सभी टीचर अखबार पढ़ कर सकते में थे. उन्हीं के स्कूल के छात्र बंटी की कू्ररता का बखान अखबार में था. मिसेज शर्मा ने उसे पहली से 5वीं तक पढ़ाया था. हमेशा गुमसुम रहने वाला लड़का इतनी कू्ररता से किसी की हत्या कर देगा, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था. उन्हें याद आ रहा था कि उस की मां ने दूसरी शादी की थी. सौतेले बाप के अत्याचार से उस का बचपन खत्म सा हो गया था. वह पढ़ाई में काफी कमजोर था, इसलिए किसी भी टीचर के बहुत नजदीक नहीं था. घर से मिली उपेक्षा और फिर घर से बाहर स्कूल में भी.

मार्गदर्शन का अभाव

अकसर हम हर चौथे दिन तोड़मरोड़ कर ऐसी ही खबर पढ़ते हैं. थोडे़ समय के लिए ये खबरें हम सब को सन्न कर देती हैं. परंतु धीरेधीरे समय के अनुसार सब धूमिल पड़ती जाती हैं, हम सभी यह महसूस कर रहे हैं कि आजकल बच्चों में परिपक्वता जल्दी आ जाती है. फलस्वरूप वे समय से पहले उम्र से अधिक की सोच रखने लगते हैं. परंतु उन की इस परिपक्वता को सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता. ऐसे में पिता के प्यार से महरूम बच्चे अपराध की ओर अग्रसर हो जाते हैं. पढ़ेलिखे मातापिता भी इस स्थिति को संभाल नहीं पाते जबकि अनपढ़ और कम पढ़ेलिखे मातापिता इस बारे में सोच ही नहीं सकते.

शहरों में पलते और विकसित होते बच्चे जोकि विशेषतौर पर स्लम और पुनर्वास कौलोनी में रहते हैं, को जिंदगी के सभी पहलुओं का बहुत ही जल्दी सामना करना पड़ता है.

राहुल ऐसी ही एक स्लम कौलोनी के एक कमरे में अपने मातापिता के साथ रहता है. उस ने पिता को बचपन से ही एक शराबी के रूप में देखा है. उस के पिता रोज शाम को नशे में धुत हो कर आते और फिर बातबात पर उस की मां और सब भाईबहनों से ?ागड़ने लगते. उन के हाथ में जो भी चीज आ जाती, वे उसी से उन्हें मारने लगते. वे उस की मां के चरित्र को ले कर तरहतरह के कटाक्ष करते.

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