FACT CHECK : देश की ऐसी कोई छोटीबड़ी, जरूरीगैरजरूरी घटना नहीं है जिस की रील न बनती हो. अब तो एआई की मेहरबानी से उन घटनाओं की भी रील बन जाती हैं जो दरअसल वजूद में ही नहीं होतीं. बीते दिनों एक वीडियो वायरल किया गया जिस में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्टेज पर से राष्ट्रगान अधूरा छोड़ कर जाती दिखाई दे रही हैं. जो लोग अक्ल से काम लेते हैं वे 10 फीसदी तो तुरंत समझ गए कि वीडियो एडिटेड यानी संपादित है लेकिन अंधक्लों, जिन की तादाद 90 फीसदी के लगभग है, ने दातून और शौच तक करना पोस्टपोंड कर दिया. पहले इस वीडियो को फौरवर्ड करने का (राष्ट्रधर्म) निभाया जिस में बड़े खौफनाक शब्दों में यह भी लिखा गया था कि ममता राष्ट्रद्रोही हैं. उन्होंने राष्ट्रगान का सरेआम अपमान किया.
यह कोई नई बात नहीं है ममता बनर्जी का राष्ट्रगान अपमान संबंधी वीडियो 5 वर्षों से हर कभी प्रवाहित किया जा कर यह जताने की कोशिश की जाती रही है कि यह राष्ट्रद्रोही, वामपंथी, मुसलिमपरस्त महिला देश को देश नहीं समझती, इसलिए इसे वोट मत दो. यह हिंदू राष्ट्र की स्थापना में बड़ा रोड़ा है.
यह सच है कि दिसंबर 2021 में मुंबई के एक कार्यक्रम में ममता द्वारा राष्ट्रगान के दौरान अमर्यादित व्यवहार का वीडियो वायरल हुआ था. यह मामला अदालत तक भी गया था. बौम्बे हाईकोर्ट ने अक्तूबर 2023 में फैसला दिया था कि कोई अपराध नहीं बनता, राष्ट्रगान का अपमान साबित नहीं होता.
दक्षिणपंथियों, जो ऐसे संपादित वीडियो जानबूझ कर अपने विरोधियों को बदनाम करने के लिए वायरल करते हैं, को राष्ट्रगान के अपमान/सम्मान के बारे में सुप्रीम कोर्ट का 2018 (शाम नारायण चौकसी केस) का एक फैसला पढ़ लेना चाहिए जिस में उस ने व्यवस्था दी है कि राष्ट्रगान का सम्मान करना नागरिक कर्तव्य है लेकिन हर परिस्थति में खड़े होना बाध्यता नहीं है. कानून अपमान को दंडित करता है न कि सम्मान के किसी विशेष तरीके को न अपनाने पर. यानी, सम्मान बलात थोपा नहीं जा सकता क्योंकि यह मानस की चौपाई या वेदों की ऋचाएं नहीं हैं. FACT CHECK.

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