Jharkhand Tourism : झारखंड राज्य के लातेहार जिले में स्थित एक सुंदर गांव है नेतरहाट, जहां सूर्योदय, झरनों की कलकल, जंगल की शांति और जनजातीय संस्कृति हरेक के दिल पर अमिट छाप छोड़ देती है. कैसा है नेतरहाट, जानिए आप भी.

अक्टूबर का महीना था, दीपावली की छुट्टियां थीं. शहर की भागदौड़ से मन थक चुका था. दोस्तों से बातचीत के दौरान अकसर नेतरहाट का नाम सुना था, झरखंड की वादियों में बसा एक हिल स्टेशन, जिसे ‘छोटानागपुर की रानी’ कहते हैं. नाम सुनते ही कल्पनाएं उमड़ने लगतीं और आखिरकार एक दिन हम ने वहां जाने का निश्चय कर लिया.

नेतरहाट, झरखंड के लातेहार जिले में स्थित एक खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र है. यह स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य, हरे-भरे जंगलों, पहाड़ियों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यह समुद्रतल से लगभग 1,128 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह झरखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है.

सफर की शुरुआत

रांची से नेतरहाट की दूरी लगभग 150 किलोमीटर है. सुबह-सुबह हम कार से निकले. जैसे ही शहर पीछे छूटता गया, हवा ठंडी होने लगी और रास्ते के दोनों ओर घने जंगलों का सिलसिला शुरू हो गया. साल, चीड़ और बांस के पेड़ों के बीच से गुजरते हुए लग रहा था मानो हम प्रकृति की गोद में प्रवेश कर रहे हों.

रास्ते के हर मोड़ पर कुछ नया था. कहीं पहाड़ियों से झरता पानी, कहीं बच्चों के झंड हाथ हिला कर स्वागत करते हुए और कहीं सन्नाटे में गूंजती पक्षियों की आवाज. लगभग 5 घंटे के सफर के बाद हम नेतरहाट पहुंचे, लगा मानो समय धीमा हो गया है.

प्रभात विहार और सूर्योदय का जादू

नेतरहाट की पहचान है वहां का सूर्योदय. स्थानीय लोग कहते हैं कि जिस ने प्रभात विहार से सूर्योदय नहीं देखा, उस ने नेतरहाट देखा ही नहीं.

अगली सुबह हम व्यू पॉइंट पर पहुंचे. चारों तरफ सन्नाटा था. बस, घाटियों से आती ठंडी हवा और पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी. घास पर बिखरी ओस मोतियों सी चमक रही थी. अचानक क्षितिज से लाल-नारंगी सूरज झंकने लगा. पलभर में पूरा आकाश सुनहरी रोशनी से नहा गया. पहाड़ों की चोटियां मानो दीपक की लौ से चमक उठीं. लोग मंत्रमुग्ध खड़े उस दृश्य को निहारते रहे. सच कहूं तो वह पल शब्दों से परे था मानो प्रकृति ने खुद हमें अपने करीब बुला लिया हो.

झरनों का संगीत

नेतरहाट सिर्फ सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए ही नहीं, अपने झरनों के लिए भी मशहूर है.

घाघरी जलप्रपात : जंगलों के बीच छिपा यह झरना बरसात में गर्जना करता हुआ बहता है. उस की गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है.

नैना जलप्रपात : यहां की ठंडी फुहारें चेहरे पर पड़ते ही सारी थकान मिटा देती हैं. सुबह की पहली किरण जब पानी की धार पर पड़ती है तो इंद्रधनुष सा दृश्य सामने आ जाता है.

इन झरनों तक पहुंचने के लिए हमें छोटे-छोटे रास्तों से पैदल जाना पड़ा. रास्ते में हरियाली और मिट्टी की खुशबू सफर को और यादगार बना

देती है.

अन्य आकर्षण और संस्कृति

मैग्नोलिया पॉइंट से सूर्यास्त देखना जीवन का अनमोल अनुभव है. डूबते सूरज की सुनहरी छटा पूरे आकाश को रंग देती है. ऑरेंज वैली और स्ट्रॉबेरी फार्म सर्दियों में अपनी खुशबू व स्वाद से मन मोह लेते हैं.

पुराने ब्रिटिश कालीन विश्रामगृह अब भी यहां की कहानी कहते हैं. ऊंची छतें और चौड़े बरामदे औपनिवेशिक दौर का एहसास दिलाते हैं.

यहां की जनजातीय संस्कृति अद्भुत है. बांस और लकड़ी की कलाकृतियां, लोक-नृत्य और गीत यहां की आत्मा को दर्शाते हैं.

जंगल और वन्य-जीवन

नेतरहाट के जंगलों में हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी और कभी-कभी तेंदुए तक दिखाई दे जाते हैं. बर्ड वाचिंग के शौकीनों के लिए यह जगह किसी खजाने से कम नहीं. हॉर्नबिल, मोर और प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट इस यात्रा को और खास बना देती है.

रात को जब आसमान साफ होता है तो लाखों तारे चमकते हैं. शहर में ऐसा नजारा शायद ही कभी दिखता हो. खुले आकाश के नीचे तारों को निहारना जीवन का दुर्लभ अनुभव है.

ईकोटूरिज्म और स्थानीय स्वाद

आजकल यहां ईकोटूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है. स्थानीय परिवार अपने घरों को होमस्टे में बदल रहे हैं. हम भी एक ऐसे ही घर में ठहरे. मिट्टी की दीवारें, लकड़ी की खिड़कियां और आंगन में बनी चौकी-सबकुछ बेहद सादा लेकिन आत्मीय.

रात को हमें चावल, धान की रोटियां, जंगली साग और अरसा-ठेकुआ जैसे पारंपरिक व्यंजन परोसे गए. साथ में, स्थानीय हंडिया (चावल से बना पेय) का स्वाद लिया, जो वहां की संस्कृति का अहम हिस्सा है. यह अनुभव किसी होटल से कहीं अधिक जीवंत और अनोखा था.

यात्रा का समय और सुझव

नेतरहाट आने का सब से अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है. गर्मी में भी यहां मौसम सुहाना रहता है लेकिन मानसून और सर्दी इसे और खूबसूरत बना देते हैं.

सुझव

सर्दी में गरम कपड़े जरूर रखें.

सूर्योदय और सूर्यास्त के लिए समय से पहले पहुंचें.

झरनों के पास सावधानी बरतें.

स्थानीय संस्कृति और लोगों का सम्मान करें.

खर्च और पहुंच

2 लोगों के लिए कुल खर्च लगभग 4,000 से 6,000 रुपए तक आता है.

हवाई मार्ग : निकटतम एयरपोर्ट, रांची (152 किलोमीटर).

रेल मार्ग : टोरी (64 किलोमीटर) और लोहरदगा (62 किलोमीटर).

सड़क मार्ग : रांची और लातेहार से बस व टैक्सी उपलब्ध हैं.

यात्रा का अंत

नेतरहाट की यह यात्रा मेरे लिए सिर्फ एक ट्रिप नहीं थी, बल्कि दिल को छू लेने वाला अनुभव था. वहां का सूर्योदय, झरनों की कलकल, जंगल की शांति और जनजातीय संस्कृति ने दिल पर अमिट छाप छोड़ दी. जब-जब शहर का शोर थकाता है, नेतरहाट की यादें मन में ताजा हो जाती हैं. सचमुच, यह झरखंड की रानी सा है. Jharkhand Tourism :

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