वे उच्चशिक्षित, धनी, आकर्षक और गुणी मैनेजर हैं पर खुद के बेढंगे स्वभाव के कारण अपने परिवार व कंपनी में बहुत ही नापसंद की जाने वाली महिला हैं. दरअसल, जैसा व्यवहार हम घर में अपनाते हैं वह न चाहते हुए भी दूसरों के सामने व्यक्त हो जाता है. हमारे बोलने के तरीके व व्यवहार का असर दूसरों पर पड़ता है. अपने व्यवहार से हम चाहें तो रिश्ता बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी. एक मैनेजमैंट रिसर्च ने प्रमाणित किया है कि कंपनियां योग्यता के अलावा उन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों (महिला, पुरुष) को वरीयता देती हैं जिन में साथियों के साथ सामंजस्य, भाईचारा बना कर काम करने के गुण हों. यही काबिलीयत घर पर भी फायदेमंद साबित होती है.
एंथ्रोपोलौजी यानी मानव शरीर रचना शास्त्र के अनुसार, हमारा व्यवहार ही समाज, कार्यस्थल, परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे या बुरे संबंध स्थापित करने का माध्यम होता है. हमारा व्यवहार ही व्यक्तित्व का आईना होता है. व्यावसायिक और गैर व्यावसायिक संबंधों में लक्ष्यों व हितों को हासिल करने के लिए समय और स्थिति के अनुरूप व्यवहार मुख्य भूमिका निभाता है.
एक शोध में पाया गया है कि सफलतम अधिकारी परिचित व अपरिचित के साथ जल्द ही संबंध बनाने में सिद्धहस्त होते हैं, उस के पीछे उन का व्यवहार व मौखिक भाव होता है जो दूसरों को प्रभावित करता है. असंवेदनशील हो कर स्थिति के अनुरूप व्यवहार न करना पारिवारिक बिखराव का मुख्य कारण बन सकता है, विशेषकर संयुक्त परिवार में बहुत सोचविचार कर के व्यवहार करने की जरूरत होती है. यह समझ कर कि किन आचरणों से दूसरों पर अनचाहा प्रभाव पड़ता है, उन्हें बुद्धिमत्ता से दूर कर कई व्यक्तिगत व सामाजिक समस्याओं को हल किया जा सकता है.
कुछ नकारात्मक व्यवहार, जो मानसिक समस्याओं, मतभेद, बिखराव, आपसी कटुता पैदा करते हैं, उन से दूर रह कर अच्छी जिंदगी गुजारी जा सकती है.
प्रतिक्रियात्मक उत्तर
स्वयं को अच्छा दिखाने के चक्कर में दूसरे को गलत साबित करना, उस के प्रति जहर उगलना, गलत बातों का प्रचार करना कदापि उचित नहीं होता. यह प्रवृत्ति घरेलू शांति और सभी प्रकार के संबंधों में आग में घी का काम करती है. मेरे एक मित्र की पत्नी का रात में खाने के बाद कोयल जैसी मीठीमीठी आवाज में केवल एक काम था, दिनभर की पारिवारिक समस्याओं व छोटीछोटी बातों को बढ़ाचढ़ा कर कहने के साथ पति के कान भरना और अपनी गलतियों को छिपा कर सभी दोष देवर, देवरानी पर मढ़ना. उन के इसी व्यवहार के कारण सुखी घर में कलह का बीज अंकुरित हुआ और इन सब का हश्र यह हुआ कि हंसतेखेलते परिवार का विभाजन हो गया, फलतेफूलते बिजनैस में ताला लग गया. आज हालत यह है कि दोनों ही भाई आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं.
कुटिलता व द्वेष के आचरण के साथ इधर की बात उधर करने का नतीजा कभी मीठा नहीं होता, देरसवेर सचाई प्रकट हो जाने से ऐसा करने वाले का सब की नजर में अविश्वसनीय बन जाना तय है. समाज में, नातेरिश्तेदारी में उस व्यक्ति से लोग दूर रहने में भलाई समझते हैं.
विक्षिप्त व्यवहार
शीघ्र या बिना किसी उचित कारण भावावेश में आ कर उत्तेजित, अनियंत्रित या क्रोधित होना ‘न्यूरोटिक यानी मनोविक्षिप्त स्वभाव’ है. ऐसे स्वभाव की स्त्री से लोग दूर रहने में भलाई समझते हैं, भले ही वह बहुत अधिक प्रतिभाशाली या सुंदरता की सजीव मूर्ति हो.
अबुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहार
किसी की कमी को उस के मुंह पर बोल कर मजाक उड़ाना अशिष्टता है. याद कीजिए द्रौपदी ने दुर्योधन को ‘अंधे का पुत्र अंधा’ कह अनावश्यक अपमानित कर विवेकहीनता की पराकाष्ठा पार कर दी थी उस की वजह से द्यूत के पश्चात भरे दरबार में अपने ही खानदान के सामने अपने अपमान का स्वयं बहुत बड़ा कारण बन बैठीं. उस के ये वचन विनाशकारी युद्ध ‘महाभारत’ का कारण बने.
मेरे एक विदेशी मित्र, जो खुद भी बेरोजगार थे, की पत्नी को सुपरवाइजर ने इसलिए नौकरी से निकाल दिया क्योंकि वह काम करते समय अपने साथियों से हंसीमजाक करती थी, जैसे वह जगह वर्कप्लेस नहीं, बाजार हो. एक मैनेजमैंट स्टडी ने सिद्ध किया है, ‘अत्यधिक खुशदिल दिखने व हंसने वाली महिला कर्मचारी को बौस काम के प्रति गंभीर नहीं मानते.’
अनुचित हावभाव व बोल
मानव व्यवहार विशेषज्ञ रौबर्ट डिल्टस ‘चेंजिंग बिलीफ सिस्टम विद एनएलपी’ में लिखते हैं, ‘‘दूसरों के साथ हमारा व्यवहार बदले में उस के द्वारा हमारी ओर उसी के अनुरूप व्यवहार निर्धारित कर सकता है.’’ रूखा चेहरा और तिरस्कृत करने वाली बौडी लैंग्वेज दूसरों को अपरोक्ष रूप से अपमानित करने का भाव प्रकट करती है. कर्कशवाणी वाली हसीन औरत जैसे ही मुंह खोलती है, अपना आकर्षण व दूसरों से संबंध खो बैठती है.
मनोविज्ञानी अल्बर्ट मेहराबियन ने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्टडी द्वारा नौनवर्बल अभिव्यक्ति पर ऐतिहासिक परिणाम व्यक्त किए: ‘व्यक्ति का 93 प्रतिशत कम्यूनिकेशन नौनवर्बल होता है, इस में सम्मिलित है बौडी लैंग्वेज के अतिरिक्त बोलने का रिद्म, तीव्रता आदि. नौनवर्बल कम्यूनिकेशन बहुत बड़ा कारण है बिन जबान खोले 2 परिचित या अनजानों के बीच मित्रता या बैर भाव आने का. अनुचित भावभंगिमा भले ही बोलने के द्वारा व्यक्त न हो पर चेहरे के हावभाव उसे प्रकट कर ही देते हैं.
संतुलित व्यवहार
हम अपना व्यवहार शतप्रतिशत नियंत्रित कर उसे सही दिशा दे सकते हैं. स्थिति के अनुरूप समझदारी, विवेक और मूल्य आधारित बरताव करना ‘प्रोऐक्टिव’ कहलाता है. प्रतिक्रिया करने का विचार मन में आते ही और प्रतिक्रिया करने से पहले के बीच आए कुछ सैकंडों के अंतराल में मन ही मन स्थिति के अनुरूप ‘प्रोऐक्टिव’ निर्णय ले कर कदम उठाना ‘प्रोऐक्टिव’ होने की उत्तम तकनीक है. इस से घर में शांति और उन्नति निवास करेगी. परिवार के सदस्यों में मानसिक रोगों और आत्महत्या की प्रवृत्ति को जन्म देने में घरेलू समस्या व उलझन प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
एक मैनेजमैंट अनुसंधान के अनुसार भी, ‘कर्मचारियों की गैरहाजिरी व कार्यकुशल न होने की जड़ में मुख्य कारण रहता है पारिवारिक परेशानी.’ अपनी झगड़ालू प्रवृत्ति के कारण तलाक व आर्थिक बोझ सह रही इंगलैंड के प्रिंस एन्ड्र्यू की पत्नी साराह फर्ग्यूसन अब पुराने सुखद क्षणों को याद कर प्रायश्चित्त कर रही हैं, ‘‘मैं ने बहुत सी बेढंगी गलतियां कर अपना ही पैर काट लिया. अब हर समय पछताती हूं कि आखिर, मैं ने इतनी मूर्खताएं कैसे कर डालीं.’’ पर अब पछताए होत क्या, जब चिडि़यां चुग गईं खेत. और ‘क्या बीता पल वापस आ सकता है?’, क्या पारिवारिक सुख का कोई मेल है?’ अमर दार्शनिक प्लूटो भी आखिरी समय जीवनभर के अपने अनचाहे व अनुचित व्यवहार पर निराश व दुखी होते रहे. अत: नकारात्मक व्यवहार जिंदगी में कांटे ही बोता है?