जब चारों ओर अंधेरा हो
कोहरे ने घेरा हो
घोर निराशा हो
कोई आशा न हो
पलकों पर पानी हो
मुसकान न हो
पहचान न हो
लक्ष्य हाथ से छूटा हो
जीने का मोह न हो
दुखों का छोर न हो
टूटा मनोबल हो
छूटे सब संबल हों
तब भी जीवन चलता है
मार्ग निकलता है
आशा का दामन छोड़ो मत
जीवन से नाता तोड़ो मत
मन को कभी डगमगाना मत
प्रयास पथ पर चलना है
आगे ही बढ़ना है
धुंध छंट जाएगी
रुकावट हट जाएगी
फिर जीत तुम्हारी है
फिर जीत तुम्हारी है.
– वी के माहेशी
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