यह फिल्म पूरी तरह से युवाओं के लिए है. इस में मस्ती है, रोमांस है, फन है, ऐडवैंचर है, डांस है, मस्त म्यूजिक है. कहने को तो इस फिल्म का निर्देशक अयान मुखर्जी है लेकिन यह करण जौहर की फिल्म ज्यादा नजर आती है, जो इस फिल्म का निर्माता है. 5 साल बाद परदे पर आई रणबीर और दीपिका की जोड़ी ने इस फिल्म में अपना जलवा बखूबी बिखेरा है. ‘यह जवानी है दीवानी’ एक लवस्टोरी पर बनी फिल्म है. लव स्टोरीज पर बनी ज्यादातर फिल्में सफल रही हैं. इस सब्जैक्ट पर बनने वाली फिल्में को रोमांस, ऐक्शन, मेलोड्रामा और डांस व गानों से सजा कर पेश किया जाता है. इसीलिए ये फिल्में अच्छाखासा मुनाफा कमा जाती हैं. निर्देशक ने फिल्म को रोचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उस ने पूरी कोशिश की है कि दर्शकों को ऐंटरटेनमैंट की पूरी डोज मिले. हिमाचल प्रदेश और यूरोप की खूबसूरत लोकेशनें फिल्म का प्लस पौइंट हैं.

फिल्म की कहानी 4 दोस्तों, कबीर थापर उर्फ बन्नी (रणबीर कपूर), अवि (आदित्य राय कपूर), नैना तलवार (दीपिका पादुकोण) और अदिति (कल्कि कोचलिन) की है जो ट्रैकिंग के लिए मनाली जाते हैं. बन्नी को मौजमस्ती करना ज्यादा पसंद है जबकि नैना अपने आप में ही सिमट कर रहने वाली लड़की है. लेकिन मनाली पहुंचने पर जब वह खुली हवा में सांस लेती है तो मानो उसे पर लग जाते हैं. उसे लाइफ में पहली बार ऐंजौय करने का मौका मिलता है. उधर बन्नी अपने सपनों को पूरा करने में यकीन करता है. वह शादी करने में विश्वास नहीं करता. इस ट्रिप के दौरान बन्नी और नैना एकदूसरे के नजदीक आते हैं.

लेकिन बन्नी अपने अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए यूरोप चला जाता है.

8 साल बाद जब वह अदिति की शादी में लौटता है तो उस की मुलाकात फिर से नैना से होती है. इन दोनों में एक बार फिर से प्यार हो जाता है.

फिल्म की यह कहानी पूरी तरह से बन्नी और नैना के रिश्तों के इर्दगिर्द बुनी गई है. इन किरदारों में दीपिका और रणबीर की कैमिस्ट्री खूब जमी है. मध्यांतर तक फिल्म की गति तेज बनी रहती है. मनाली मेें दीपिका और रणबीर का मस्ती करना सुहाता है. लेकिन मध्यांतर के बाद फिल्म की गति एकदम धीमी हो जाती है और फिल्म का आकर्षण कम होने लगता है. फिल्म के आखिरी 15-20 मिनट में इन दोनों किरदारों में फिर से रोमांस का जज्बा पैदा होना फिल्म में फिर से आकर्षण को जगाता है. फिल्म का निर्देशन काफी हद तक अच्छा है. निर्देशक अगर अदिति की शादी के फंक्शन को लंबा न खींचता तो ज्यादा अच्छा होता.

फिल्म में रणबीर कपूर एकदम नैचुरल लगा है. ‘बदतमीज…’ गाने में उस ने अपने चाचा शम्मी कपूर की यादें ताजा कर दी हैं. उस ने मस्ती भी की है और?भावुक दृश्य भी दिए हैं. दीपिका पादुकोण भी स्वाभाविक लगी है. मोटे फ्रेम के चश्मे में वह खूबसूरत लगी है. होली वाले गाने में उस ने जम कर मस्ती की है. कल्कि कोचलिन ने टौमबौय की?भूमिका की है. कल्कि और आदित्य राय कपूर कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं.

फिल्म के संवाद अच्छे हैं. रणबीर कपूर और कल्कि कोचलिन के द्वारा बोले गए संवादों पर दर्शकों के चेहरों पर मुसकराहट आती है. मारधाड़ के दृश्यों में कौमेडी भी है.

फिल्म का संगीत प्रीतम ने दिया है. कई गाने तो फिल्म के रिलीज होने से पहले ही लोगों की जबान पर चढ़ चुके थे. ‘बलम पिचकारी…’ और ‘बदतमीज दिल…’ गाने दर्शकों को झुमाने वाले हैं. माधुरी दीक्षित का एक आइटम सौंग ‘घाघरा…’ भी है. इस गाने में रणबीर कपूर ने माधुरी के साथ डांस किया है और जमा है.

फिल्म का छायांकन अच्छा है. मध्यांतर से पहले छायाकार ने पहाड़ों पर फैली बर्फ के नजारे दिखाए हैं तो मध्यांतर के बाद उदयपुर की सैर करा दी है.

 

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