Relationship Guilt: सवाल – “मैं न चाह कर भी पति के भरोसे को चोट पहुंचा रही हूं. शादी को 9 साल हो चुके हैं. मेरे पति बहुत अच्छे इंसान हैं- समझदार, ईमानदार और परिवार को लेकर बेहद संवेदनशील. हमारी जिंदगी शांत और व्यवस्थित चल रही थी जब तक कि मेरे कॉलेज का एक पुराना दोस्त, आरव, मेरे संपर्क में नहीं आया. आरव और मैं कॉलेज के दिनों में बहुत अच्छे मित्र थे. हमारा रिश्ता कभी प्रेम का नहीं था लेकिन हम एक-दूसरे के बेहद करीब थे. फिर जिंदगी के उतार-चढ़ाव में संपर्क टूट गया. कुछ महीने पहले उस ने सोशल मीडिया पर मुझे ढूंढ़ लिया. शुरू में बस पुराने दिनों की बातें हुईं- हंसी-मजाक, यादें, दोस्ती का सुकून. पर धीरे-धीरे मैं महसूस करने लगी कि मैं हर छोटी बात उसे बताना चाहती हूं जैसे पहले बताया करती थी.  मेरे पति को इस बात का पता है, वे बाहर से बहुत संयमित हैं. मैं उन की आंखों में एक अजीब सी बेचैनी देखती हूं. कभी-कभी वे पूछ लेते हैं, ‘आज भी उस से बात हुई?’ और जब मैं ‘हां’ कहती हूं, तो माहौल भारी हो जाता है. मुझे इस दोस्ती को तोड़ देना चाहिए या पति से ज्यादा स्पष्ट हो कर बात करनी चाहिए, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा क्योंकि मेरा दिल और मेरा विवेक दोनों अलग-अलग दिशाओं में हैं?”

जवाब – आप के और आरव के बीच जो सहजता थी वह आप के जीवन का सच्चा और सुंदर हिस्सा है. पर अब आप की जिंदगी में एक और रिश्ता है जो आप के अस्तित्व के साथ जुड़ा है, न कि केवल भावनाओं से. जब किसी पुराने साथी की मौजूदगी हमारे आज के सुकून को हिला दे तो यह संकेत होता है कि सीमाएं धुंधली होने लगी हैं. आप का पहला कदम यही होना चाहिए कि आप खुद से ईमानदार रहें. अपने दिल से पूछिए, क्या आप इस दोस्ती में सिर्फ पुरानी यादें तलाश रही हैं या कोई भावनात्मक रिक्तता भर रही हैं? अगर जवाब दूसरा है तो आप को इस खालीपन का सामना अपने पति के साथ करना होगा, न कि किसी और के साथ. अपने पति से खुल कर बात कीजिए, लेकिन सफाई के अंदाज में नहीं, सच्चाई के साथ. कहिए, ‘मुझे महसूस हो रहा है कि तुम्हें असहजता हो रही है और मैं तुम्हारे भरोसे को आहत नहीं करना चाहती.  जहां तक आरव की बात है, रिश्ते का मूल्यांकन समय के साथ कीजिए. कभी-कभी हमें पुरानी यादें सहेजनी चाहिए लेकिन उन्हें वर्तमान पर हावी नहीं होने देना चाहिए. अगर आप को लगता है कि यह संबंध आप के वैवाहिक जीवन में उलझन ला रहा है तो एक सम्मानजनक दूरी बनाना गलत नहीं.

सवाल – “मैं घर में खुद को मेहमान सा महसूस करने लगी हूं. मेरी शादी को 6 साल हो चुके हैं. मेरे पति बेहद शांत और जिम्मेदार व्यक्ति हैं. शुरुआत में हमारा रिश्ता बहुत अच्छा था. हम दोनों नौकरी करते हैं पर पिछले एक साल में धीरे-धीरे मुझे लगने लगा है कि हमारे बीच एक तीसरा रिश्ता खड़ा हो गया है जो हम से कुछ नहीं कहता लेकिन सब कुछ बदल देता है. मेरी सास मुझ से सीधी नाराज नहीं रहतीं लेकिन हर बात में संकेतों के जरिए मुझे यह महसूस कराती हैं कि मैं उन के बेटे के जीवन में जरूरत से ज्यादा जगह घेर रही हूं. जब मैं किसी चीज का सुझाव देती हूं तो वे कहती हैं, ‘तुम तो नई हो, तुम्हें क्या पता हमारे घर का तरीका.’ कभी-कभी वे मेरे पति से कह देती हैं, ‘पहले से तुम कितने बदल गए हो?’ इन बातों का असर मेरे पति पर भी पड़ने लगा है. वे अब पहले की तरह खुल कर बात नहीं करते. जब मैं किसी बात की शिकायत करती हूं तो कहते हैं, ‘मां बूढ़ी हैं, ज्यादा मत सोचो.’  क्या मैं ही ज्यादा संवेदनशील हूं या सच में मेरी सास हमारे बीच एक अदृश्य दीवार बना रही हैं? मैं चाहती हूं कि घर में शांति रहे और रिश्ता भी न टूटे लेकिन यह संतुलन कैसे बनाऊं?”

जवाब – सब से पहले यह सम झिए कि सास के व्यवहार का उद्देश्य हमेशा रिश्ता तोड़ना नहीं होता. कई बार उन के भीतर यह डर होता है कि बेटे के विवाह के बाद उन की भूमिका घट रही है. वे इसे शब्दों में नहीं कहतीं पर हर टिप्पणी में वही असुरक्षा झलकती है. इसलिए, इस स्थिति को सिर्फ प्रतिस्पर्धा की नजर से देखने के बजाय मनोवैज्ञानिक संतुलन के रूप में समझिए. अब बात आप के पति की. उन्हें दोष देने के बजाय उन से यह स्वीकारोक्ति मांगिए कि आप दोनों एक टीम हैं. कभी-कभी पुरुषों को यह बात समझने में समय लगता है कि ‘बीच में न बोलना’ भी एक तरह का पक्ष लेना होता है. एक शाम सहज रूप से कहिए, ‘मैं जानती हूं, तुम्हारे लिए मां की भावनाएं सब से अहम हैं लेकिन जब मैं अकेली महसूस करती हूं तो चाहती हूं कि तुम मुझे भी परिवार का हिस्सा बनाओ, न कि किसी स्थिति का कारण.’ यह बात उन्हें रक्षात्मक नहीं, बल्कि सोचने पर मजबूर करेगी. सास के साथ अपने रिश्ते में सम्मान बनाए रखिए लेकिन हर बार चुप रहना भी सही नहीं. जब वे कुछ ऐसा कहें जो आप को चुभे तो बिना  झगड़े के मुस्कुरा कर कहिए, ‘मांजी, मैं सीख रही हूं, थोड़ा वक्त लगेगा. आखिर, मैं भी तो आप के घर की नई बेटी हूं.’ धीरेधीरे जब उन्हें यह एहसास होगा कि आप उन का स्थान नहीं छीन रहीं तो उन का बचाव भाव भी कम होगा. और आप के पति, अगर वे यह देखेंगे कि आप ने तकरार नहीं, बल्कि समझदारी से स्थिति संभाली है तो वे और मजबूती से आप के साथ खड़े होंगे. – कंचन Relationship Guilt.

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