 फीसदी अतिरिक्त ब्याज देने का लालच दे कर उस राशि को पिनकौन समूह की ही दूसरी कंपनी में निवेश करवा लेते थे.
दस्तावेजों का गहन अध्ययन करने पर सामने आया कि पिनकौन ग्रुप की एलआरएन कंपनी ने निवेशकों से 31 करोड़ रुपए जमा करने के बाद केवल 7 करोड़ रुपए ही लौटाए थे. बाकी राशि ग्रुप की दूसरी कंपनियों में निवेश कर दी गई थी. इसी तरह ग्रुप की अन्य कंपनियों के नाम पर निवेशकों से लिया गया पैसा वापस नहीं लौटाया गया था.
एसओजी की जांचपड़ताल में यह स्पष्ट हो गया कि पिनकौन ग्रुप ने मोटे मुनाफे का लालच दे कर राजस्थान में करीब 25 हजार लोगों से लगभग 56 करोड़ रुपए की ठगी की थी. अनुमान लगाया गया कि पिनकौन ग्रुप की कंपनियों ने देश भर के करीब 3 लाख लोगों से ठगी की थी.
इस के बाद एसओजी के अधिकारियों ने 3 नवंबर, 2017 को पिनकौन ग्रुप के चेयरमैन मनोरंजन राय और उस के साथी निदेशक बिनय सिंह को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों कोलकाता के रहने वाले थे. दोनों से पूछताछ के बाद कंपनी के अधिकारी बेंगलुरु निवासी एकाउंट्स हैड रघु शेट्टी और आगरा के रहने वाले निदेशक हरि सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
चारों आरोपियों को एसओजी ट्रांजिट रिमांड पर जयपुर ले आई. उन्हें जयपुर न्यायालय में पेश कर के रिमांड पर लिया गया. इन लोगों से पूछताछ में पता चला कि ये लोग निवेशकों से पिनकौन गु्रप की 6 फरजी कंपनियों में प्राइवेट प्लेसमेंट के तहत डिबेंचर इश्यू कर के निवेश करवाते थे. निवेशकों के डिबेंचर्स का भुगतान कभी नहीं किया गया था. एक कंपनी के डिबेंचर परिपक्व होने पर उस में वर्चुअल रोकड़ भुगतान दिखा दिया जाता था और दूसरी कंपनी में वर्चुअल रोकड़ प्राप्ति दिखा कर नए डिबेंचर का निर्गमन दिखा कर पुन: निवेश करा दिया जाता था.
पिनकौन ग्रुप की कंपनी एलआरएन फाइनैंस लिमिटेड, एएसके फाइनैंशियल सर्विसेज, ग्रिनेज फूड प्रोडक्ट लिमिटेड, बंगाल पिनकौन हाउसिंग इंफ्रा लिमिटेड द्वारा अपने परिपक्व दावों के करीब 39 करोड़ रुपए को अवैध तरीके से वर्चुअल भुगतान दिखा कर एलआरएन यूनिवर्स प्रोड्यूसर कंपनी में वर्चुअल आधार पर प्राप्ति दिखा कर पुन: निवेश किया गया.
पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि पिनकौन ग्रुप ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद भी अपनी कंपनियों के जरिए पुरानी करेंसी का लेनदेन किया. इस के लिए कोलकाता में बाकायदा मीटिंग कर के नोटबंदी की अवधि में विशेष योजना बना कर सभी शाखाओं को भेजी गई थी.
नोटबंदी के दौरान करीब 45 करोड़ रुपए की पुरानी करेंसी ली गई. इस करेंसी को ग्रुप के चेयरमैन मनोरंजन राय ने अपनी कंपनियों के कर्मचारियों के माध्यम से बैंक से बदलवा लिया. राजस्थान के अकेले अजमेर में 8 नवंबर से 26 नवंबर, 2016 तक करीब 22 करोड़ रुपए की पुरानी करेंसी लोगों से ली गई.
105 शाखाओं में बना रखे थे एडवाइजर
यह भी पता चला कि पिनकौन ग्रुप की ये 6 कंपनियां फरजी थीं. आरोपियों ने ये कंपनियां कागजों में बना रखी थीं. इन फरजी कंपनियों में ये लोग पहले डाइरेक्टर बन जाते थे और लोगों से निवेश कराने के बाद डाइरेक्टर पद से हट जाते थे. इस के बाद इन कंपनियों के डमी संचालक और एडवाइजर बना दिए जाते थे.
पिनकौन ग्रुप के प्रबंधन ने देश भर की सभी 105 शाखाओं में एडवाइजर बना रखे थे. इन एडवाइजरों के माध्यम से ही लोगों से पैसा निवेश कराया जाता था. निवेशकों को ठगी का अहसास न हो, इस के लिए चेयरमैन मनोरंजन राय अपने संचालकों के साथ मिल कर मोटी रकम के निवेशकों को कोलकाता घुमाता था. ऐसे निवेशकों को पिनकौन ग्रुप की शराब फैक्ट्री, गोदाम, औफिस व अन्य कारखानों का भ्रमण कराया जाता था. इन निवेशकों को 5 सितारा होटलों में पार्टी दी जाती थी.
कंपनी प्रबंधन ने लोगों से ठगी गई रकम पश्चिम बंगाल में शराब बनाने वाली कंपनी में लगाई. शराब कंपनी के उत्पादों में लगातार विस्तार होता रहा. इस के अलावा अन्य व्यापार बढ़ाया गया. चेयरमैन ने राजस्थान में भी शराब कंपनी खोलने का मन बना कर इस के लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी थी. इस के अलावा आरोपियों ने ठगी की रकम से उत्तर प्रदेश के आगरा, गोरखपुर और अन्य शहरों में करीब 50 करोड़ रुपए की प्रौपर्टी खरीदी थीं.
पिनकौन ग्रुप के चेयरमैन सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद कंपनी की ठगी के शिकार अनेक लोग जयपुर में एसओजी के आईजी दिनेश एम.एन. के पास पहुंचे. इन पीडि़तों ने आईजी को अपनी व्यथा सुनाई. पीडि़तों ने बताया कि ठगी का अहसास होने पर वे कोलकाता स्थित पिनकौन ग्रुप के मुख्यालय भी गए थे. लेकिन कंपनी के चेयरमैन ने फिर से ज्यादा मुनाफा देने का झांसा दे कर उन्हें लौटा दिया था.
कंपनी के एजेंट भी मिले एसओजी से
कंपनी के एजेंट भी पीडि़तों के साथ एसओजी से मिले. एजेंटों ने बताया कि निवेशक उन से पैसा वापस दिलाने का तगादा कर रहे हैं. पीडि़तों का एसओजी मुख्यालय जा कर अपनी ब्यथा बताने का सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा.
दूसरी ओर पिनकौन कंपनी के प्रमोटर्स पर पुलिस की काररवाई के बाद शेयर बाजार में सूचीबद्ध पिनकौन स्पिरिट लिमिटेड कंपनी का शेयर गिर गया.
कंपनी के दस्तावेजों की जांच के लिए जयपुर से एसओजी की टीम कोलकाता गई. एसओजी की एक टीम उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में कंपनी की प्रौपर्टी का पता लगाने के लिए भेजी गई. इस टीम ने कंपनी के आगरा व वाराणसी औफिस से निवेशकों का रिकौर्ड व प्रौपर्टी के कागजात जब्त किए. वहीं जयपुर में कंपनी की राजस्थान की ब्रांचों के मैनेजरों को एसओजी कार्यालय बुला कर पूछताछ की गई.
एसओजी ने रिमांड अवधि पूरी होने पर 9 नवंबर, 2017 को चारों आरोपियों को अदालत में पेश कर के फिर से 7 दिन का रिमांड मांगा. इस पर पिनकौन के चेयरमैन मनोरंजन राय के अधिवक्ता राजेश महर्षि ने तर्क दिया कि यह मामला आपराधिक नहीं है. संबंधित कंपनी रजिस्ट्रार औफ कंपनीज में पंजीकृत है. शेयर बाजार में लिस्टेड होने के कारण सेबी इस की नियामक संस्था है. ऐसे में आरोपों की जांच होनी भी है तो कंपनी अधिनियम के तहत होगी.
आरोपी बिनय सिंह के अधिवक्ता दीपक चौहान ने फिर से रिमांड मांगने का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि कंपनी के दस्तावेज पब्लिक डोमेन में हैं. अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चारों आरोपियों की रिमांड अवधि 7 दिन के लिए बढ़ा दी. बाद में 16 नवंबर, 2017 को अदालत के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में सभी को जेल भेज दिया गया.
ठगी के जाल का पता लगाने के लिए एसओजी की एक टीम इसी साल जनवरी के पहले हफ्ते कोटा पहुंची. कोटा में एक ही दिन में एसओजी अधिकारियों के समक्ष डेढ़ सौ से ज्यादा पीडि़तों ने अपनी शिकायतें दर्ज कराईं. एसओजी की जांच में पता चला कि कोटा में करीब डेढ़ हजार और राजस्थान के हाड़ौती इलाके में करीब 4 हजार लोगों से ठगी की गई थी.
कंपनी का निदेशक भी हुआ गिरफ्तार
पिनकौन ग्रुप की एलआरएन यूनिवर्स प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक दीपक पुंडीर को एसओजी ने 11 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया. पुंडीर ने रिमांड के दौरान पूछताछ में बताया कि आगरा की पीएनबी शाखा में खाता खोला गया था. उस खाते को दीपक ही औपरेट करता था. इस बैंक खाते में राजस्थान के लोगों से एकत्र राशि जमा की जाती थी. दीपक ने बताया कि बाद में कंपनी के चेयरमैन मनोरंजन राय से लेनदेन को ले कर उस का झगड़ा हो गया था. इस के बाद वह पिनकौन कंपनी से अलग हो गया था.
व्यापक जांचपड़ताल के बाद एसओजी ने 29 जनवरी, 2018 को पिनकौन घोटाले के 4 आरोपियों चेयरमैन मनोरंजन राय, निदेशक बिनय सिंह, हरि सिंह और एकाउंट्स हैड रघु शेट्टी के खिलाफ जयपुर की अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया. चारों आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 420, 406, 409, 466, 468, 471, 477ए व 201 और आईटी एक्ट की धारा 54 के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया.
एसओजी अधिकारियों ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने कंपनी कानून का उल्लंघन कर के लोगों से निवेश के नाम पर रकम ली. बाद में इस रकम को कागजी कंपनियों के खातों में डाल कर हड़प लिया. कंपनी ने डिबेंचर के नाम पर लोगों से 796 करोड़ रुपए जुटाए थे. आरोपियों ने मोटे तौर पर 500 करोड़ रुपए की देनदारी स्वीकार भी की है.
मामले के खुलासे के बाद कंपनी के सौफ्टवेयर से निवेशकों का डाटा डिलीट किया गया, जिसे संबंधित सौफ्टवेयर कंपनी के जरिए रिकवर करने का प्रयास किया जा रहा है. डाटा मिलने की स्थिति में यह आंकड़ा बढ़ सकता है. एसओजी को पिनकौन ग्रुप की 40 कंपनियां होने का पता चला. इन में से 22 कंपनियों की जानकारी ही मिल सकी.
6 हजार से ज्यादा पेज की बनी चार्जशीट
खास बात यह रही कि 796 करोड़ रुपए की ठगी की जो चार्जशीट अदालत में पेश की गई थी, वह 6249 पेज की थी. इस में सहायक दस्तावेजों के साथ कुल 37 हजार पेज लगाए गए. इतनी भारीभरकम चार्जशीट के लिए एसओजी ने विशेष अनुमति ले कर 2 लाख रुपए केवल फोटोकौपी, बाइंडिंग व फाइल संबंधी काम पर खर्च किए.
कथा लिखे जाने तक इस मामले में एसओजी राजकुमार राय, दीपांकर बासु, सिद्धार्थ राय, राणा सरकार, अरुण ठाकुर, राजीव पाल आदि आरोपियों को तलाश रही थी, जबकि न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे दीपक पुंडीर के खिलाफ जांच अभी लंबित रखी गई थी.
शिकायत दर्ज कराने वाले कंपनी के पूर्व रीजनल सेल्स मैनेजर संदीप घोष का कहना है कि वह मार्च 2012 में ग्रुप से जुड़ा था. कंपनी के चेयरमैन मनोरंजन राय और टौप मैनेजमेंट में शामिल हरि सिंह ने आगरा में उस की जौइनिंग रीजनल सेल्स मैनेजर के रूप में करवाई थी.
कोटा में इस से पहले ही कंपनी की ब्रांच खुल चुकी थी. संदीप को बाद में अजमेर की जिम्मेदारी सौंप दी गई. संदीप के अधीन अजमेर, जयपुर, कोटा, निवाई व चौमूं ब्रांच थीं.
2017 में जब संदीप को कंपनी के फ्रौड का पता चला तो उस ने चेयरमैन और टौप मैनेजमेंट से बात करने का प्रयास किया लेकिन उसे रेस्पौंस नहीं मिला. जुलाई, 2017 तक सब खुल कर बोलने लगे कि कुछ नहीं हो सकता. इस के बाद उस ने खुद आगे आ कर कंपनी के खेल का भंडाफोड़ करने की ठानी.
संदीप ने एसओजी में शिकायत की. एसओजी ने मामला दर्ज कर जांचपड़ताल के बाद कंपनी के चेयरमैन सहित 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया. एसओजी ने अपनी जांच में पिनकौन ग्रुप द्वारा 796 करोड़ रुपए की ठगी करने की बात आरोपपत्र में कही है. यह अलग बात है कि इस सब के बाद भी पीडि़तों को उन की खूनपसीने की कमाई का पैसा शायद ही वापस मिल पाएगा.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित