सोनल एक दिन औफिस में एअरकंडीशंड हौल में काम कर रही थी. अचानक उसे पसीना आने लगा, चक्कर आया और वह थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गई. पिछले कुछ हफ्तों के दौरान उस ने कभीकभी चक्कर आना महसूस किया था पर इस का कारण समझ में नहीं आया. उसे लगा कि काम पूरा करने की चिंता और काम की अधिकता में ऐसा हुआ होगा. उस ने इन घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया. सप्ताहभर बाद उसे मृत पाया गया. नींद में ही उस की मौत हो गई थी. सवाल उठता है कि क्या उसे दिल का दौरा पड़ा था या फिर जानलेवा एरीथिमिया का हिस्सा था?
विशेषज्ञ कहते हैं कि कार्डियक एरीथिमिया के समय महिलाएं जो कुछ महसूस करती हैं उस की बात हो तो हमें वक्षस्थल में दर्द से आगे तक सोचने की जरूरत है. यह तथ्य कि महिलाओं का हृदय पुरुषों की तुलना में अलग है, आश्चर्य के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. सांस लेने में असुविधा, थकान, अचानक पसीना आना, चक्कर आना, धड़कन बढ़ जाना और जी मिचलाना जैसे संकेतों को हर किसी को होने वाली चीज मान कर नजरअंदाज करने के बजाय इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है. हृदय की धड़कन अनियमित होने से हर साल बड़ी संख्या में महिलाओं की मौत हो जाती है. हर साल होने वाली ऐसी घटनाओं की बढ़ती संख्या के कारण यह समझना जरूरी है कि महिलाओं में कार्डियक एरीथिमिया के लक्षण के रूप में किस चीज की तलाश की जाए. ठंड में भी अचानक पसीना आना, धड़कन बढ़ जाना, सोने में गड़बड़ी, लंबे समय तक असामान्य थकान और याददाश्त की समस्या कुछ असामान्य लक्षणों में हैं और महिलाएं आसन्न कार्डियक एरीथिमिया की शुरुआती चेतावनी के रूप में प्राप्त करती हैं.
समय के साथसाथ अपने हृदय की धड़कन पर नजर रखना आप को अपने हृदय के स्वास्थ्य की स्थिति तय करने और तदनुसार उपचार कराने में सहायता कर सकता है. एक्सटर्नल लूप रिकौर्डर यानी ईएलआर जैसे उपकरण हृदय की धड़कन को लंबे समय तक (7 से 30 दिन) स्क्रीन और रिकौर्ड करने में सहायता कर सकते हैं और इस से स्थिति का सही अनुमान लगाने में सहायता मिल सकती है. ईएलआर के बारे में : एक्सटर्नल लूप रिकौर्डर यानी ईएलआर एंबुलैटरी कार्डियक मौनिटर है और इस से कार्डियक एरीथिमिया के संदिग्ध मामलों का पता लगाने में सहायता मिलती है. इस के लिए कार्डियक एरीथिमिया के संदिग्ध मरीजों में रिमोट टैक्नोलौजी का उपयोग किया जाता है. इस सिस्टम में एक चैस्टपैच शामिल है जिसे मरीज के सीने पर पट्टी की तरह लगा दिया जाता है. यह नहाने जैसी मरीज की दैनिक गतिविधियों में किसी को भी बाधित नहीं करता है. मरीज को अपने साथ एक ट्रांसमीटर रखना होता है जो देखने में सैलफोन जैसा है. पैच इलैक्ट्रौनिक होता है जिसे इस तरह प्रोग्राम किया जाता है कि वह मरीज का ईसीजी रिकौर्ड करता है.
पैच को जब एरीथिमिया का पता चलता है तो यह एरीथिमिया की घटना का ईसीजी ट्रांसमीटर के जरिए एक निगरानी केंद्र को भेजता है. वहां प्रमाणित ईसीजी तकनीशियन रहते हैं. निगरानी केंद्र में प्रशिक्षित कार्डियक तकनीशियन ईसीजी का विश्लेषण करते हैं और निगरानी अवधि के अंत में एक व्यापक रिपोर्ट भेजते हैं. गंभीर एरीथिमिया को ‘अर्जेंट एपिसोड’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. जैसे ही ऐसी एरीथिमिया का पता चलता है, एक रिपोर्ट भेज दी जाती है. जरूरी नहीं है कि हृदय की धड़कन से संबंधित समस्या, जिस में अचानक मौत का खतरा हो, बहुत ही नाटकीय तौर पर सामने आए. कभीकभी व्यक्ति को सिर्फ चक्कर आ सकता है या धुंधला लग सकता है या यह भी संभव है कि एक क्षण के लिए सबकुछ गायब हो जाए या कुछ समय के लिए उस का संतुलन खत्म हो जाए. हृदय की धड़कन तेज हो जाना इस के साथ का लक्षण हो सकता है. हालांकि, ऐसा अगर डाक्टर की उपस्थिति में न हो तो इसे समझना और इस का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है. ईएलआर जैसा रोग निदान का नया साधन तब बेहद सहायक होता है, समस्या को सही ढंग से समझा जा सकता है और एक बहुमूल्य जान बचाई जा सकती है.
वैसे तो एकदूसरे से जुड़ी जटिल हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखना मुख्यरूप से आप के नियंत्रण में है पर हृदय की कुछ समस्याएं स्वस्थ रहने के तमाम प्रयासों के बावजूद हो सकती हैं. इसलिए हमेशा कहा जाता है कि स्थिति को नियंत्रण में रखिए और अनजानी परिस्थिति आने से रोकिए.
(लेखक फोर्टिस एस्कोर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में कार्डियोलौजी विभाग के एग्जीक्यूटिव डायरैक्टर और डीन हैं)