Insurance Tips: मां की एक्सीडैंट में मौत. उस के जीवन बीमा के 22 लाख रुपए बेटे को मिले. इस के बाद पत्नी की संदिग्ध मौत. उस के जीवन बीमा के 80 लाख रुपए पति को मिले. फिर पिता की संदिग्ध मौत हुई और उन के जीवन बीमा के 50 करोड़ रुपए बेटे को मिलने थे, मगर इस बार भाग्य ने साथ नहीं दिया और वह पकड़ा गया.

यह मामला है हापुड़\मेरठ में रहने वाले एक परिवार का, जिस में साल 2017 में पहली मौत हुई थी. घर की मालकिन प्रभा देवी (उम्र 65) अपने बेटे विशाल सिंघल के साथ टू व्हीलर पर जा रही थीं. रास्ते में अचानक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. हादसा उन के लिए जानलेवा साबित हुआ. इस मौत को लोग दुर्भाग्य मान कर भूल गए.

5 साल बाद साल 2022 में परिवार पर फिर आफत आई. इस बार विशाल की पत्नी एकता की अचानक मौत हो गई. उस को मामूली हार्ट अटैक आया था. अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां से छुट्टी मिलने के बावजूद वो रात भर भी नहीं जी सकी. परिवार पर मातम छा गया. अब घर में सिर्फ बाप और बेटा बचे थे. लेकिन साल 2024 मार्च में एक और अनहोनी हुई. विशाल के पिता और पेशे से फोटोग्राफर मुकेश सिंघल की सड़क हादसे में मौत हो गई. गढ़ गंगा से लौटते वक्त उन का एक्सीडैंट हुआ. इन तीनों मौतों को नियति माना जा रहा था. लेकिन असली खेल तब खुला जब विशाल ने अपने पिता की मौत के बाद बीमा क्लेम किया. वो क्लेम पूरे 39 करोड़ रुपए का था. ये रकम किसी एक पौलिसी से नहीं बल्कि 60 अलगअलग बीमा पौलिसियों के जरिए क्लेम की गई थी.

बीमा कंपनियों के अधिकारी ये सुन कर चौंक गए. उन्होंने पाया कि विशाल और उस के पिता हर साल करीब 30 लाख रुपए प्रीमियम के तौर पर चुका रहे थे. जबकि सिंघल परिवार की आर्थिक हैसियत इतनी नहीं थी. खुद मुकेश सिंघल एक साधारण फोटोग्राफर थे और विशाल भी कोई बड़ा काम नहीं करता था. सवाल यही उठा कि आखिर इतनी भारीभरकम पौलिसियां क्यों ली गईं?

बीमा कंपनियां जांच में जुटीं, तभी पुलिस के पास एक और सनसनीखेज शिकायत पहुंची. शिकायतकर्ता खुद को विशाल की चौथी पत्नी बताने वाली महिला थी. उस ने दावा किया कि विशाल ने उस के नाम पर भी 3 करोड़ का बीमा करवा रखा है. उस ने बताया कि विशाल ने अब तक जिस के नाम पर भी बीमा पौलिसी ली है, वो सब के सब रहस्यमय मौत के शिकार हो चुके हैं. इसलिए अब उस को भी जान जाने का डर है.

पुलिस जांच शुरू हुई तो राज एकएक कर सामने आते गए. साल 2017 में मां की मौत के बाद विशाल को 25 लाख रुपए का बीमा क्लेम मिला था. पहली पत्नी की मौत पर उसे 80 लाख रुपए मिले थे. पिता की मौत पर वह 39 करोड़ का क्लेम कर रहा था. इस केस ने मेरठ पुलिस के साथ संभल की एएसपी अनुकृति शर्मा का भी ध्यान खींचा, जो पहले ऐसे केस डील कर चुकी थी.

एएसपी अनुकृति शर्मा की टीम ने पड़ताल की तो बड़ा खुलासा हुआ. पता चला कि मुकेश की मौत असल में सड़क हादसे से नहीं बल्कि अस्पताल में हत्या से हुई थी. विशाल ने अपने पिता को पहले हापुड़ के नवजीवन अस्पताल में भर्ती कराया और फिर मेरठ के आनंद अस्पताल ले गया. वहां मिलीभगत से उन की हत्या कर दी गई. मौत को हादसा बता कर केस को दबा दिया गया.

इतना ही नहीं पुलिस जांच में ये भी सामने आया कि विशाल ने पिता की मौत से महज दो महीने पहले चार महंगी गाड़ियां लोन पर खरीदी थीं. जब पिता की मौत हुई, तो लोन देने वाली कंपनी ने नियमों के तहत पूरा कर्ज माफ कर दिया. वो अब चार फ्री गाड़ियों का मालिक था. पुलिस जांच में साफ हुआ कि विशाल की मोडस औपरेंडी यही थी. उस ने खुद अपनी मां की हत्या की थी.

विशाल अकेला नहीं था. उस के साथ उस का एक दोस्त भी था, जो हर बीमा पौलिसी में गवाह के तौर पर शामिल होता था. यही दोस्त बीमा ठगी की साजिश में उस का पार्टनर था. मौतों को एक्सीडैंट साबित करने के लिए डाक्टरों और फौरेंसिक एक्सपर्ट्स ने भी खेल खेला था.

8 वर्षों में 3 मौतें और 39 करोड़ का बीमा. ये कहानी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि बड़े इंश्योरेंस सिंडिकेट का पर्दाफाश है. दौलत के लालच में कलियुगी बेटे ने अपने सगे मां बाप और पत्नी को मार दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अमीर हो कर आराम की जिंदगी जीना चाहता था. हत्यारे विशाल सिंघल और उस के सहयोगी सतीश को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

एटा में 15 लाख रुपए की बीमा राशि हड़पने के लिए पंकज सिंह ने अपनी पत्नी आकांक्षा सिंह की हत्या कर दी. पंकज ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची. उसने पहले पत्नी के नाम पर 5 लाख और 10 लाख रुपए के दो बीमा करवाए. उस के नाम पर एक गाड़ी भी खरीदी. 22 सितंबर को पंकज ने आकांक्षा को हाईवे के पास बुलाया और लोडर से कुचलकर मार दिया. वारदात को एक्सीडैंट का रूप देने की कोशिश की गई.

कोलकाता में रितेश कुमार शा को 14 साल बाद अपनी पत्नी मधुमाला शा पर गोली चलाने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई. आरोप था कि उस ने अपनी पत्नी का एक करोड़ रुपए का जीवन बीमा करवाया था और उसे मौत के घाट उतार कर बीमा राशि प्राप्त करने की कोशिश की थी.

जीवन बीमा की राशि हड़पने के लिए अपने करीबियों को मौत के घाट उतारने की साजिशें सिर्फ भारत में ही नहीं हो रही हैं, अमेरिका का एक पुराना और चर्चित मामला है, जहां रौबर्ट मार्शल ने $1.5 मिलियन की बीमा राशि पाने के लिए अपनी पत्नी मारिया मार्शल की हत्या करवाई.

रौबर्ट मार्शल खुद एक बीमा एजेंट था. उस का परिवार समाज का एक प्रतिष्ठित परिवार था, मगर मार्शल का एक अन्य औरत से विवाहेतर संबंध हो गया था और वह जुए के कारण भारी कर्ज में डूब गया था. इस की भरपाई के लिए उस ने पत्नी के बीमे की राशि प्राप्त करने की योजना बनाई. 6 सितंबर 1984 को, अटलांटिक सिटी में जुआ खेलने के बाद घर लौटते समय, मार्शल ने अपनी गाड़ी को एक सुनसान पिकनिक स्थल पर रोका. उस वक्त मरिया उस के साथ थी.

मार्शल ने दावा किया कि गाड़ी के टायर में दिक्कत थी. तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला किया और उन की पत्नी मारिया को गोली मार दी और उन के पास से सभी बहुमूल्य चीजें छीन ले गए. लेकिन पुलिस जांच में पता चला कि उन के साथ कोई डकैती नहीं हुई थी. पुलिस ने पाया कि मार्शल ने एक भाड़े के हत्यारे को अपनी पत्नी की हत्या करने के लिए $65,000 का भुगतान किया था.

मार्शल ने दो लोगों को काम पर रखा था – बिली वेन मैकिनोन और लैरी थौम्पसन. मैकिनोन ने गवाही दी कि मार्शल ने उसे हत्या के लिए काम पर रखा था, और थौम्पसन ने वास्तव में गोली चलाई थी. मार्शल को 1986 में हत्या की साजिश का दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई. बाद में, उन की मौत की सजा को 2006 में आजीवन कारावास में बदल दिया गया.

कनाडा में क्रिस्टीन डेमेटर की हत्या का मामला काफी प्रसिद्ध है. उस के पति पीटर डेमेटर ने उस की हत्या करवा कर बीमा राशि पाने की योजना बनाई थी. मगर वह पकड़ा गया. न्यायालय में वह दोषी पाया गया.

अमेरिका में लिडा साउथहार्ड नाम की महिला पर विभिन्न समयों पर अपने पतियों, रिश्तेदारों और एक बेटी की हत्या का आरोप लगा. उस का मकसद बीमा राशि पाना था. लिडा ‘फ़्लाईपेपर लायडा’ नाम से भी जानी जाती थीं, क्योंकि हर बार उस ने जहर घोलने के लिए फ्लाईपेपर (मच्छर मारने का जहरीला कागज़) उपयोग किया था.

आज के समय में जब रिश्ते बहुत गहरे नहीं रह गए हैं ऐसे में जीवन बीमा और उस से जुड़े अपराधों की बढ़ती संख्या को ले कर समाज में चिंता उभर रही है. ऐसी अनेक घटनाएं सामने आ रही हैं जब पति ने अपनी पत्नी का जीवन बीमा करवाया और फिर उस की ह्त्या कर बीमा की राशि हड़प ली. कई मामलों में बैंक ने कुछ संदिग्ध पाया, और जांच में सच सामने आया.

गौरतलब है कि बीमा कंपनियां अकसर ‘स्व-हस्तक्षेप’, “डबल इनडेम्निटी क्लोउस’, हत्या या बदमाशी के मामलों में भुगतान रोकने के प्रावधान रखती हैं. वे पुलिस को भी सूचित करती हैं. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु की परिस्थिति संदिग्ध हो, तो पुलिस और न्यायालय जांच करते हैं कि मृत्यु दुर्घटना, आत्महत्या या हत्या थी. और यदि हत्या प्रमाणित होती है तो बीमा कंपनी द्वारा भुगतान का दावा नकार दिया जाता है और आरोपी को दंडित किया जाता है.

वैसे तो जीवन बीमा की शुरुआत पुरुषों को ध्यान में रख कर हुई थी. पुरुष जिस के कंधे पर परिवार चलाने की जिम्मेदारी होती है, यदि उस को असमय कुछ हो जाए तो उस के परिवार को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े, इस सोच के तहत जीवन बीमा को लाया गया था. जीवन बीमा का मकसद पुरुष के आश्रितों के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करना है. जिस व्यक्ति पर उस का परिवार और बच्चे आश्रित हैं, उस की अचानक मौत पर जीवन बीमा उन्हें एक बड़ी राशि देता है, जिस से बच्चों की पढ़ाई जारी रहे, घर का खर्च चल सके या किसी प्रकार की ईएमआई हो तो वह जाती रहे. मगर देखने में आ रहा है कि जीवन बीमा करवा के अपनी जान से हाथ धोने वाली अधिकतर महिलाएं होती हैं. आज के समय में घर की औरतों का जीवन बीमा बड़ी संख्या में करवाया जा रहा है. नई बहू आई नहीं कि उस का जीवन बीमा करवा दिया जाता है.

भारत में जिस तरह की आपराधिक घटनाएं सामने आ रही हैं उस से तो लगने लगा है कि अब जीवन बीमा करवाने का मतलब है अपनी जान को खतरे में डालना.

महिलाओं को अपना जीवन बीमा करवाने से बेहतर है अपना हैल्थ बीमा करवाना, ताकि बीमारी की हालत में वह अपने पति या ससुरालियों पर बोझ न बनें. परिवार में सभी का हैल्थ बीमा होना चाहिए. हैल्थ बीमा जिंदा रहते काम आता है. जब आप बीमार पड़ते हैं या अस्पताल में भर्ती होते हैं, तब हैल्थ बीमा आप के इलाज का खर्च उठाता है. इस से आप की सेविंग सुरक्षित रहती है और अचानक आने वाले मैडिकल खर्चों से आप कर्ज में नहीं डूबते. आज जिस तेजी से महंगाई और अस्पताल खर्च बढ़ रहे हैं, इलाज का खर्च साल दर साल बढ़ता जा रहा है. एक सामान्य बीमारी का भी बिल भी लाखों में बनता है. ऐसे में हैल्थ बीमा सब से बड़ा सहारा बनता है.

जीवन बीमा तो आप की मौत के बाद आप के आश्रितों को लाभ देता है. यानी यह आप को कोई लाभ नहीं पहुंचाता बल्कि आपकी मृत्यु के बाद दूसरों के काम आता है. लाइफ इंश्योरेंस की जगह इन्वेस्टमैंट विकल्प ज्यादा बेहतर है. जो पैसा लोग जीवन बीमा में डालते हैं, उसे अगर म्यूचुअल फंड या एसआईपी में निवेश करें तो अधिक रिटर्न और लिक्विडिटी मिल सकती है. इस के साथ ही आप इस आशंका से भी मुक्त रहेंगे कि कहीं बीमा की राशि पाने की नीयत से आप का अपना ही आप को मौत की नींद न सुला दे. इसलिए पहले अपने जीवन और अपनी सेहत की सुरक्षा करें, फिर भविष्य की योजना बनाएं. यानी पहले हैल्थ इंश्योरेंस, फिर यदि बहुत जरूरी हो तो लाइफ इंश्योरेंस कराएं. क्योंकि जीवन बीमा, जो सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है, आजकल कुछ लालची लोगों के लिए अपराध का साधन बन गया है. Insurance Tips

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