The Taj Story Movie Review : ताजमहल से भला कौन परिचित न होगा. सफेद संगमरमर से बने ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बीवी मुमताज महल की याद में 1632 में यमुना किनारे, आगरा में बनवाया था. वर्ष 1648 में बन कर तैयार हुए ताजमहल के चारों ओर सुंदर बगीचे हैं. हर साल लाखों दर्शक देशविदेश से इसे देखने आते हैं.
ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा और विश्व के 7 अजूबों में से एक है. इस का निर्माण 17वीं सदी में मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था.
‘द ताज स्टोरी’ फिल्म में परेश रावल ने मुख्य भूमिका निभाई है. फिल्म ऊलजलूल ऐतिहासिक बहस पैदा करने की कोशिश करती है, सैंसेशनलाइज्ड करती है. जबकि, कहानी कमजोर है. फिल्म को सत्य की खोज में एक अदालत महागाथा के रूप में वर्णित किया गया है जो ताजमहल पर सवाल उठाती है. फिल्म कोर्टरूम ड्रामा है.
फिल्म में कई जायज मुद्दों को उठाया गया है, जैसे इतिहास के पाठ्यक्रम में हिंदू राजाओं का जिक्र कम क्यों है? मुगल राजाओं द्वारा अनगिनत लोगों को मार डालने का जिक्र क्यों नहीं है? ताजमहल में 2 कब्रें क्यों हैं? मगर किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया है.
जिस तरह पूरे देश में मुसलिम स्मारकों/मसजिदों को देश के कट्टर हिंदू इन्हें हिंदुओं के स्मारक या मंदिर बता कर विवाद खड़े करते आ रहे हैं, ताजमहल, जिसे सारी दुनिया जानती है कि इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया, ठीक उसी प्रकार ताजमहल के बारे में भी विवाद खड़े करने की कोशिश की जा रही है.
फिल्म के खिलाफ याचिकाएं भी दायर की गई हैं जिन में दावा किया है कि फिल्म ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करती है. ताजमहल के इतिहास पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय नामक एक शिव मंदिर था जिसे शाहजहां ने अधिगृहीत कर लिया था.
इस तरह के विवाद उठा कर हमारे देश के कट्टर हिंदू नेता, जिन में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए दक्षिणपंथी संगठन भी हैं, देश में हिंदूमुसलिमों के दिलों में जहर डालने का काम कर रहे हैं. अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता में बैठी पार्टी की इन कट्टर हिंदूवादियों को शह मिली हुई है.
इस फिल्म में बरसों पहले बने ताजमहल के बारे में बहस को जिंदा करने की कोशिश की जा रही है. फिल्म में आगरा का टूर गाइड विष्णु दास (परेश रावल) यह कहता नजर आता है कि यह सिर्फ फिल्म नहीं बल्कि देश का मुद्दा है. मगर सवाल उठता है कि इस प्यार की निशानी को फिर से टटोलने की क्या जरूरत है? क्या यह हम सब के लिए गर्व की बात नहीं कि ताजमहल जैसा स्मारक हमारे देश में है? या यह पचाने में दिक्कत हो रही है कि मुगलों के बनाए इस स्मारक को दुनियाभर में पहचान मिली हुई है?
1959 में आगरा से शुरू हुई कहानी आगरा के टूर गाइड विष्णु दास और उस के गाइड बेटे अविनाश (नमित दास) के इर्दगिर्द घूमती है. वह रोजाना टूरिस्टों को ताजमहल की रोमांटिक कहानियां सुनाता है. एक दिन उस के दिमाग में तूफान सा उठता है कि जो किताबों में पढ़ाया जा रहा है, वह सब गलत है. सच्चाई को साबित करने के लिए विष्णु दास कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करता है. उस का दावा है कि ताजमहल मकबरा नहीं, यह एक प्राचीन जगह है जिसे हिंदू राजा ने बनवाया था. उस का कहना है कि ताजमहल का डीएनए टैस्ट कराया जाए.
कहानी वर्तमान में आती है. विष्णु गाइड एसोसिएशन का चुनाव लड़ने वाला होता है. एक इंटरव्यू में जब उस से ताजमहल के निचले हिस्से के बारे में पूछा जाता है तो वह ऐसी किसी भी बात से इनकार करता है. विष्णु का वीडियो वायरल हो जाता है. गाइड एसोसिएशन वाले नाराज हो जाते हैं. मामला अदालत तक पहुंचता है.
फिल्म के अंत में कुछ अखबारों के लेखों द्वारा कई याचिकाओं का जिक्र कर फिल्म की कहानी को एक आधार देने का काम किया गया है. उन याचिकाओं में ताजमहल को मंदिर घोषित किया गया है, कभी वहां जलाभिषेक और आरती करने की बात की गई है. कई याचिकाएं विचाराधीन हैं.
फिल्म बेमतलब मुद्दे पर बनाई गई है. ऐसा जान पड़ता है कि इसे बनाया ही इसलिए गया है ताकि सस्ती चर्चाओं में शामिल कर लिया जा सके. हालांकि, पटकथा बांधे रखने वाली है. फिल्म के संवाद दमदार हैं. फिल्म में कोई खास जानकारी नहीं मिलती.
फिल्म मध्यांतर से पहले दर्शकों का ध्यान खींचती है. मध्यांतर के बाद तर्कवितर्कों और लंबी कोर्टरूम की कार्रवाई से दर्शक परेशान होने लगते हैं. कैमरा वर्क बढ़िया है. तकनीकी दृष्टि से फिल्म और बेहतर हो सकती थी. परेश रावल ने अच्छी ऐक्टिंग की है. जाकिर हुसैन ने एडवोकेट अनवर रशीद की भूमिका खूबसूरती से निभाई है. अन्य कलाकार अपनीअपनी भूमिकाओं में फिट हैं.
फिल्म का निर्देशन बढ़िया है. कोर्टरूम ड्रामा को गंभीरता से फिल्माया गया है. संगीत दमदार है. सिनेमेटोग्राफी बढ़िया है. संवाद फिल्म की जान हैं. अगर आप की रुचि इतिहास में है तो यह फिल्म आप के लिए है. The Taj Story Movie Review.





