अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड थैलर को चुना गया है. थैलर शिकागो में व्यवहारिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं. 2017 के लिए चुने गए इस पुरस्कार की रेस में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल थे.
अर्थशास्त्र-मनोविज्ञान के बीच की दूरी कम की
अवार्ड की घोषणा करते हुए रौयल स्वीडिश अकेडमी औफ साइंसेज ने कहा कि थैलर के योगदान ने एक व्यक्ति के फैसले लेने के मामले में आर्थिक और मनोवैज्ञानिक दूरी के बीच पुल का काम किया है. उनके काम ने अर्थशास्त्र और साइकोलाजी के बीच के दूरी को कम किया है.
इनाम के तौर पर थैलर को 90 लाख स्वीडिश क्रोनर (करीब 7.25 करोड़ रुपए) दिए जाएंगे. नोबेल ज्यूरी के मुताबिक, थैलर ने लिमिटेड रेशनैलिटी, सोशल प्रेफरेंसेज और खुद पर कंट्रोल में कमी के बीच संबंध स्थापित करने का काम किया है. उन्होंने स्थापित किया है कि ये तीनों चीजें व्यक्तिगत आर्थिक फैसलों के साथ ही बाजार के फैसलों को भी प्रभावित करती हैं.
कौन हैं रिचर्ड थैलर
थैलर यूनिवर्सिटी औफ शिकागो के बूथ स्कूल औफ बिजनेस में बिहेवियोरिल साइंस और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं. वे 2008 में आई पुस्तक ‘Nudge’ के सह-लेखक भी हैं. थैलर ने यह पुस्तक कैस आर संस्टीन के साथ लिखी थी. इसमें बताया गया था कि बिहेवियोरिल इकोनामिक्स के जरिए सोसाइटी की कई समस्याओं को हल किया जा सकता है.
1968 में शुरू हुआ अर्थशास्त्र में नोबेल
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार 1968 में शुरू हुआ. यह 1895 में अल्फ्रेड नोबेल द्वारा शुरू किए गए मूल पुरस्कारों में शामिल नहीं था.
अर्थशास्त्र के नोबेल में अमेरिका का दबदबा
अर्थशास्त्र के नोबेल में अमेरिका का दबदबा रहा है. अभी तक जितने लोगों को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला है, उनमें लगभग आधे अमेरिकी ही हैं. 2000 और 2013 के बीच तो हर साल या तो अमेरिकी जीते, या फिर उन्होंने किसी और के साथ इसे शेयर किया.
राजन भी थे रेस में
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की रेस में थे. लिस्ट तैयार करने वाली रिसर्च कंपनी क्लैरिवेट एनालिटिक्स के अनुसार, कारपोरेट फाइनेंस से जु़ड़े निर्णयों के दायरे को बढ़ाने में अनोखे योगदान के लिए राजन के नाम पर विचार किया जा रहा था.