Home Shifting Guide: घर बदलना हमेशा थोड़ा थकाने वाला होता है, लेकिन सही तैयारी से यह काम बिना तनाव के बहुत आसान हो सकता है. आइए हम आप को बता देते हैं.

रागिनी के पति सिद्धार्थ ने जब से उसे फ़ोन कर के बताया है कि नैनीताल में उन को नया घर मिल गया है और अब शिफ्टिंग की तैयारी शुरू करो, तब से रागिनी खुश तो बहुत है मगर चिंतित भी काफी है. दरअसल नोएडा में अपने सास-ससुर के घर में रहते हुए उस को 22 साल से ज्यादा हो चुके हैं. इन 22 सालों में उस ने घर के लिए बहुतेरी चीजें खरीदीं. सास ने पहले ही घर भर रखा था और रागिनी खुद भी दहेज़ में काफी सामान लाई थी. उस के मायके से आया बहुतेरा सामान तो आज तक उपयोग में नहीं आया. पलंगों के बौक्स में वैसे का वैसा ही धरा है. मगर मार्केट में कोई नई चीज आई नहीं कि खरीद ली गई. सिद्धार्थ को भी खरीदारी का खूब शौक है और उस के दोनों बच्चों को भी आए दिन नई-नई चीजें चाहिए होती थीं.

सासससुर के देहांत के बाद रागिनी के दोनों बेटे पढ़ाई के लिए भले ही बोर्डिंग स्कूल चले गए हैं, मगर उन के कमरे उन के सामान से भरे पड़े हैं. यहां तक कि उन के बचपन के खिलौने तक रागिनी ने संभाल कर रख रखे हैं. अब नैनीताल वाले नए घर में रागिनी क्याक्या ले जाए और क्याक्या छोड़ जाए, समझ में नहीं आ रहा है. जिस भी चीज को छोड़ने का सोचती है उस चीज से जुड़ी यादें ताजा हो जाती हैं, भावनाएं बलवती हो जाती हैं और फिर उस का मूड बदल जाता है.

सिद्धार्थ ने कहा है कि सारा फालतू सामान निकाल कर कबाड़ी वाले को बेच देना मगर रागिनी को कुछ भी फ़ालतू का नहीं लग रहा है. क्या निकाले? सोचा जो साड़ियां कभी नहीं पहनी पहले उन्हें निकाल कर अपनी अलमारी थोड़ी हलकी कर लें, मगर जब साड़ियों का ढेर सामने लग गया तो सोचने लगी, ‘भले ये साड़ियां मैं ने नहीं पहनी या कम पहनी, मगर कामवाली को इतनी महंगी साड़ियां कैसे दे दूं? इस से तो अच्छा नैनीताल पहुंच कर मैं इन के सूट सिलवा लूं. कितनी हैवी साड़ियां हैं और कितनी सुंदर हैं. अम्मा की साड़ियां भी तो कितनी सुंदर हैं. गोटे लगा कर उन के भी हैवी सूट बन सकते हैं. बेटों की शादियां होंगी, रिश्तेदारों के बच्चों की शादियां होंगी तो ये हैवी सूट काम आएंगे. सोच कर रागिनी ने सारी साड़ियां फिर वापस अलमारी में सजा दीं. कबाड़ी को बेचने के लिए वह किचन से कुछ आड़ेतिरछे एलुमिनियम और ताम्बे के बर्तन, प्लास्टिक की बोतलें और जार आदि ही निकाल सकी.

दो हफ्ते बाद जब सिद्धार्थ घर की रजिस्ट्री वगैरा करवा के नैनीताल से लौटे तो उन्होंने रागिनी की बात सुन कर माथा पीट लिया. रागिनी कह रही थी कि सारा सामान नैनीताल ले चलते हैं. कुछ भी ऐसा नहीं है जो फेंका जा सके.

”वो घर इस घर से छोटा है. यह चार ट्रक सामान वहां नहीं अटेगा, आधे से ज्यादा निकालना होगा तब हम वहां शिफ्ट हो सकेंगे.” सिद्धार्थ ने गुस्से में कहा.

”मेरी तो समझ में नहीं आ रहा है कि क्या निकाल कर फेंक दूं. हर चीज कीमती है. तुम को जो ठीक लगे फेंक दो.” कह कर रागिनी भी गुस्से से उठ कर किचन में चली गई.

आखिर सिद्धार्थ ने ही लिस्ट बनानी शुरू की. जो सामान नया और मजबूत था वह अलग किया. पुराने पलंग, अलमारी, फ्रिज, एयर कंडीशन, कार्पेट जैसा काफी सामान ओएलएक्स पर बेचने के लिए डाला. कुछ की फोटो दोस्तों को भेजीं, यदि उन को कुछ लेना हो तो बताएं. काफी बर्तन और कपड़े कामवाली को और जमादार को दिए. टूटे-फूटे इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान से भरे डिब्बों को लोहे के दाम पर बेचा. छत पर लगे तीन दर्जन गमलों और प्लांट्स को सामने वाले पार्क का माली फ्री में ले गया. बच्चों के पुराने कपड़े और खिलौने अनाथाश्रम में भिजवाए. करीब महीने भर की मेहनत के बाद आखिरकार दो ट्रक सामान बचा जो नए घर में शिफ्ट हुआ.

रागिनी और सिद्धार्थ जैसी समस्या अनेक लोगों के सामने आती है. खासतौर पर सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के परिवार तो इस समस्या से हर चार-पांच साल में दो-चार होते हैं क्योंकि उन की ट्रांसफरेबल जौब्स होती हैं. घर बदलने पर सामान शिफ्ट करना अकसर जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है. इस दौरान कई तरह की व्यावहारिक और मानसिक परेशानियां सामने आती हैं. अव्वल तो यही समझ में नहीं आता कि क्या ले चलें और क्या छोड़ दें. ऐसे में मानसिक तनाव और अव्यवस्था अपनी चरम पर पहुंच जाती है. पूरे घर का रुटीन बिगड़ जाता है. कई दिन तक घर बिखरा हुआ रहता है. कामकाजी लोगों के लिए तो इस काम के लिए समय निकालना ही मुश्किल हो जाता है. घर बदलना हमेशा थोड़ा थकाने वाला होता है, लेकिन सही तैयारी से यह काम बिना तनाव के बहुत आसान हो सकता है. आइये हम आप को देते हैं बिना तनाव के शिफ्टिंग के लिए बेहतरीन और व्यावहारिक टिप्स –

2-3 हफ्ते पहले से प्लानिंग करें

एक लिस्ट बना लें कि क्या-क्या पैक करना है, किस दिन मूव करना है, किसे कॉल करना है. इस के लिए रोज 20-30 मिनट समय निकालें, तो आखिरी दिन हड़बड़ी नहीं होगी.

गैर-जरूरी सामान पहले अलग करें

शिफ्टिंग के दौरान 20–30% सामान ऐसा मिलता है जिस की भविष्य में जरूरत ही नहीं होती. तो इमोशनल हुए बिना ऐसे सामान को बाहर कर दें.

कमरे-वार पैकिंग करें

सामान की पैकिंग पहले कम इस्तेमाल वाले कमरे से शुरू करें, जैसे स्टोर और गेस्ट रूम से. इस के बाद ड्राइंग रूम और डाइनिंग रूम का सामान पैक करें. पैकिंग करते समय हर बॉक्स पर छोटा-छोटा लिखें कि यह किस कमरे का सामान है और इस के अंदर क्या-क्या है.

जरूरी सामान का एक “एसेंशियल बौक्स” तैयार करें. पहली रात और अगली सुबह काम आने वाली चीजें अलग से रखें. कपड़ों का एक जोड़ा, मोबाइल चार्जर, ब्रश/पेस्ट, साबुन, दवाईयां, पानी की बोतल, टावल और जरूरी कागजात एक अलग बॉक्स में रखें. इस का फायदा यह होगा कि नए घर में सारे बौक्स तुरंत खोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

फ्रैजाइल सामान को अच्छे से पैक करें. ग्लास, क्रोकरी, शोपीस को 2-3 लेयर बबल-रैप में पैक करें. नीचे भारी, ऊपर हल्का सामान रखें. बॉक्स पर बड़े अक्षरों में लिखें: “FRAGILE – HANDLE WITH CARE”

इलेक्ट्रॉनिक सामान और फर्नीचर की फोटो पहले खींच लें. टीवी, वाशिंग मशीन, वायरिंग कनेक्शन की फोटो दोबारा सेट करने में मदद करेगी. फर्नीचर को खोलने से पहले उसकी फोटो रखने से री-असेंबल करना आसान होता है.

पैकिंग मैटेरियल पहले ही ले आएं

कार्डबोर्ड बॉक्स, बबल रैप, पैकिंग टेप, मार्कर, प्लास्टिक शीट, स्ट्रेच फिल्म आदि काफी मात्रा में पहले ही खरीद कर रख लें. इन से पैकिंग जल्दी और सुरक्षित होती है.

एक अच्छी मूविंग कंपनी चुनें

सस्ती कंपनी चुनने की बजाय भरोसेमंद कंपनी चुनें, जिन का कुछ नाम हो. ऐसी कंपनी सामान सुरक्षित और समय से पहुंचा देती हैं और मार्केट में अपना नाम खराब नहीं होने देती हैं. अग्रिम बुकिंग कराने से रेट में भी कुछ कमी कर देती हैं.

मूविंग वाले दिन खुद ज्यादा काम न करें बल्कि केवल जरूरी निर्देश ही दें. बाकी जिम्मेदारी मूविंग कंपनी के कर्मचारियों पर छोड़ दें. वे अपने तरीके से सामान को ट्रक में अपलोड कर लेंगे. आप आराम से बस उनके काम को सुपरवाइज करें. भारी सामान खुद उठाने की कोशिश न करें. वरना नए घर में कमर दर्द ले कर पहुंचेंगे. Home Shifting Guide.

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