टीवी सीरियल देख कर हमारे मन में लड्डू फूटा कि एक दिन हमें भी हमारी बीवी अपने हाथों से दूल्हा बना कर सजाए. सारा दिन टीवी देखती है, शायद कुछ सीख ले ले. लेकिन मन के मचलते अरमान धरे के धरे रह गए…

एक दिन ऐसे ही आराम से बैठा टीवी चैनल बदल रहा था. एक  सीरियल में दिखाया गया कि हीरोइन के सिर में दर्द हो रहा है. पता चला कि उसे ट्यूमर है, वह मरने वाली है तो उस ने अपनी सहेली को बुला लिया अपने पति की शादी उस से करवाने के लिए. फिर चैनल बदला तो इस सीरियल में भी हीरोइन मरने वाली थी और मरने से पहले ही वह अपने पति की दूसरी शादी करवा रही थी. उस का पति फेरे ले रहा था और वह मरने के इंतजार में खड़ी थी. एक और सीरियल में हीरोइन ने पैसे ले कर अपने पति की शादी करवा दी. हर सीरियल कमोबेश यही कह रहा था.

मैं अलसाया पड़ा देख रहा था. आहें भर रहा था, कसक दबा रहा था. काश, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी होता. कितने लकी हैं ये पति, इन की पत्नियां खुद मरने से पहले शादी करवा रही हैं, पति को दूल्हे के रूप में सजा रही हैं. ‘हाय,’ एक गहरी आह मेरे मुंह से निकली और मैं ने सुमि को आवाज लगाई, ‘‘सुमि, सुमि, यहां आओ, जल्दी.’’

सिर पकड़े सुमि आई. बोली, ‘‘क्या हुआ? क्यों चिल्ला रहे हो? क्या काम है? मेरे सिर में दर्द हो रहा है. बंद करो यह टीवी…’’

मेरे मन में एक लड्डू फूटा, ‘‘सच, इस का मतलब तुम्हें भी ब्रेन ट्यूमर है. तुम्हारी कोई सहेलीवहेली नहीं है कुंआरी जिसे तुम यहां बुला लो और मेरी शादी करवा दो.’’

दर्द से फटते सिर के समान सुमि भी फटी, ‘‘मेरे सिर्फ सिर में दर्द हो रहा है, मरी नहीं हूं अभी, मन में इतने लड्डू फोड़ने की जरूरत नहीं है. जरा से सिरदर्द में शादी की बात आ गई,

मर जाऊंगी तो तीसरा दिन भी नहीं लगाएंगे घर में दूसरी लाने में. सहेली, शादी, हुंह.’’

मैं थोड़ा निराश हुआ, ‘‘तो सारा दिन बैठ कर टीवी क्यों देखती रहती हो. अच्छी बातें तो उस से कुछ सीखीं नहीं, बीमारी और ले कर बैठ गईं. देखो, जरा देखो यह सीरियल. यह तो तुम्हारा फेवरेट है न, क्या सीखा तुम ने इस से?’’

सुमि भी भन्नाई, ‘‘नहीं देखना मुझे अभी टीवीवीवी और मेरा सिरदर्द टीवी देखने से नहीं आप के बकबक करने से हुआ है. बीवी का सिर दुख रहा है तो यह नहीं कि उस का थोड़ा सिर दबा दें, सहला दें, दवा दे दें. बस, अपनी दूसरी शादी के बाजे बजने लगे मन में.’’

मैं ने भी कहा, ‘‘हां, तो क्या गलत है, तुम्हें कुछ हो गया तो मेरी तो मुसीबत हो जाएगी न, कौन बनाएगा मेरे लिए खाना, कौन मेरे कपड़े धोएगा, कौन मेरा ध्यान रखेगा. इतना तो तुम्हें सोचना चाहिए न कि तुम्हारे बाद मुझे कोई तकलीफ न हो. तुम्हारा फर्ज नहीं बनता कि तुम पहले ही उस का इंतजाम कर जाओ.’’

सुमि बिफर गई, ‘‘हायहाय, कैसे आदमी से पाला पड़ा है. बीवी मर जाए, उस की चिंता नहीं. उस के मरने के बाद खुद को तकलीफ न हो, इस की अभी से चिंता हो रही है. पर आप चिंता मत करो न, अभी न मैं मरने वाली हूं और न पीछा छोड़ने वाली हूं. देखते रहो मेरे मरने की राह…’’

मैं मायूस हो गया, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता कि तुम टीवी में देखती क्या हो? उस से कुछ सीखती नहीं हो. देखो, सीरियल में एक हीरोइन को ब्रेन ट्यूमर हुआ. उस ने अपने मरने से पहले ही अपनी सहेली को बुला लिया ताकि उस का पति उस की सहेली से शादी कर सके. और तो और, वह शादी करना नहीं चाहता तो भी उस ने ऐसा इंतजाम किया कि वह उस की तरफ अट्रैक्ट हो, उस से शादी कर ले जबकि वह तो मरी भी नहीं थी. तुम नहीं कर सकतीं ऐसा कुछ?

‘‘यह तो छोड़ो एक और सीरियल में, जिस में पत्नी को हिटलर दिखाया है जिस को कैंसर होता है, वह मरने से पहले अपने पति की विधिविधान से शादी करवा कर मरी. देखो, इसे कहते हैं पतिप्रेम, पति का ध्यान रखना, पति की चिंता करना. तुम को है मेरा ध्यान, ऐसी चिंता? यह जो टीवी के सामने बैठ कर सारा दिन आंखें फोड़ती रहती हो न, उस के बजाय कुछ काम की बात सीखो ताकि सिर्फ बिजली का बिल ही न बढ़े, मेरा दिल भी बढ़ता रहे.’’

सुमि भिनभिनाई, ‘‘अच्छा, मैं आप के लिए लड़की तलाश कर आप की शादी करवाऊं और फिर, आप की शादी में जूते छिपाऊं. पूरी घरवाली से आधी घरवाली मतलब साली बन जाऊं. सीरियल की हीरोइन बेवकूफ है तो मैं भी बेवकूफ बन जाऊं. अरे, जीतेजी तो छोड़ो, मैं तो मरने के बाद भी आप को दूसरी शादी नहीं करने दूंगी. इसी घर में घूमती रहूंगी. आप के आसपास. दूसरी शादी, माय फुट.’’

मैं ने कहा, ‘‘सच है न, चुड़ैल मरती थोड़ी है. तुम से मेरा कभी कोई सुख देखा गया है जो अब देख पाओगी. तुम तो यही चाहोगी कि मैं अकेला घिसटघिसट कर मर जाऊं और तुम ऊपर से मुझे इस तरह तड़पता मरता देख खुश होती रहो.’’

सुमि बोली, ‘‘ऊपर से नहीं, यहीं  से देखूंगी. अभी कह रहे थे न  कि टीवी से कुछ सीखती क्यों नहीं हो, तो सीख रही हूं न, अपने पति पर नजर रखना, उस पर अविश्वास करना, वरना आप आदमियों का क्या भरोसा कि कब घरवाली को छोड़ कर बाहरवाली को ले आएं. तब न बीवी का खयाल न बच्चों का. अभी मैं जिंदा हूं तो यह हाल है, मर जाऊंगी तो पता नहीं क्या करोगे.’’

मैं ने कहा, ‘‘इसीलिए तो कह रहा हूं, तुम खुद ही शादी करवा जाओ न मरने से पहले ताकि तुम को भी पता रहे कि मैं ने क्या किया?’’

सुमि ने हाथ नचाए, ‘‘अच्छा, मान लो कि मैं ने आप की शादी करवा दी और मैं नहीं मरी तो? तो क्या करोगे?’’

मैं सोच में पड़ गया, ‘‘ओह, यह तो मैं ने सोचा ही नहीं,’’ मैं ने चोर नजरों से सुमि की तरफ देखा. जिस हिसाब से इस की सेहत बनी हुई है, मरनेवरने का तो इस का कोई इरादा दिखाई नहीं दे रहा. मैं ने कहा, ‘‘तो क्या हुआ, एक और सीरियल है न, जिस में पत्नी अपने पति को बेच कर उस की शादी करवाती है, फिर दोनों बहनों की तरह साथ में रहती हैं, तुम भी रहना ऐसे ही…’’

सुमि तड़क कर बोली, ‘‘उस ने अपने पति की शादी करवाने के लिए ढेर सारे पैसे लिए थे. आप को बेचूंगी तो खरीदेगा कौन? कोई फूटी कौड़ी भी नहीं देगा आप के लिए. यह तो मैं ही हूं जो निभाए जा रही हूं वरना टके का मोल नहीं है आप का. एक शादी से मन नहीं भरा, दूसरी शादी के लिए लड्डू फूट रहे हैं मन में. सारा दिन बैठ कर टीवी मैं नहीं देखती, आप देखते रहते हैं ये फुजूल सीरियल, और घर में फसाद करते रहते हैं. और भी बातें आती हैं टीवी में, वो देखो न.’’

मैं ने कहा, ‘‘और क्या देखूं जो देख रहा हूं, दिखा रहा हूं उस पर तो ध्यान नहीं दे रही, बातें बना रही हो…कुछ और देखो. पर मैं तुम से फिर कह रहा हूं, तुम मरो तो मरने से पहले मेरी शादी करवा देना.’’

सुमि खड़ी हो गई, ‘‘हां, ठीक है. मेरा तो अभी यमराज के साथ  जोड़ी बनाने का कोई मूड नहीं है. पर अब आप न वह सीरियल भी देखो जिस में ‘बालिका वधू’ के साथ ‘क्या हुआ तेरा वादा’ निभाने की बात करते हुए ‘पुनर्विवाह किए जा रहे हैं वह भी दोदो, तीनतीन बच्चे होने के बाद भी…और पुराना पति अपनी बीवी के होने वाले नए पति के साथ अपनी पुरानी पत्नी के खुश रहने की कामना कर रहा है. मैं भी अभी आप की शादी करवाती हूं पर आप भी वादा करो कि मेरी शादी में जरूर आओगे. मैं भी अकेली तो नहीं रहूंगी न, बोलो है मंजूर?’’

मैं चौंक गया, ‘‘अरे, यह क्या बात हुई. मुझे कोई पिक्चर नहीं बनानी है ‘मेरी बीवी की शादी’, ‘मेरी भी शादी में आना’, हुंह. मैं अभी मरने वाला नहीं हूं. फिर सोचा कि लोग क्या कहेंगे. ये सीरियल वाले भी न, न जाने क्याक्या बकवास दिखाते रहते हैं.’’

मैं ने टीवी बंद कर दिया. सुमि मन ही मन बोली, ‘अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे.’ पर प्रत्यक्षत: बोली, ‘‘अच्छा, अपनी बारी तो सब अच्छा, मेरी बारी तो बकवास. अब बंद करो यह ड्रामा और सिर दबाओ मेरा, चलो.’’

मैं ने भी लड्डू फोड़ने बंद किए. अपनी आह को दबाया, मायूस मन को समझाया और सुमि का सिर दबाने चल दिया. ये सीरियल वाले ऐसे सीरियल बनाते ही क्यों हैं जिन से मेरे जैसे बेबस आम आदमी के अरमान मचलने लगते हैं. बताइए जरा.

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