अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण साल की शुरुआत से ही बाजार में सुस्ती का माहौल रहा है. इस की मजबूती के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक हालात में सुधार के लिए कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ जिस से कहा जा सके कि यह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने वाला काम हुआ है.

मंदी के इस दौर में रुपया भी कमजोर ही बना रहा लेकिन महंगाई की दर घटने से उत्साह का माहौल जरूर बना है.

इसी बीच कंपनियों के परिणाम भी जानकारों के लिए आशावादी ही रहे हैं. जनवरी के दूसरे पखवाड़े के आरंभ तक शेयर बाजार में गिरावट का रुख रहा लेकिन गणतंत्र दिवस को समाप्त होने वाले सप्ताह में बाजार में शुरू से ही बढ़त रही और 22 जनवरी, को बौंबे स्टौक एक्सचेंज के सूचकांक ने 87 अंक की बढ़ोत्तरी के साथ 21,338 अंक का रिकौर्ड स्तर हासिल किया और इस के अगले ही दिन बाजार मामूली 36 अंक की उछाल के साथ अब तक के सर्वाधिक 21,375 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान सूचकांक 21,484 अंक के स्तर तक पहुंच गया था.

कमाल यह है कि इस दौरान रुपया पहले की तुलना में और कमजोर ही होता गया. लेकिन रिजर्व बैंक के गवर्नर इस दौरान ज्यादा सक्रिय दिखे और उन्होंने मार्च 2005 से पहले के छपे सभी नोट बैंकों में जमा कराने की घोषणा की है. बाजार के जानकारों का मानना है कि इस का बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा है और नकली मुद्रा के प्रचलन पर लगाम लगने की उम्मीद से अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत मिले हैं.

रेटिंग एजेंसी फिच समूह का भी यही अनुमान है. उस का कहना है कि बेहतर मानसून से बंपर पैदावार, निर्यात बढ़ने और सेवा व उद्योग क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद है जिस से अर्थव्यवस्था के बेहतर होने की प्रबल संभावना है.

 

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