परिवार नियंत्रित बिजनेस के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर है. यहां ऐसी 108 कंपनियां लिस्टेड हैं. चीन में ऐसी कंपनियों की संख्या 167 और अमेरिका में 121 है. क्रेडिट सुइस रिसर्च ने एक स्टडी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. स्टडी में करीब 1,000 परिवार नियंत्रित लिस्टेड कंपनियों का विश्लेषण किया गया है. इसके मुताबिक भारतीय कंपनियों का प्रबंधन दूसरों के मुकाबले ज्यादा परिपक्व है.
60% फैमिली बिजनेस तीसरी पीढ़ी के पास
यहां 60% फैमिली बिजनेस तीसरी पीढ़ी संभाल रही है. चीन में तीसरी पीढ़ी के मैनेजमेंट वाली सिर्फ 30% कंपनियां हैं. यहां परिवार नियंत्रित बिजनेस का मतलब ऐसी कंपनियों से है जिनमें फैमिली की शेयरहोल्डिंग या वोटिंग अधिकार कम से कम 20% हो.
भारतीय कंपनियों की सबसे बड़ी चुनौती उत्तराधिकार की प्लानिंग है. प्रतिस्पर्धा और टैलेंट बरकरार रखने को ये कंपनियां दूसरी और तीसरी बड़ी चुनौती मानती हैं. ये रेवेन्यू ग्रोथ को लेकर काफी आशान्वित हैं. चीन की कंपनियां उत्तराधिकार को समस्या नहीं मानती हैं. आश्चर्यजनक रूप से टेक्नोलौजी उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है.
सालाना बिजनेस 3,300 करोड़ रुपए से ज्यादा
स्टडी में एक और बात सामने आई कि निवेशक इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं कि कंपनी में परिवार की ओनरशिप कितनी है. उन्हें सिर्फ इस बात से मतलब है कि रोजमर्रा के बिजनेस में प्रोमोटर कितने शामिल हैं. भारत और चीन की आधी परिवार नियंत्रित कंपनियों का सालाना बिजनेस 3300 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
परिवार नियंत्रित कंपनियों के शेयरों में ज्यादा रिटर्न
रिपोर्ट के अनुसार परिवार नियंत्रित कंपनियों का वित्तीय प्रदर्शन दूसरी कंपनियों की तुलना में बेहतर है. इनके शेयर भाव में बढ़ोती भी प्रोफेशनल्स द्वारा नियंत्रित कंपनियों की तुलना में ज्यादा है. ये कंपनियां लंबी अवधि में ग्रोथ की रणनीति बनाती हैं.
भारत, चीन, इंडोनेशिया की कंपनियां ज्यादा मंहगी
शेयर प्राइस के लिहाज से चीन, भारत और इंडोनेशिया की कंपनियां सबसे महंगी हैं. इनका पीई अनुपात 15-16 है. कोरिया, हांगकांग और सिंगापुर की कंपनियों का पीई 10-13 के बीच है.
इस सूची में भारत का स्थान 22वे पायदान पर है जबकि सबसे की श्रेणी कुछ इस प्रकार है सबसे उपर है स्पेन (1.95 लाख करोड़ रुपए), नीदरलैंड् (1.94 लाख करोड़ रुपए), जापान (1.56 लाख करोड़ रुपए), स्विट्जरलैंड (1.43 लाख करोड़ रुपए), भारत (22वें स्थान पर, 42,250 करोड़ रुपए).
पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर भारतीय कंपनियां पीछे
पर्यावरण और सामाजिक मुद्दों पर भारत में सिर्फ 35% कंपनियां पौलिसी बनाती हैं, जबकि चीन में ऐसी कंपनियों की संख्या 65% है.