Hindi Satire Story: लेखक: हनुमान मुक्त - राजनीति भी क्या अजीब नखरे वाली प्रेमिका है. जो दिल से चाहो, वही धोखा दे जाती है. यहां इमोशन नहीं, इलैक्शन चलते हैं.

21वीं सदी की राजनीति में अगर कोई चीज सब से स्थायी है तो वह है कुरसी से चिपकाव, जिसे मेडिकल साइंस में अब ‘पोस्ट-पोल कुरसी सिंड्रोम’ कहा जाने लगा है.

परंतु जब अचानक उन्होंने चुपचाप इस्तीफा दे दिया और स्थिति की वजह अपना खराब स्वास्थ्य बताया तो सुन कर पूरा राष्ट्र हतप्रभ रह गया. भला कोई खराब स्वास्थ्य की वजह से इतनी बड़ी कुर्सी से इस्तीफा देता है?

कदापि नहीं.

बल्कि, उस कुर्सी पर बैठने मात्र से ही खराब से खराब स्वास्थ्य भी अच्छा हो जाता है.

यह कारण कुछ समझ नहीं आया.

इस से भी ज्यादा हैरान वे लोग हुए जो वर्षों से उन से इस्तीफा मांग रहे थे लेकिन वे दे नहीं रहे थे और आज अचानक बिना मांगे ही दे दिया. बात कुछ हजम नहीं हो रही.

उन के अचानक इस्तीफा देने से मैं भी बहुत दुखी हूं. दुखी होने का कारण यह भी है कि वे मेरे ही प्रांत से हैं. कभी-कभार मैं दूसरे प्रांत के लोगों को उन की धौंस दे दिया करता था. अब मैं कैसे दूंगा, इस की मुझे चिंता सता रही है.

मुझे उन्हें ऐसा करते देख कर रोना आ रहा है. मैं जानता हूं, वे अपने मन से इस्तीफा नहीं दे सकते. निश्चित रूप से उन पर कोई दबाव डाला गया है. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है, यह बात मुझे हजम नहीं हो रही थी. सो, मैं इस्तीफे की वजह पूछने उन के पास चला गया.

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