दुनिया की नजरों से दूर
दिल में बसाए रखा
तेरी यादों के चिरागों को
मैं ने जलाए रखा
पहली मुलाकात वो मीठी बात
भूले से नहीं भूलता दिल
मिलता तेरा साथ होती जवां रात
रौनक होती महफिल
शमां को बुझा कर प्यार से
दिल को जगमगाए रखा
इजहार ए मोहब्बत का वो पहला खत
सीने से लगा रखा
नहीं आदत करूं शिकायत
यादों से कमरा सजाए रखा
तेरी हर निशानी को सब से
आज भी छिपाए रखा
थी मजबूरी मिली जो दूरी
समय का सारा ये खेल
हुई पूरी तमन्ना अधूरी
जो हुआ हमारे दिलों का मेल
चाहतों को दिल ही दिल में
हम ने दबाए रखा
तेरी यादों को
अपने जज्बातों को दिल में पाले हुए हूं
काली रातों को
नैनों की बरसातों को संभाले हुए हूं
मिलन होगा इकदिन तुम से
दिल को समझाए रखा.
- डा. सुलक्षणा अहलावत
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