पहली नजर में प्यार का,
यह एहसास बड़ा ही प्यारा है
नयनों में छवि तुम्हारी है,
अधरों पर नाम तुम्हारा है
तुम सुबह की पहली किरण सी
तुम मधुमासी मस्त पवन सी
तुम फूलों में बसी सुरभि सी
निर्मल, धवल, अनंत गगन सी
तुम पावस की पहली फुहार
तुम मधुरितु में खिले सुमन सी
प्रिया मिलन को आतुर बहती
तुम हो नदी मुग्ध गगन सी
तुम कृति हो अनमोल अनूठी,
मनहरनी, जादूगरनी सी
तुम से मिल कर सत्य यह जाना,
अब दिल भी नहीं हमारा है
तुम ने नूपुर बांध दिए हैं
मेरी उम्मीदों के पांव में
नवीन ऊर्जा दौड़ रही है
मेरी समस्त शिराओं में
कल्पनाओं को पंख लगे अब
तुम ही तुम हो मन-भावों में
अब सुख ही सुख दिखता है
जीवन के उतारचढ़ावों में
सांसों में उग आई केसर,
बांहें आलिंगन को आतुर
रोमरोम है पुलकित मेरा,
जब से तुम ने स्वीकारा है.
– अरुण अर्णव खरे
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