जैसे ठंडी हवाएं
बादलों की गड़गड़ाहट और
बारिश के कुछ छींटे
जैसे बागों में नाचता हुआ मोर
कोयल का चारों तरफ शोर और
गुनगुना रहे हों भंवरे कुछ गीत
जैसे समुद्र का किनारा
लहरों का सरगम गाना और
कुछ रेत में दबे हुए मोती
जैसे डूबते हुए सूरज का रंग लाल
हर चेहरे में बस तेरी ही झलक दिखती
काश कि तेरी मौजूदगी मेरे साए में होती.
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सरिता से और