मैं शाम को रिकशे से घर लौट रही थी. 4 थैले कपड़े के और एक लैदरबैग ले कर रिकशे पर चढ़ने लगी. रिकशे वाले ने थैला थामते हुए कहा कि बहनजी, आप पहले रिकशे पर चढ़ जाइए, मैं तब आप को सामान पकड़ा दूंगा.

मैं ने भी उसे सभी बैग पकड़ा दिए. लेकिन उस ने एक कपड़े के झोले को कब हटा दिया, इस पर मेरा ध्यान न पड़ा. मेरे बैठने के बाद उस ने थैले मुझे थमा दिए.

जिस झोले में मेरे 12 सिले कपड़े रखे थे, घर पहुंच कर जब देखा तो वही नहीं था. घर से बाहर निकल कर काफी दूर तक मैं ने रिकशे वाले का पता लगाया लेकिन वह आंखों से ओझल हो चुका था. वह मेरा कीमती सामान ले कर चंपत हो गया था.

माया रानी श्रीवास्तव

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दोपहर में दरवाजे पर एक व्यक्ति आया. उस ने बताया कि वह धोबी है. महल्ले में नया आया है. लोगों के कपड़े धोने व इस्तिरी करने का काम करता है. उस ने मुझे विश्वास दिलाया और कहा कि चाहें तो चल कर देख लें.

उस के पास कपड़ों की कई गठरियां भी थीं. पूछने पर उस ने कहा कि ये सभी कपड़े उस ने आसपास के घरों से लिए हैं. मेरा धोबी करीब 15 दिनों से बीमार था और मुझे शादी में जाने के लिए कपड़े इस्तिरी कराने थे सो, उसे कपड़े दे दिए.

2 दिन बीत जाने पर भी वह नहीं आया तो मेरा माथा ठनका. मैं ने आसपास के घरों में पता किया तो उन लोगों ने बताया कि ऐसा तो कोई व्यक्ति उन के घर नहीं आया था.

अंजुला अग्रवाल

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हम लोग पर्यटन टूर पर केरल घूम रहे थे. हम सभी एक गार्डन में बैठे थे. करीब 35 वर्षीया महिला हमारे पास आई और मराठी भाषा में कहने लगी कि उस का पर्स, जिस में एटीएम कार्ड भी था, चोरी हो गया है.

होटल का बिल अदा न करने से होटल मालिक ने उस का सामान बाहर निकाल दिया है. उस की आंखों में आंसू थे. वह कह रही थी कि वह पुणे से यहां घूमने आई है. और यहां मराठी जानने वाला कोई नहीं है. उस ने हम से पुणे पहुंचने तक के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई.

उस की परेशानी देख कर हमारे ग्रुप के लोगों ने 8,000 रुपए जमा किए और उसे सांत्वना देते हुए कहा कि वह इस 8,000 रुपए से होटल का बिल अदा करे और पुणे का टिकट खरीदे.

उस महिला ने कहा कि वह पुणे जाते ही यह राशि हमारे बैंक खाते में जमा कर देगी. 1 वर्ष बीत गया, लेकिन अभी तक न उस महिला का फोन आया, न कोई राशि खाते में आई.

श्रीराम बनसोड

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