न्यू ईयर आते ही हम सब से पहले अपने रैजोल्यूशंस लेते हैं कि इस साल हम अच्छे से पढ़ाई करेंगे, अच्छे मार्क्स लाएंगे, किसी का दिल नहीं दुखाएंगे, कोई गलत काम नहीं करेंगे, पेरैंट्स की हर बात मानेंगे वगैरावगैरा. लेकिन कोई भी अपनी हैल्थ को ले कर रैजोल्यूशन नहीं लेता कि हम इस साल से अपनी हैल्थ को इग्नोर नहीं करेंगे जबकि सब से अहम हैल्थ ही है, क्योंकि अगर हमारी सेहत सही नहीं होगी तो न तो हम अच्छे से पढ़ाई पर फोकस कर पाएंगे और न ही किसी और चीज में अपनी पूर्ण भागीदारी दे पाएंगे. इसलिए इस बार हैल्थ रैजोल्यूशन ले कर साल की शुरुआत करें.
आप अपनी हैल्थ का ध्यान इस प्रकार रख सकते हैं :
1 ब्रेकफास्ट छोड़ने की न करें भूल
नेहा पर पतले होने का भूत सवार था, जिस कारण उस ने ब्रेकफास्ट करना छोड़ दिया. इस के बावजूद उस के वजन पर कोई असर नहीं पड़ा बल्कि वह खुद को शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार महसूस करने लगी और एक दिन तो अधिक कमजोरी के कारण वह बेहोश हो कर गिर पड़ी.
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ऐसा सिर्फ नेहा के साथ ही नहीं बल्कि नेहा जैसे किसी अन्य किशोरकिशोरी के साथ भी हो सकता है. किशोरों को इस बात को समझना होगा कि बे्रकफास्ट स्किप करने से पतला होना तो दूर बिना ऊर्जा के आप किसी काम में ऐक्टिव भी नहीं रह पाएंगे.
कार्डिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अभी हाल ही में हुए सर्वे द्वारा इसे साबित भी किया है कि जो किशोर बे्रकफास्ट कर के स्कूल जाते हैं उन की कार्यक्षमता व परीक्षाओं में उन का प्रदर्शन बेहतर होता है और वे ज्यादा मन लगा कर सीखने की कोशिश करते हैं इसलिए किशोरों को ब्रेकफास्ट छोड़ने की भूल नहीं करनी चाहिए. हां, नाश्ते में तले हुए स्नैक्स की जगह अंकुरित अनाज जैसे स्प्राउट्स आदि लें ताकि आप को ऐनर्जी भी मिले और आप की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़े.
2 देखादेखी टिफिन ले जाना न छोड़ें
इस उम्र में फ्रैंड्स का प्रभाव ज्यादा होता है. हमें उन की हर बात सही व अपने पेरैंट्स की हर बात गलत लगती है. यहां तक कि हम उन की देखादेखी लंच लाना भी छोड़ देते हैं, भले ही हमारे पेरैंट्स हमारे लिए सुबह जल्दी उठ कर कितना ही अच्छा लंच क्यों न बनाएं, लेकिन हम तो लंच बौक्स ले जाना अपनी शान के खिलाफ समझने लगते हैं.
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हमारी यह सोच बन जाती है कि अगर हम लंच बौक्स ले कर जाएंगे तो सब हमारी हंसी उड़ाएंगे, इसलिए कैंटीन में लंच करना ज्यादा पसंद करते हैं. जबकि वे इस बात से अनजान रहते हैं कि इस से हम पौष्टिक तत्त्वों से वंचित होने के कारण बीमारियों की गिरफ्त में भी आसानी से आ जाते हैं इसलिए हमें स्कूल लंच बौक्स ले जाना नहीं छोड़ना चाहिए और जो फ्रैंड्स ऐसा करते हैं उन्हें भी टिफिन का महत्त्व बताते हुए लंच लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
3 हैल्दी फूड को बनाएं पहली पसंद
टीन्स सब्जी व दालों को देख कर नाकमुंह सिकोड़ने लगते हैं क्योंकि उन्हें फास्टफूड जो अधिक भाता है. भले ही फास्टफूड उन की पहली पसंद हो व उन का पेट भर दे, लेकिन यह उन के शारीरिक व मानसिक विकास में मददगार नहीं है.
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किशोरावस्था ही ऐसी अवस्था है जिस में उन का समग्र विकास होता है और अगर इस पीरियड में भी फालतू की चीजें खाने पर फोकस रहेगा तो विकास तो प्रभावित होगा ही, इसलिए हैल्दी चीजें खाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए.
जब कभी आप को सौफ्टड्रिंक्स की हुड़क लगे तो आप उस की जगह वैजिटेबल सूप को महत्त्व दें, जिस से प्यास मिटने के साथसाथ आप को सभी जरूरी विटामिंस भी मिल जाएंगे. ऐसा भी नहीं कि आप नूडल्स खाना ही छोड़ दें लेकिन जब कभी नूडल्स खाएं तो उस में ज्यादा से ज्यादा सब्जियां ऐड करें. उस में आप उबले अंडे के बारीक टुकड़े कर के भी डाल सकते हैं, जिस से स्वाद के साथसाथ शरीर को पौष्टिक तत्त्व भी मिल जाएंगे.
4 ऐक्सरसाइज को बनाएं रूटीन
नए गैजेट्स आने से टीन्स की लाइफ प्रभावित हुई है. वे पार्क में जा कर टहलने के बजाय हर समय अपने फोन व लैपटौप से चिपके रहते हैं. भले ही किशोर इन्हें मनोरंजन का बैस्ट साधन मानने लगे हों लेकिन इस से वे कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों का शिकार बन रहे हैं. बैठे रहने से वे मोटापे की गिरफ्त में भी आसानी से आ जाते हैं इसलिए उन्हें अपनी हैल्थ को ले कर सचेत रहना चाहिए.
भले ही किशोरों पर पढ़ाई का बोझ हो, लेकिन उन्हें रोज 20-25 मिनट ऐक्सरसाइज के लिए अवश्य निकालने चाहिए. पार्क में जा कर वौक करने से फिटनैस बनी रहती है और आप का प्रकृति से लगाव भी बढ़ता है. वहीं सुबह की ताजी हवा में सांस लेने से आप को तनाव से भी मुक्ति मिलेगी. अगर आप की पार्क जाने की इच्छा न हो तो आप जिम भी जौइन कर सकते हैं, वहां लाइट म्यूजिक के साथ आप को ज्यादा ऐक्सरसाइज करने का मन करेगा. वहां आप साइकिलिंग जैसी ऐक्सरसाइज पर ज्यादा जोर दें, क्योंकि इस से ज्यादा कैलोरी बर्न होती हैं.
5 डाइट चार्ट बनाएं
जैसे आप अपनी पढ़ाई व मनोरंजन के लिए शैड्यूल सैट करते हैं ठीक उसी तरह आप को अपना डाइट चार्ट भी बनाना चाहिए, जिस से आप को पता रहेगा कि आप को हफ्ते के सातों दिन, बे्रकफास्ट, लंच और डिनर में क्या लेना है.
ऐसा नहीं है कि आप रोज दाल व सब्जियां ही खाएं बल्कि आप चेंज के लिए कभीकभी औयली चीजें भी खा सकते हैं, लेकिन बैलेंस बरकरार रखें. ऐसा न हो कि एक दिन अगर आप ने बैलेंस्ड डाइट ली है तो अगले दिन दबादबा कर खाएं. इस से आप की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.
अगर किसी दिन आप को लगता है कि आप ने जरूरत से ज्यादा कैलोरी ले ली है तो आप उस दिन अपना ऐक्सरसाइज का टाइम थोड़ा बढ़ा दें.
6 सौफ्टड्रिंक्स को न समझें पानी का विकल्प
हमें प्यास लगी नहीं कि हम झट से सौफ्टड्रिंक्स पी लेते हैं जिस से भले ही हमारी प्यास बुझ जाती है लेकिन इस से मोटापा, शुगर जैसी गंभीर बीमारियों के आसार बढ़ जाते हैं, क्योंकि एक सिंगल कैन सोडा में 10 चम्मच चीनी होती है. इसलिए आप सौफ्टड्रिंक्स को पानी का विकल्प समझने की भूल न करें.
भले ही आप को बारबार पानी पीना पसंद न हो लेकिन फिर भी अपना टारगेट फिक्स कर लें कि रोज 3-4 लिटर पानी दवा समझ कर पीना ही है, क्योंकि इस से शरीर के जितने भी विषैले तत्त्व होते हैं वे बाहर निकल जाते हैं और साथ ही स्किन भी ग्लो करती है.
7 दही भी है हैल्दी डाइट
दही सेहत के साथसाथ स्किन को ग्लो प्रदान करने में भी मददगार है. दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया से इम्यून सिस्टम स्ट्रौंग बनता है और साथ ही इस से कोलैस्ट्रौल लैवल भी कम होता है. इसलिए दिन में एक बार के भोजन में दही जरूर शामिल करें.
8 विटामिंस के महत्त्व को समझें
किशोर अपने फ्रैंड्स की देखादेखी या फिर आदतन खाना खाने में बहुत आनाकानी करते हैं जिस से शरीर को पोषक तत्त्व नहीं मिल पाते और छोटी उम्र में ही उन्हें चश्मा लग जाता है, बाल सफेद होने लगते हैं व सिरदर्द जैसी बीमारी आ घेरती है. इसलिए किशोरावस्था में खानपान में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए व विटामिंस के महत्त्व को समझते हुए उन्हें अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.
शरीर के लिए जरूरी विटामिंस व अन्य पोषक तत्त्व निम्न हैं :
विटामिन ‘ए’ : आंखों व शारीरिक विकास के लिए विटामिन ‘ए’ बहुत जरूरी होता है. इस के लिए आप गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि अपने भोजन में शामिल करें. इस के अलावा पपीते व आम का शेक भी पी सकते हैं.
विटामिन ‘बी’ : ऊर्जा देने के साथसाथ विटामिन ‘बी’ इम्यून सिस्टम को भी सही करता है. इस के लिए आप आलू, केला, बींस, अनाज, दालें, अंडा आदि लें.
विटामिन ‘सी’ : कोशिकाओं को मजबूत बनाने के साथसाथ संक्रमण की रोकथाम और रोग से जल्दी मुक्ति पाने की शक्ति विटामिन ‘सी’ प्रदान करता है. इस के लिए आप आंवला, अमरूद, नीबू की जाति के फल, सब्जियां और अंकुरित दालें आदि ले सकते हैं.
विटामिन ‘डी’ : इस से हड्डियां मजबूत होती हैं. इस के लिए आप रोजाना थोड़ी देर धूप में बैठें. अंडा, मछली, मशरूम विटामिन ‘डी’ के अच्छे स्रोत हैं.
विटामिन ‘ई’ : शरीर में सुचारु रूप से रक्त का संचार करता है और फ्री रैडीकल्स से रक्षा हेतु भी जरूरी है. विटामिन ‘ई’ का सब से अच्छा स्रोत बादाम है.
कैल्शियम : यह दांतों और हड्डियों के लिए बहुत जरूरी है. दूध में प्रोटीन के अलावा कैल्शियम भी अधिक मात्रा में होता है. इस के अलावा योगर्ट, पनीर आदि भी लिया जा सकता है.
आयरन : यह मांसपेशियों का निर्माण करता है. इस के लिए आप मुनक्का, किशमिश, अंकुरित दालें व हरी पत्तेदार सब्जियां आदि ले सकते हैं. लड़कियों को पीरियड्स के दौरान आयरन की पूर्ति के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा लेनी चाहिए.
जिंक : इम्यून सिस्टम और ग्रोथ के लिए जिंक बहुत जरूरी है. सीफूड इस का अच्छा स्रोत है.
प्रोटीन : शरीर में ऊतकों, मांसपेशियों और रक्त जैसे महत्त्वपूर्ण द्रव्यों का निर्माण करने में प्रोटीन सहायक है. इस के मुख्य स्रोत दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ, सूखे मेवे, अंडा आदि हैं.
9 हारमोन संतुलन जरूरी
शरीर को फायदा न पहुंचाने वाला भोजन खाने से हारमोंस असंतुलित हो जाते हैं जिस से स्वभाव में चिड़चिड़ापन, नींद व भूख में कमी जैसे लक्षण देखने में आते हैं. इस के लिए आप बैलेंस्ड डाइट को प्राथमिकता दें. साथ ही हारमोंस को संतुलित करने के लिए मछली, विटामिन ‘डी’ व ज्यादा से ज्यादा व्यायाम पर जोर दें.
10 नींद पूरी लें
आज के किशोर गैजेट्स से लगाव के कारण अपनी नींद तक से समझौता करने लगे हैं, जिस से उन की कार्यक्षमता प्रभावित होने के साथसाथ सोचने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए रोजाना 6-7 घंटे की पर्याप्त नींद अवश्य लेनी चाहिए. इस दौरान अपना फोन भी अपने तकिए के नीचे नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस से नींद में बाधा उत्पन्न होती है.
इन बातों को भी न करें इग्नोर
– डेली नहाएं. सर्दियों में भी अपने रोजाना नहाने वाले रूटीन को बरकरार रखें.
– खाने से पहले व जब भी बाहर से आएं अपने हैंडवौश जरूर करें.
– फल धो कर खाएं.
– लेट कर खाना न खाएं, क्योंकि इस से गले में अटकने का खतरा रहता है व खाना सही से पचता भी नहीं.
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