रामपाल सिंह जौनपुर के एक प्रगतिशील किसान हैं उन्होंने अपनी बेटी का इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कालेज में दाखिला करा दिया था. उन के पास जो पैसे थे, वे पहले साल की फीस जमा करने में चले गए. उन की योजना थी कि फीस के लिए कुछ पैसा उत्तर प्रदेश सरकार की छात्रवृत्ति योजना और कुछ खेती की पैदावार से मिल जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार से छात्रवृत्ति मिली नहीं और खेती में ओले पड़ जाने से गेहूं की फसल बरबाद हो गई. तब रामपाल ने बैंक से एजूकेशन लोन के लिए आवेदन किया. एजूकेशन लोन मिलने में देरी हो रही थी. बेटी को दूसरे साल की फीस जमा करनी थी. परेशान रामपाल सिंह को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उस ने अपनी 1 बीघा जमीन बेच दी.

रामपाल ने जो हिम्मत दिखाई वह कई लोग नहीं दिखा पाते. सब के पास बेचने लायक जमीन भी नहीं होती. सरकारों ने कागजों पर खेती और किसानी को ले कर तमाम योजनाएं बना रखी हैं. ये कागजी योजनाएं सही तरह से लागू हों तो किसानों को राहत मिले. बेशर्म सरकार बदहाल किसानों की सुध लेने को तैयार नहीं है. आंध्र प्रदेश से अलग हो कर बने तेलंगाना राज्य के करीमनगर में 15 साल के एक लड़के ने ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या से पहले लड़के ने अपने मोबाइल में वीडियो संदेश रिकार्ड किया. उस में उस ने कहा कि वह अपने स्कूल की 5 हजार रुपए फीस जमा नहीं कर पाया, नतीजतन टीचर ने उसे क्लास से बाहर खड़ा रखा. वह लड़का जानता था कि उस का परिवार 5 हजार रुपए फीस चुकाने में असमर्थ है. इसलिए उस ने आत्महत्या कर ली. खेती से जुड़े लोग और उन के परिवार पूरी तरह से बदहाली के कगार पर हैं. यही वजह है कि खेती के कामकाज करने वाली जातियां भी अपने लिए आरक्षण की मांग करने लगी हैं. महाराष्ट्र में मराठा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान में जाट और गुजराज व उत्तर प्रदेश में पटेल बिरादरी इस के लिए आंदोलन कर रही है. 

फसल बरबाद बेबस किसान

लगातार तीसरी बार फसल के बरबाद होने से किसान बदहाली की कगार पर पहुंच चुके हैं. खेती के बल पर उन्होंने जो योजनाएं बनाई थीं, वे सब धरी की धरी रह गईं. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में गेहूं की फसल जब ओलों से बरबाद हुई, तो जिस किसान ने आत्महत्या की उस के ही बेटे ने धान की फसल के सूखने पर आत्महत्या कर ली. ओले गिरने से गेहूं की फसल बरबाद हो गई थी. किसानों को उम्मीद थी कि धान की फसल ठीक होगी, जिस से उन को कुछ राहत मिल सकेगी. सितंबर बीत जाने के बाद भी ठीक तरह से पानी नहीं गिरा, जिस की वजह से धान की फसल ठीक नहीं हुई. प्रदेश में बिजली की खराब हालत और डीजल महंगा होने से पंप से सिंचाई काफी महंगी होती है, जिस से धान की खेती की लागत बढ़ जाती है. इस के अलावा पानी न गिरने से धान की फसल में कीड़े लगते हैं और धान के दानों में सही वजन नहीं होता. इस वजह से धान का भाव भी नहीं मिलता है.

सितंबर बीत जाने के बाद भी सूखे के हालात को देखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश को सूखा ग्रस्त घोषित नहीं किया है. इस से किसान परेशान हैं. किसान रामसेवक कहते हैं, ‘लगातार तीसरी फसल खराब होने से तमाम किसान बदहाल हो चुके हैं. समझ नहीं आ रहा कि हालात का सामना कैसे करें.’ सरकार ने राहत के नाम पर किसानों को नकद पैसा देने की योजना चलाई, पर उस में लेखपालों की मनमानी देखने को मिली. किसानों को सही तरह से राहत चेकों का भुगतान नहीं किया गया. गेहूं के किसानों को शुरुआत में राहत के नाम पर चेक दिए भी गए, पर बाद में यह सिलसिला बंद हो गया. रामसेवक कहते हैं, ‘सरकार मुआवजा भले ही न दे पर फसल की सही कीमत तो दे. उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का पैसा चीनी मिलें दबाए बैठी हैं. अगर वह पैसा ही इन किसानों को मिल जाए तो बहुत बड़ी राहत हो सकती है.’

संकट पूरे देश में

किसानों पर यह सकंट पूरे देश में आया है. परेशानी की बात यह है कि सभी राज्यों की सरकारें एक जैसा व्यवहार ही कर रही हैं. दक्षिण भारत के किसान भी अपनी फसल और उस की पैदावार की उचित कीमत न मिलने से परेशान हैं. कर्नाटक में जुलाई तक 180 किसानों ने आत्महत्या की. सूबे में इस पूरे दशक में इतनी तादाद में किसानों ने आत्महत्या नहीं की. महाराष्ट्र के किसान भी कपास और गन्ने की फसल बरबाद होने से तबाह हो रहे हैं. किसानों की मौतों का सिलसिला कई दशकों से चल रहा है. आत्महत्या के पीछे केवल फसल की बरबादी ही सब से बड़ी वजह नहीं होती है. कई बार किसान कर्जअदा न कर पाने के कारण भी आत्महत्या कर लेते हैं. सरकारी स्तर पर किसानों की हालत को सही तरह से देश के सामने नहीं रखा जाता है. किसानों के खेतों का आकार घटता जा रहा है. शहरीकरण और परिवार में हो रहे अलगाव से खेती की जमीन लड़ाईझगड़ों में फंस जाती है, जिस से कई बार किसान जमीन बेचने में ही भलाई समझते हैं.

खेती के क्षेत्र में बड़े बदलावों की जरूरत है. खेती के नुकसान की भरपाई के लिए बनी फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और किसान बीमा योजना जैसी योजनाओं क सही संचालन से भी किसानों को लाभ मिल सकता है. जरूरत इस बात की भी है कि तहसीलों और थानों में दर्ज किसानों की जमीनों पर होने वाले झगड़ों का जल्द निबटारा हो. कृषि विभाग कुछ इस तरह से काम करे कि किसानों को लगातार यह जानकारी मिलती रहे कि किस तरह से खेती में आई आपदा का वे मुकाबला करें. मौसम विभाग अगर सही मौसम का अनुमान लगा सके और किसान उस के अनुसार अपनी फसल की योजना बनाएं तो मौसम की मार से काफी हद तक बचा जा सकता है.

एकजुटता की कमी

किसानों की परेशानियों पर सरकारें गंभीर नहीं हैं. वे आग लगने पर कुआं खोदने वाले काम करती हैं. सूखा और ओले पड़ने पर सरकार योजनाओं की घोषणा करती है. कुछ को राहत मिलती है, कुछ को नहीं. राहत के नाम पर सरकारी नौकर पैसे की बंदरबांट करते हैं. राहत से ज्यादा जरूरी है कि किसानों के लिए दीर्घ कालीन योजनाएं बनें. भारत एक कृषि प्रधान देश है. इस के बाद भी यहां खेती के लिए गंभीरता से योजनाएं नहीं बन रही हैं. दुनिया भर के देश खेती में नए प्रयोग कर रहे हैं. घटती जमीन की कमी को पूरा करने के लिए प्रति हेक्टेयर खेती की पैदावार बढ़ाई जा रही है. भारत के मुकाबले छोटेछोटे देश प्रति हेक्टेयर पैदावार में भारत से आगे हैं. सरकार ने फसल बीमा योजना और किसान बीमा योजना की शुरुआत इसीलिए की थी कि किसान परिवारों को जरूरत पड़ने पर राहत मिल सके. किसानों के लिए ये योजनाएं इस तरह से बननी चाहिए कि किसानों को बिना भागदौड़ के इन का लाभ मिल सके.

किसान जातिधर्म और क्षेत्र की राजनीति छोड़ कर किसान नीतियों पर एक जुट हो कर आंदोलन करें तो सरकारें दबाव में आएंगी. लोकतंत्र में एकजुटता और तादाद के बल का अपना महत्त्व होता है. उत्तर प्रदेश में पौने 2 लाख शिक्षामित्रों की एकजुटता एक मिसाल के रूप में देखी जा सकती है. केवल पौने 2 लाख शिक्षामित्र एकजुट हैं, तो प्रदेश सरकार से ले कर केंद्र सरकार तक नियमकानूनों की परवाह किए बिना उन का साथ दे रही है. केवल उत्तर प्रदेश में 16 करोड़ किसान हैं. अगर वे सब एकजुट हो जाएं तो कोई भी सरकार उन की अनदेखी नहीं कर सकती है. सरकारों ने बहुत होशियारी से किसानों को जातिबिरादरी के खांचे में बांट दिया ताकि वे एकजुट हो कर अपनी बात न कह सकें. किसान और किसान योजनाओं को ले कर केवल एक पार्टी की सरकार ही उदासीन नहीं रहती, बल्कि हर पार्टी की सरकार उदासीन रहती है. किसान एकजुट होंगे तभी उन को लाभ मिल सकेगा. 

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