कई सालों से ईद के मौके पर सलमान खान की फिल्में जोरशोर से रिलीज होती रही हैं लेकिन इस बार सलमान खान की नहीं, शाहरुख खान की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रैस’ देश के लगभग 3,500 सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. इस फिल्म की रिलीज से पहले शाहरुख खान ने फिल्म का खूब प्रचार किया. इस से दर्शकों में इस फिल्म को देखने की काफी उत्सुकता थी. लेकिन फिल्म देख कर लगा, यह तो मुंबइया लवस्टोरी पर बनी साधारण फिल्म है.

‘तुझे देखा तो ये जाना सनम…’ फिल्म ‘दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे’ का यह गाना आज भी बजता है तो यंगस्टर्स के दिलों की धड़कनें बढ़ जाती हैं. इसी गाने को बैकग्राउंड में रखा गया है.

फिल्म का प्रेजैंटेशन खूबसूरत है. दक्षिण भारत के चायबागानों के बीच से गुजरती चेन्नई एक्सप्रैस ट्रेन खूबसूरत नजारे दिखाती है. बैकग्राउंड में कलकल बहता झरना, प्राकृतिक सुंदरता, किरदारों के रंगबिरंगे कौस्ट्यूम्स फिल्म को काफी दर्शनीय बना देते हैं.

निर्देशक रोहित शेट्टी की फिल्मों में कौमेडी, ऐक्शन और ड्रामा की?भरपूर डोज होती है. उस ने चेन्नई एक्सप्रैस को सही ट्रैक पर दौड़ाने के लिए इसी फार्मूले को दोहराया है. फिल्म में लेदे कर कुल 4 प्रमुख पात्र हैं, शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, नायिका का पिता (सत्यराज) और आदमकद तंगबलि (निकेतन धीर). बाकी सारे पात्र तमिल बोलते हैं, इसलिए उन्हें कम फुटेज दी गई है. पूरी फिल्म में शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण ही छाए हुए हैं.

फिल्म की रफ्तार काफी तेज है. राहुल (शाहरुख खान) के मातापिता उस वक्त मर गए थे जब वह 8 वर्ष का था. उसे दादादादी ने पालापोसा. राहुल जब 40 वर्ष का हुआ, उस के दादा गुजर गए. दादी ने अपने पति की अस्थियों को रामेश्वरम में विसर्जन करने के लिए राहुल से कहा. राहुल अस्थियों को ले कर चेन्नई एक्सप्रैस ट्रेन में चढ़ता है. उस के दोस्त कल्याण स्टेशन पर राहुल का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि राहुल रामेश्वरम न जा कर गोआ में मौजमस्ती करने का प्लान बना चुका है. ट्रेन में राहुल की मुलाकात मीना (दीपिका पादुकोण) से होती है जिसे उस के डौन पिता के गुंडे जबरदस्ती वापस घर ले जाना चाहते हैं, परिस्थितियां राहुल को मीना के गांव खम्मन ले जाती हैं, जहां उसे मीना से शादी का नाटक करना पड़ता है. मीना का पिता उस की शादी तंगबलि से करना चाहता है परंतु राहुल तंगबलि और उस के गुंडों से अकेले ही निबट कर मीना का हाथ थाम लेता है.

रोहित शेट्टी ने फिल्म में बहुत से ऐसे सीन डाले हैं जिन की कोई तुक नहीं है. जंगल में शाहरुख खान से मिलने वाले एक बौने का सीन ऐसा ही है. दीपिका पादुकोण के साथ उस की कैमिस्ट्री लाजवाब है. दीपिका काफी ग्लैमरस लगी है. रात को बिस्तर पर शाहरुख खान के साथ सोने में उस ने जो कौमेडी की है, वह लाजवाब है. क्लाइमैक्स घिसापिटा है.

इस फिल्म को चूंकि दक्षिण में फिल्माया गया है इसलिए इस पर दक्षिण का प्रभाव साफ नजर आता है. दक्षिण भारत में प्रचलित कई अंधविश्वासों को इस फिल्म में फिल्माया गया है. दीपिका पादुकोण को गोद में उठा कर शाहरुख खान का मंदिर की 300 सीढि़यां चढ़ना और इस से सुखी दांपत्य जीवन की कामना करना, ऐसा ही अंधविश्वास है.

निर्देशक ने गीतों के जरिए फिल्म की सुंदरता को दिखाया है. आउटडोर लोकेशनें काफी सुंदर हैं. विशाल शेखर का संगीत अच्छा है. लुंगी डांस अच्छा बन पड़ा है.

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