उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की बुकलेट में जब आगरा के ताज महल को पर्यटक स्थलों की सूची से हटाकर हाशिये पर रखा गया, तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने ताज के खिलाफ एक माहौल बनाना शुरू कर दिया. ताज महल बनाने वाले मुगल बादशाह शाहजहां और उनकी पत्नी मुमताज महल को लेकर सोशल मीडिया पर एक मुहिम चला दी गई. इस मुहिम के कुछ ही दिनों में ताज महल की ख्याति पर सवालिया निशान लगाने शुरू कर दिये.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि ‘जो लोग ताज महल को संस्कृति का हिस्सा और धरोहर नहीं मानते, वही लोग ताज महल पहुंच गये. वह लोग अगर ताज महल गये तो कोई न कोई दवाब रहा होगा.’ अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार के दबाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ताज महल जाकर वहां झाडू लगानी पड़ी.

असल में पूरा ताज महल विवाद नौकरशाही और नेताओं की अदूरदर्शिता का परिणाम है. आगरा का ताज महल विश्व स्तर पर एक धरोहर के रूप में मौजूद है. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक ताज महल ही देखने आते हैं. पर्यटन विभाग के अधिकारी और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने ताज विरोधी विचारधारा का समर्थन करने के लिये पर्यटन विभाग की बुकलेट में ताज को नजरअंदाज किया. इसके बाद से ताज विरोधी विचारधारा का समर्थन करने वालों को पूरा मौका मिल गया. ताज महल को शंकर का मंदिर बताया गया.

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और सरकार ने समय रहते इस बात का संज्ञान नहीं लिया. जिससे ताज विरोधी विचारधारा बढ़ती गई. ताज की निगरानी और सुरक्षा पर कोर्ट की भी नजर रहती है. केन्द्र सरकार को लगा कि यह विवाद कहीं उसके गले की फांस न बन जाये, क्योंकि ताज केन्द्र सरकार के आधीन है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी को आगरा के ताज महल जा कर विवाद खत्म करने की अपील करनी पड़ी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ डिप्टी सीएम डाक्टर दिनेश शर्मा और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने ताज महल जाकर वहां के वेस्ट गेट पर झाडू भी लगाई. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि ताज के निर्माण के विवाद में न फंसे. इसके संरक्षण और संर्वधन के लिये सबको आगे आना चाहिये. असल में नौकरशाही के कुछ अफसर कुर्सी पर बैठे लोगों को किसी भी तरह से खुश करना चाहते हैं. कार्यकर्ता भी बड़े पैमाने पर इस काम में लग जाते हैं. भेडचाल में उलझे यह लोग यह नहीं समझते कि यह अपने नेता के गले में ही फंदा डालते हैं. उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ाने के लिये पर्यटकों सुरक्षा देनी पड़ेगी. खासकर विदेशी पर्यटकों के साथ बदसलूकी की घटनाये बहुत होती हैं.

ताज विवाद के इसी दौर में 22 अक्टूबर को आगरा के ही पास फतेहपुरी सीकरी में स्विटजरलैंड के रहने वाली युगल पर पथराव और पिटाई की घटना हुई. मारपीट की घटना में स्विस लड़की के हाथ में फैक्चर हो गया. बुलंद दरवाजा के पास घटी घटना से विदेशी पर्यटक सदमें में आ गये, वह पुलिस के पास गये पर वहां पुलिस का रवैया देखकर केस लिखाने से इंकार कर दिया. दिल्ली जाकर अपोलो अस्पताल में अपना इलाज कराया. इस दौरान विदेश मंत्रालय के संज्ञान में मामला आया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जब इस पर ट्वीट किया तो उत्तर प्रदेश की पुलिस के प्रमुख डीजीपी सुलखान सिंह भी सक्रिय हुये. इसके बाद आगरा पुलिस ने अपनी तरफ से मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को पकड़ने का दावा किया.

स्विटजरलैंड के रहने वाले कंटम क्लार्क और उनकी महिला मित्र मैरी डेग के साथ घटी घटना से पता चल गया कि उत्तर प्रदेश की पुलिस किस तरह से काम करती है. अगर पुलिस घटना के समय ही कड़े कदम उठाती तो पर्यटकों को साहस मिलता और उनका पर्यटन से मोहभंग नहीं होता. असल में हम केवल भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान मनाने की बात तो करते हैं पर हमारे यहां के लोग विदेशी मेहमानों से सहयोग के बजाय उनके शोषण की ही बात सोचते हैं.

सबसे खराब बात यह है कि हमारे यहां के लोगों को लगता है कि यह सेक्स में खुलेपन का व्यवहार करते हैं, ऐसे में सहज सुलभ होते हैं. इस वजह से विदेशी पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार होता है. पहले भी इस तरह की घटनायें होती रही हैं. इस वजह से ही पर्यटन पुलिस तक बनाई गई, पर वह भी कागजी होकर रह गई है.

विदेशी पर्यटकों के खिलाफ अपराध करने वालों का हौंसला इसलिये भी बढ़ जाता है, क्योंकि यहां कि पुलिस उनका सहयोग नहीं करती. अपराध करने वालों को लगता है कि विदेशी शिकायत करने के बजाय डर कर भाग जायेगा. ऐसे में उसका हौसला बढ़ जाता है. स्विस युगल के साथ फतेहपुरी सीकरी में हुई घटना में यही हुआ. पूरा मामला तेजी पर तब आया जब दोनों ही देशों का विदेश मंत्रालय हरकत में आया.

ऐसे अपराधों को रोकने के लिये स्थानीय पुलिस, नागरिकों और प्रशासन को हरकत में आना पड़ेगा. भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर कुछ लोग विदेशी पर्यटकों को खराब मानते हैं. ऐसे में जब ताज महल विवाद भी शुरू हुआ, तो प्रदेश सरकार की छवि को धक्का लगा.

उत्तर प्रदेश में विरोधी दलों कांग्रेस और सपा ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि फतेहपुर की घटना से पर्यटन उद्योग को नुकसान हुआ. अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि भाजपा के राज में जिस तरह से लव जेहाद, बीफ, गौरक्षा के नाम पर लोग हावी होकर धमकाने का काम करने लगते हैं. इससे ऐसे अपराधों का मनोबल बढ़ता है. इस तरह की घटनायें लोकतंत्र के लिये गंभीर खतरा बन जाती हैं.

देश के अंदर ही नहीं देश के बाहर भी उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों की आलोचना होने लगी. चौतरफा हमले से घिरी सरकार बचाव में उतर आई. तब मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री और यहां की नौकरशाही को बैकफुट पर आना पड़ा. डैमेज कंट्रोल के लिये मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को सरकारी अफसरों सहित ताज महल पहुंच कर झाडू थामनी पड़ी. इस तरह की घटनाओं से सरकार की प्रशासनिक क्षमता का पता चलता है. सरकार को चाहिये कि ऐसे विवादों से खुद को दूर रखे जिससे उसकी बेहतर छवि बन सके.

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