फिल्म का कैनवास काफी बड़ा और भव्य है. ऐसा लगता है जैसे महाभारत काल में हुए विशाल युद्ध का नजारा देख रहे हों जिस में अनगिनत हाथियों और घोड़ों पर सवार योद्धाओं ने युद्ध लड़ा था.

इस फिल्म की तुलना कुछ साल पहले आई हौलीवुड की फिल्म ‘अवतार’ से की जा सकती है, मगर तकनीक में यह ‘अवतार’ से कहीं पीछे है. रजनीकांत की बेटी निर्देशिका सौंदर्या रजनीकांत अश्विन ने एनिमेशन के जरिए दृश्यों को वास्तविक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वह एक ग्राफिक डिजाइनर है. उस ने अपनी तकनीशियन टीम के साथ मिल कर फिल्म को 3डी इफैक्ट में बनाया है. फिल्म काफी हद तक दर्शकों को बांधे रखती है.

पूरी फिल्म रजनीकांत के इर्दगिर्द बुनी गई है. सभी पात्रों की संवाद अदायगी दक्षिण भारतीय फिल्मों जैसी है.

फिल्म की कहानी भारत के 2 राज्यों कोट्टापट्टनम और कलिंगपुरी की है. कोट्टापट्टनम का राजा उदयभान (नासिर) है तो कलिंगपुरी का राजा महेंद्रराज (जैकी श्रौफ) है. दोनों राज्यों में दुश्मनी है. कोट्टापट्टनम का एक किशोर राणा (बड़ा हो कर रजनीकांत) कलिंगपुरी जाने के लिए एक नाव पर बैठ कर निकलता है और एक जलप्रपात में गिर पड़ता है. किसी तरह वह कलिंगपुरी के किनारे पहुंचता है जहां कुछ लोग उस की जान बचाते हैं.

शिक्षादीक्षा ले कर वह एक योद्धा बन जाता है. वह अपनी बहादुरी से कई राज्यों को कलिंगपुरी में मिला लेता है. महेंद्रराजा उसे महासेनापति बना देता है. राणा कोट्टापट्टनम पर हमले की योजना बनाता है. वह कोट्टापट्टनम आता है. वहां के राजा उदयभान के बेटे के साथ अपनी बहन की शादी करवाता है और राजा की बेटी (दीपिका पादुकोण) से प्यार करने लगता है. वह राजा उदयभान पर जानलेवा हमला करते समय पकड़ा जाता है. वह अपनी प्रेमिका को राजा पर हमले का प्रयोजन बताता है.

यहां कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है. राजा उदयभान ने उस के पिता कोदर्यान (रजनीकांत की दूसरी भूमिका) को मौत के घाट उतार दिया था इसी का बदला लेने के लिए राणा ने राजा उदयभान पर हमला किया था.

राजा उदयभान राणा को मौत की सजा का फरमान सुनाता है परंतु राणा राजा की फौज का मुकाबला करते हुए राजा को मार डालता है और राजा की बेटी का हाथ थाम लेता है.

यह पूरी कहानी बदले की है. कहानी रोचक है. फिल्म के ऐक्शन दृश्यों में काफी मेहनत की गई है. डांस सीक्वैंस भी अच्छे हैं. फिल्म बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बन गई है.

फिल्म देख कर लगा कि यदि इस फिल्म के रजनीकांत और दीपिका पादुकोण वाले कुछ प्रेम प्रसंग रियल किरदारों पर फिल्माए जाते तो कुछ और ही असर पड़ता. दीपिका पादुकोण का यह एनिमेटेड किरदार भी सुंदर लगा है. रजनीकांत का तो कहना ही क्या. उस ने 2-3 मिनट तक तांडव नृत्य किया है जो काफी अच्छा बन पड़ा है. खलनायक पात्रों में नासिर और जैकी श्रौफ का काम भी अच्छा है.

ए आर रहमान का संगीत परंपरागत फिल्मों से अलग है. फिल्म की फोटोग्राफी गजब की है.

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