सन 1994 में अनिल कपूर, मनीषा कोइराला अभिनीत एक फिल्म आई थी ‘1942 ए लव स्टोरी.’ इस फिल्म में जावेद अख्तर का लिखा एक गाना अनिल कपूर और मनीषा कोइराला पर फिल्माया गया था,  ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे खिलता गुलाब… जैसे शायर का ख्वाब…’ इस गाने का प्रस्तुतिकरण भी बहुत खूबसूरत था और मनीषा कोइराला भी वैसी ही लग रही थीं, जैसा गाने के शब्दों में वर्णन किया गया था.

फिल्मी दुनिया में खूबसूरत हीरोइनों की कभी कमी नहीं रही. मधुबाला, माधुरी दीक्षित और हेमा मालिनी से ले कर प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और श्रद्धा कपूर तक यह सफर जारी है और आगे भी रहेगा. लेकिन पहाड़ी झरनों जैसी चंचलता, नदी की लहरों जैसी रवानगी, फूलों जैसी सुगंध के साथ बहती हवा और सुबह की बेला में चहचहाते पक्षियों की सुरीली ध्वनि में मन को जो सुकून मिलता है, कुछ ऐसी ही बात थी, मनीषा कोइराला में. मनीषा का जिक्र इसलिए, क्योंकि ऐसी ही कुछ बात कंगना रनौत में भी है. यह इत्तफाक ही है कि ये दोनों ही पहाड़ी बालाएं हैं. अगर आपने कंगना रनौत की फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’, ‘क्वीन’ और ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ देखी हैं तो आप इस बात से जरूर सहमत होंगे.

इन फिल्मों में कंगना के अभिनय में जो चंचलता, जो रवानगी थी, उसे देख कर लगता था, जैसे यह अभिनय नहीं, बल्कि सब उन के अंदर से स्वाभाविक रूप से निकल रहा हो. कंगना रनौत खूबसूरत तो हैं ही, उन में कमाल की अभिनय क्षमता भी है. चेहरे पर चंचलता के साथसाथ भोलापन भी है. इस में भी कोई दो राय नहीं कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने अपनी जगह अपने बूते पर बनाई है. हालांकि शुरुआती दौर में उन्होंने तथाकथित रूप से कुछ लोगों को गौडफादर मान कर उन का सहारा लेने की कोशिश की, लेकिन उन्हें छल के अलावा कुछ नहीं मिला.

अगर हम कंगना के कैरियर को गौर से देखें तो समझ में आ जाएगा कि कंगना को अभिनय के लिए अच्छे मौके या अच्छी फिल्में नहीं मिलीं. हालांकि उन्हें पहचाना तो तभी से जाने लगा था, जब वह प्रियंका चोपड़ा अभिनीत मधुर भंडारकर की फिल्म ‘फैशन’ में बडे़ परदे पर आई थीं. इस फिल्म में कंगना ने दिल्ली की एक मौडल गीतांजलि नागपाल के किरदार को परदे पर हूबहू उतारने की कोशिश की थी, जिस के लिए उन्होंने सिर के बाल तक मुंडवा दिए थे. जबकि उन के घुंघराले बाल बहुत सुंदर थे. इस फिल्म के लिए कंगना को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिला था.

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कंगना का कांटों भरा सफर

मौडलिंग से फिल्मों में आई कंगना के साथ सब से बड़ी परेशानी यह रही कि एक अच्छी अभिनेत्री होते हुए भी उन्हें फिल्मों में उतना और उन के स्तर का काम नहीं मिला. अलबत्ता वह विवादों में ज्यादा रहीं. इन विवादों के लिए अगर हम पूरी तरह कंगना को जिम्मेदार ठहराएं तो यह उन के साथ अन्याय होगा, क्योंकि किसी भी विवाद की जड़ में छोटी सी ही सही, कोई न कोई ऐसी वजह जरूर छिपी होती है, जो विवाद की बुनियाद बन जाती है.

23 मार्च, 1986 को जन्मी कंगना रनौत मूलत: हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के एक छोटे से कस्बे भांबला (सूरजपुर) की रहने वाली हैं. उन के मध्यमवर्गीय परिवार में उन की मां आशा रनौत, पिता अमरदीप रनौत, बड़ी बहन रंगोली और युवा भाई अक्षत हैं. उन की मां आशा स्कूल टीचर हैं और पिता अमरदीप बिजनैसमैन. बताते चलें, कंगना के परदादा आईएएस थे और दादा सांसद.

कंगना का बचपन सीधासादा, लेकिन खुशहाल बच्चों की तरह बीता. बावजूद इस के कि वह जिद्दी स्वभाव की थीं. शुरुआती पढ़ाई के बाद कंगना का एडमिशन चंडीगढ़ के डीएवी स्कूल में कराया गया, जहां उन्होंने विषय के रूप में इसलिए साइंस लिया, क्योंकि उन के मातापिता उन्हें डाक्टर बनाना चाहते थे.

उन की खुद की रुचि भी डाक्टर बनने में थी, लेकिन 12वीं में कैमिस्ट्री के यूनिट टेस्ट में वह फेल हो गईं और उन्होंने आल इंडिया प्री मैडिकल टेस्ट देने के बजाय अपना कैरियर किसी और फील्ड में बनाने की सोची.

पढ़ाई छोड़ कर कंगना रनौत मौडलिंग में कैरियर बनाने की सोच कर दिल्ली चली आईं. उस समय उन की उम्र महज 16 साल थी. हालांकि कंगना के मातापिता उन के इस फैसले से कतई सहमत नहीं थे. यहां तक कि उन्होंने कंगना को खर्चे के लिए पैसा देने से भी इनकार कर दिया था.

कंगना दिल्ली आ तो गईं, लेकिन उन की समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें. अभी वह ऊहापोह में थीं कि उन का संपर्क एलाइट मौडलिंग एजेंसी से हुआ. कंगना ने सोचा कि वह मौडलिंग में ही अपना कैरियर बनाएंगी. एजेंसी को भी उन का अंदाज और लुक्स पसंद आया. इस के बाद कंगना ने इसी एजेंसी के माध्यम से कुछ असाइनमेंट किए, लेकिन जल्दी ही इस से उन का मन ऊब गया, क्योंकि इस क्षेत्र में क्रिएटिविटी के लिए कोई खास जगह नहीं थी.

इसी के मद्देनजर कंगना का ध्यान अभिनय की ओर गया. अभिनय के लिए वह अस्मिता थिएटर ग्रुप में शामिल हो गईं, जहां डायरेक्टर अरविंद गौड़ ने उन्हें अभिनय का प्रशिक्षण दिया. उन्होंने गौड़ के थिएटर वर्कशौप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया, साथ ही कई नाटकों में बहुत अच्छा प्रदर्शन भी किया. एक नाटक की प्रस्तुति के समय एक मेल एक्टर नहीं आ पाया तो कंगना ने अपनी भूमिका के साथसाथ उस एक्टर का भी रोल प्ले किया.

लोगों ने उन के इस अभिनय की बहुत तारीफ की. नाटकों में अभिनय के लिए तारीफ तो हो रही थी, लेकिन कंगना इस से संतुष्ट नहीं थीं. यही वजह थी कि उन्होंने मुंबई जा कर फिल्मों में अभिनय की सोची.

मुंबई बनी मंजिल

इस के बाद कंगना फिल्मों में अभिनय का निर्णय ले कर सन 2004 में मुंबई आ गईं. मुंबई में उन्होंने सब से पहले आशा चंद्रा के ड्रामा स्कूल में 4 महीने का प्रशिक्षण लिया. सच्चाई यह है कि फिल्म इंडस्ट्री में कंगना के शुरू के साल बहुत ही कठिनाइयों से भरे थे. उन के सामने एक समस्या यह भी थी कि उन की इंग्लिश बहुत अच्छी नहीं थी, जबकि हिंदी फिल्में बनाने वाले और उन में काम करने वाले ज्यादातर एक्टर अंगरेजी में बातें करते हैं.

हिंदीभाषियों को वे लोग हेयदृष्टि से देखते हैं. स्थिति यह है कि हिंदी में बोले जाने वाले डायलौग भी रोमन में लिखे जाते हैं. कंगना ने जब फिल्मों के लिए ट्राई करना शुरू किया तो यह समस्या उन के सामने भी आई. लेकिन इस पहाड़ी बाला ने उस स्थिति में भी न तो खुद को कमतर समझा और न घबरा कर अपने कदम पीछे हटाए.

कई जगहों पर कंगना का मजाक उड़ाया गया, लेकिन तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. संघर्ष के इन्हीं दिनों में कंगना रनौत का संपर्क आदित्य पंचोली से हुआ. आदित्य ने उन्हें अपनी पत्नी जरीना वहाब से मिलवाया. जल्दी ही यह रिश्ता पारिवारिक बन गया. कुछ समय यह संबंध टिका भी रहा, लेकिन तभी खबरें उड़ने लगीं कि आदित्य पंचोली कंगना रनौत के प्यार में पड़ गए हैं.

ऐसी खबरें फैलीं तो मीडिया ने कंगना को भी टटोला, लेकिन कंगना ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. इस बीच कंगना को फिल्में मिलने लगी थीं. इस के पीछे कंगना की अपनी मेहनत थी या आदित्य पंचोली की मदद, कुछ कहा नहीं जा सकता. हां, इतना जरूर है कि संघर्ष के उस दौर में कंगना के अपने भी उन के साथ नहीं थे. स्थिति यह थी कि कई बार कंगना को अचार और ब्रेड खा कर काम चलाना पड़ता था.

शुरुआत फिल्मी सफर की

बहरहाल, लंबे संघर्ष के बाद कंगना को फिल्म मिली ‘वो लम्हे’. इस फिल्म के डायरेक्टर थे मोहित सूरी. कंगना इस फिल्म में लीड रोल में थीं. उन के हीरो थे शाइनी आहूजा. यह फिल्म 29 सितंबर, 2006 को रिलीज हुई. इस फिल्म के लिए कंगना को बेस्ट फीमेल डेब्यू का जी सिने अवार्ड मिला. इस के बाद कंगना को फिल्म इंडस्ट्री में काम भी मिलने लगा और उन के आर्थिक अभाव भी खत्म होने लगे.

इस के बाद कंगना की अगली फिल्म आई ‘गैंगस्टर’. भट्ट कैंप द्वारा बनाई गई इस फिल्म में कंगना के हीरो थे इमरान खान और शाइनी आहूजा. इस फिल्म के डायरेक्टर अनुराग बसु थे. दरअसल, इस फिल्म के लिए पहले चित्रांगदा सिंह को साइन किया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें रिप्लेस करना पड़ा.

28 अप्रैल, 2006 को रिलीज हुई इस फिल्म को दर्शकों का अच्छा रिस्पौंस मिला, साथ ही इस फिल्म के लिए कंगना को बेस्ट फीमेल डेब्यू का फिल्मफेयर और इसी श्रेणी में जी सिने अवार्ड मिले. गैंगस्टर के बाद फिल्म इंडस्ट्री में कंगना की अच्छी पहचान बन गई. बाद में जब सन 2007 में कंगना की फिल्म ‘लाइफ इन ए मैट्रो’ रिलीज हुई तो उन की राह के रोड़े खुदबखुद हटने लगे.

यह एक बेहतरीन फिल्म थी, जिस की सराहना भी हुई और दर्शकों ने फिल्म और कंगना के अभिनय दोनों को ही खूब पसंद किया. कंगना के लिए सब से खुशी की बात यह थी कि इस फिल्म की रिलीज के बाद उन के अपने परिवार से रिश्ते सामान्य हो गए.

सन 2008 में कंगना की मधुर भंडारकर निर्मित फिल्म ‘फैशन’ रिलीज हुई, जिस में मुख्य भूमिका प्रियंका चोपड़ा की थी. इस फिल्म के लिए कंगना को बेहतरीन अभिनेत्री के लिए नैशनल अवार्ड मिला. सन 2009 में कंगना की फिल्म ‘राज: द मिस्ट्री कंटीन्यूज’ आई, जिस में उन के हीरो थे इमरान हाशमी.

इस फिल्म में शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन की भी भूमिका थी. 23 जनवरी, 2009 को रिलीज हुई भट्ट कैंप की इस फिल्म को डायरेक्ट किया था मोहित सूरी ने. यहीं से अध्ययन सुमन और कंगना रनौत की नजदीकियां बढ़ी थीं, जो अध्ययन सुमन की असफलता या किन्हीं अन्य कारणों से वक्त के साथ खत्म हो गईं.

2010 में कंगना और रितिक रोशन की फिल्म आई ‘काइट्स’. इस फिल्म के निर्मातानिर्देशक थे रितिक के पिता राकेश रोशन. इस फिल्म में विदेशी एक्ट्रेस बारबरा मोरी भी थीं. उस समय बारबरा मोरी और रितिक रोशन के निकट संबंधों को ले कर तमाम खबरें भी आई थीं. यहां तक कहा गया था कि इन दोनों की नजदीकियों की वजह से रितिक रोशन और सुजैन खान के रिश्तों में दरार आ गई है, यह बात काफी हद तक ठीक भी थी, लेकिन बकौल कंगना रनौत रितिक रोशन की नजदीकियां उन से थीं, न कि बारबरा से.

रितिक की जिंदगी में कंगना की दस्तक

बहरहाल, जो भी रहा हो, रितिक कंगना और बारबरा मोरी की यह फिल्म सुपरफ्लौप रही थी. हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि इस फिल्म के बाद रितिक और सुजैन के रिश्तों में लगातार कड़वाहट आती गई, जिस का नतीजा यह निकला कि 17 साल साथ रहने वाले रितिक और सुजैन ने आपसी सहमति से 13 दिसंबर, 2013 को तलाक ले लिया और अलग हो गए.

2010 में कंगना रनौत की फिल्में ‘नौक आउट’ और ‘नो प्रौब्लम’ आईं, लेकिन फ्लौप रहीं. अलबत्ता इसी साल अजय देवगन के साथ आई उन की फिल्म ‘वंस अपौन ए टाइम इन मुंबई’ चर्चित भी रही और सफल भी. इस फिल्म में कंगना के किरदार को काफी सराहना मिली.

2011 में कंगना रनौत को अपने संघर्ष का सब से बड़ा फल मिला फिल्म ‘तनु वेड्स मनु’  के रूप में. इस में उन के हीरो थे आर. माधवन, साथ ही जिमी शेरगिल की भी बड़ी भूमिका थी. 25 फरवरी, 2011 को रिलीज हुई आनंद एल. राय निर्देशित इस फिल्म ने कंगना रनौत को अभिनय की ऊंचाई पर बैठा दिया.

बीच में कंगना की ‘गेम’, ‘डबल धमाल’ ‘रास्कल्स’, ‘तेज’ वगैरह कई फिल्में आईं, पर इन से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ. हां, 2013 में आई उन की फिल्म ‘शूटआउट ऐट वडाला’ जरूर ठीकठाक रही. 2013 में ही राकेश रोशन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कृष-3’ आई, जिस में प्रियंका चोपड़ा के साथसाथ कंगना रनौत भी हीरोइन थीं.

यह फिल्म रही तो ठीक, लेकिन 1 नवंबर, 2013 को रिलीज हुई इस फिल्म के बाद रितिक रोशन और कंगना रनौत की नजदीकियों की खबरें काफी चर्चाओं में रहीं. बताते चलें कि इस फिल्म की रिलीज के बाद ही 13 दिसंबर, 2013 को रितिक और सुजैन का तलाक हुआ था.

लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अपने तथाकथित संबंधों को ले कर जब रितिक और कंगना रनौत के बीच ट्विटर वार छिड़ा तो सुजैन खान ने इस मामले में साथ अपने पूर्व पति रितिक रोशन का ही दिया. हालांकि खामोशी से तलाक के 2 साल बाद जब सुजैन ने पहली बार इस मुद्दे पर मुंह खोला था तो यही कहा था कि उन दोनों का रिश्ता ऐसे मोड़ पर पहुंच गया था, जहां साथ रहना संभव नहीं था.

शिखर पर कंगना

बहरहाल, सन 2014 में 7 मार्च को रिलीज हुई विकास बहल निर्देशित फिल्म ‘क्वीन’ ने कंगना रनौत को वाकई बौलीवुड की क्वीन बना दिया. इस फिल्म ने कंगना के अभिनय को इतनी ऊंचाई दी, जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. फिल्म ‘क्वीन’ ने साबित कर दिया था कि कंगना रनौत ऐसी एक्ट्रैस हैं, जो पूरी फिल्म अपने कंधों पर उठा सकती हैं.

और फिर सन 2015 में आई आनंद एल. राय निर्देशित ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ ने उन के अभिनय का जो दोहरा रंग दिखाया, कोई भी उस की तारीफ किए बिना नहीं रह सकता था. इस में कंगना की दोनों भूमिकाएं चुनौतीपूर्ण थीं और उन्होंने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि बखूबी पूरा भी किया.

इस बीच आई कंगना की फ्लौप फिल्मों की बात हम नहीं करेंगे, लेकिन इसी 15 सितंबर को रिलीज फिल्म ‘सिमरन’ का जिक्र इसलिए जरूरी है, क्योंकि कमाल न दिखा पाने के बावजूद इस फिल्म में कंगना की अद्भुत अभिनय प्रतिभा को इग्नोर नहीं किया जा सकता. दरअसल, इन दिनों बौलीवुड के निर्मातानिर्देशकों को रियल कैरेक्टर वाली फिल्में बनाने का भूत चढ़ा हुआ है. इस फिल्म में सिमरन का किरदार, जोकि कंगना ने निभाया है, भारतीय मूल की एक लड़की संदीप कौर से प्रेरित है.

दरअसल, चंडीगढ़ में जन्मी संदीप कौर जब 7 साल की थी, तभी उस का परिवार कैलिफोर्निया शिफ्ट हो गया था. 19 साल की उम्र में वह वोकेशनल नर्स बन गई. एक बार उस ने अपने जीवन भर की पूरी कमाई स्टौक एक्सचेंज में लगा दी, जिस से उसे 2 लाख डौलर का फायदा हुआ.

अपना 21वां जन्मदिन मनाने संदीप अपने कजिन के साथ लास वेगास जाती है, जहां वह कैसीनो में जुआ खेलती है और कुछ हजार डौलर जीत जाती है. इस से उसे जुए की लत लग जाती है और वह पतन की राह पर उतर जाती है.

उस पर लाखों का कर्ज चढ़ जाता है और अपराधियों के चंगुल में फंस जाती है. इस के बाद संदीप कौर पुलिस और अपराधियों से बचने के लिए एक देश से दूसरे देश भागती रहती है. ‘सिमरन’ के निर्मातानिर्देशक हंसल मेहता ने कंगना रनौत को ले कर इस विषय पर फिल्म बनाई. शायद उन्हें उम्मीद रही होगी कि यह क्वीन जैसी हिट फिल्म बनेगी.

हर चुनौती स्वीकार की कंगना ने

‘सिमरन’ में कंगना ने अपने अभिनय का तो कमाल दिखा दिया, लेकिन स्क्रिप्ट की कमियों और देशी दर्शकों द्वारा ज्यादातर विदेशी कलाकारों को पसंद न किए जाने का वह क्या कर सकती थीं? बहरहाल, अब कंगना अपनी आगामी फिल्म ‘मणिकर्णिका: द क्वीन औफ झांसी’ की तैयारी में लगी हैं, जिस में उन्हें रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाना है. इस के लिए उन्होंने बाकायदा घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली है और हौर्स राइडिंग से जुड़े ट्रौटिंग, कैंटरिंग और गैलौपिंग में पूरी तरह निपुण हो चुकी हैं.

कंगना के अंदर 2 खासियत हैं, एक तो वह किसी से नहीं डरतीं और दूसरे बेबाकी से सच बोलती हैं, इस से भले ही उन्हें नुकसान क्यों न हो. एक प्रसिद्ध लेखिका की किताब के विमोचन के समय कंगना रनौत ने सब के सामने खुल कर कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में उन का शारीरिक शोषण हुआ और यह सब करने वाला फिल्म इंडस्ट्री का ही आदमी था. हालांकि उन्होंने उस वक्त नाम नहीं बताया था. पर उन का इशारा आदित्य पंचोली की ओर था, जिन के खिलाफ कंगना ने पुलिस में मारपीट की रिपोर्ट भी लिखाई थी. क्या कोई दूसरी हीरोइन ईमानदारी से यह बात स्वीकार कर सकती है?

जहां तक बात किसी से न डरने की है तो कंगना साफ शब्दों में कहती हैं, ‘इतना संघर्ष करने और शोषण सहने के बाद भी मैं डरी तो जिंदगी भर डरती रहूंगी. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, मुझे फिल्म इंडस्ट्री में काम मिलना बंद हो जाएगा. कोई बात नहीं, मैं ने अपनी कमाई से मनाली में खूबसूरत घर बनाया है, वहीं रहूंगी. किताबें लिखूंगी या फिल्म डायरेक्ट करूंगी, फिर मैं क्यों डरूं?’ क्या ऐसी बात कोई दूसरी अभिनेत्री कह सकती है?

कंगना को 3 नैशनल अवार्ड मिले हैं और आधा दरजन से ज्यादा फिल्मफेयर और जी सिने अवार्ड. आज की तारीख में वह सब से ज्यादा फीस लेने वाली हीरोइन हैं. प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण से भी ज्यादा. बेशक वह फिल्म इंडस्ट्री की क्वीन हैं, लेकिन साथ ही विवादों की भी क्वीन हैं.

उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कई बड़े लोगों को निशाना बनाया है, जिसे ले कर पूरी फिल्म इंडस्ट्री में खलबली मची हुई है. उन के निशाने पर रहे आदित्य पंचोली, रितिक रोशन, उन के पिता राकेश रोशन, अध्ययन सुमन और केतन मेहता, जिन से उन का रानी लक्ष्मीबाई को ले कर विवाद हुआ.

केतन मेहता से विवाद

कंगना कहती हैं, केतन मेहता ने कहा कि मैं ने उन का रानी लक्ष्मीबाई का आइडिया चुरा लिया है. रानी लक्ष्मीबाई का नाम पब्लिक डोमेन में है. ये उन का आइडिया कैसे हो गया? हां, केतन मेरे पास लक्ष्मीबाई की स्क्रिप्ट ले कर आए थे. मैं ने उन्हें कहा कि इस से बकवास स्क्रिप्ट मैं ने जिंदगी में नहीं सुनी.

इस पर केतन बोले, ‘ये मैं ने 10 साल पहले लिखी थी. अब हम इस में कुछ बदलाव करेंगे. उन्होंने सालों तक मेरे डेट्स बरबाद किए और एक पैसा नहीं दिया.’ बाद में मैं ने दूसरी फिल्म के लिए कहा. रितिक के बारे में कंगना कहती हैं, ‘उन्होंने तलाक के बाद मुझ से शादी का वादा किया था. लेकिन क्वीन की रिलीज से पहले रितिक ने ब्रेकअप कर लिया.

मैं रातरात भर रोती थी. मुझे मेंटल और इमोशनल ट्रामा हुआ था. मेरे नाम पर घटिया वाहियात मेल रिलीज किए गए, जिन्हें आज भी लोग गूगल पर चटखारे ले कर पढ़ते हैं. लेकिन जैसे ही मेरी ‘क्वीन’ हिट हुई, रितिक ने मेरे पास आ कर कहा कि उन से बड़ी गलती हो गई. मैं ने उन से कहा कि पहले अपना मन बनाओ कि मुझ से शादी करनी है या नहीं, तब बात करेंगे.

‘करन जौहर की पार्टी में रितिक ने मुझ से कहा कि सक्सेस तुम्हारे दिमाग पर चढ़ गया है. मैं ने जवाब दिया, ‘तुम बदले हो, मैं नहीं.’ ईमेल के बारे में कंगना का कहना है कि उन के एकाउंट से रितिक ने खुद को मेल भेजे. वे मेल इकट्ठे किए, फाइल बनाई, फिर सब से अच्छा वकील हायर किया कि इस लड़की से मुझे बचाओ. रितिक को पता नहीं था कि जिस फ्लौप एक्ट्रैस को वह डेट करते थे, वह ‘क्वीन’ से स्टार बन जाएगी, ‘तनु वेड्स मनु’ से सुपरस्टार. उस की इतनी बड़ी जर्नी हो जाएगी कि उन की बात कोई सुनेगा भी नहीं.

पोल खोल कर बन गई विवादों की क्वीन

कंगना ने रितिक के पिता राकेश रोशन पर भी निशाना साधा, ‘उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि मुझे एक्सपोज करेंगे. एक साल हो गया, मैं एक्सपोज होने को तैयार बैठी हूं, पर वह कुछ नहीं कर पाए.’

कंगना लंबे समय तक अध्ययन सुमन के साथ रिलेशनशिप में रहीं. अध्ययन ने उन पर आरोप लगाया कि वह उन्हें पीटती थीं, उन पर काला जादू करती थीं. कंगना ने इस का जवाब दिया, ‘अध्ययन 95 किलो के थे और मैं 49 किलो की. मैं उन की पिटाई कैसे कर सकती थी? लेकिन अब लगता है कि मुझे उसे जरूर पीटना चाहिए था.’

आदित्य पंचोली के बारे में कंगना ने बताया कि जब वह बौलीवुड में स्ट्रगल कर रही थीं तो आदित्य पंचोली के संपर्क में आई. उन्होंने मुझे एक अपार्टमेंट ले कर दिया, लेकिन वहां मेरे दोस्तों के आने पर पाबंदी थी. एक तरह से मैं हाउस अरेस्ट थी. वह मुझे पीटते थे. मैं ने उन की पत्नी जरीना वहाब से मदद मांगी. उन से कहा, ‘मैं नाबालिग हूं. आप की बेटी से बस एक साल बड़ी. यह बात मैं अपने पैरेंट्स से शेयर नहीं कर सकती.’

उन्होंने कहा, ‘अच्छा है, वह घर नहीं आते, वरना उन का गुस्सा घर में काम करने वाले नौकरों पर निकलता या घर वालों पर.’ बहरहाल, उन्होंने मुझे बदनाम किया. फिल्म इंडस्ट्री में किसी ने मेरी हैल्प नहीं की. उन्होंने मुझे इतना परेशान किया कि अनुराग बसु की फिल्म ‘लाइफ इन ए मैट्रो’ की शूटिंग के समय मुझे 15 दिन अपने औफिस में छिपा कर रखा.

कंगना ने करन जौहर को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने करन पर भाईभतीजावाद का आरोप लगाया. हालांकि करन ने इस पर पलटवार किया. लेकिन कंगना न डरने वाली हैं और न पीछे लौटने वाली. उन्होंने दो टूक कह दिया, ‘करन जौहर होंगे बड़े फिल्ममेकर, मुझे नहीं करना उन की फिल्म में काम. उन की एक फिल्म ‘उंगली’ में काम किया था, वही नहीं चली.’

पानी में रह कर मगरमच्छ से बैर? जैसे सवाल पर कंगना कहती हैं, ‘इस का मतलब मैं डर जाऊं? पीछे हट जाऊं? नहीं यह उदाहरण ठीक नहीं रहेगा, न मेरे लिए न दूसरी लड़कियों के लिए. मैं अब इस स्टेज पर हूं कि हर मुकाबले के लिए तैयार हूं. इतने दर्द सहे, कष्ट झेले कि पत्थर बन गई हूं. अब मुझे किसी का कोई डर नहीं. जब 16 साल की उम्र में घर छोड़ते वक्त मुझे डर नहीं लगा तो अब 30 साल की उम्र में सब कुछ देखसह कर डर लगेगा? इंडस्ट्री में जो दुष्ट लोग हैं, मुझे डराते हैं, बुलिंग करते हैं, उन के सामने झुक जाना तो मौत से भी बदतर है.’

बहरहाल, कंगना ने जो बम फोड़ा है, उसे ले कर फिल्म इंडस्ट्री में ट्विटर वार जारी है. आदित्य पंचोली की ओर से उन की पत्नी जरीना वहाब मोर्चा संभाले हुए हैं तो कंगना की ओर से उन की बहन रंगोली. इस मामले में एक बात तो साफ है कि कंगना का फिल्मी सफर कांटों भरा रहा है, उन का शोषण भी हुआ. फिर भी वह शिखर तक पहुंची, यह कोई मामूली बात नहीं है. कंगना के सारे आरोपों को बेबुनियाद भी नहीं कहा जा सकता है. वैसे भी जब भविष्य का डर खत्म हो जाए तो इंसान की चिंताएं खत्म हो जाती हैं. कंगना के साथ भी ऐसा ही है.

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