लेखक – सुमित सेनगुप्ता
Hindi Kahani : रात साढ़े ग्यारह बज चुके हैं. सुशांत का सैशन अभी भी खत्म नहीं हुआ है. बाहर घुप अंधेरा है. चांद काले बादलों की घनी परत से ढका हुआ है. सुशांत शाम से बालकनी में बैठा हुआ है. एक सिगरेट का पैकेट खाली हो चुका है, दूसरा आधा खाली हो गया है. उस की पत्नी रिनी कमरे में सो रही है, उस ने नींद की गोली खा ली है. इतनी व्हिस्की पीने के बाद भी सुशांत की आंखों से नींद गायब है. उस की सारी मेहनत और कोशिशें आज बेकार साबित हो गई हैं.
बचपन में कुमिल्ला से कोलकाता भाग कर आना पड़ा. पिता की बचत और संपत्ति सब दंगे के कारण पानी की तरह बह गई. दक्षिण कोलकाता में यादवपुर के इस इलाके में आ कर पिता ने कपड़े की दुकान में लेखाजोखा का काम शुरू किया. बहुत कठिनाई से दिन गुजरते थे. एक भाई, एक बहन, मां और पिता के साथ छोटा सा परिवार था. मां एक ब्रैड फैक्ट्री में काम करने जाती थीं. उन का काम ब्रैड के पैकेट पर मोम की परत चढ़ाना था. गरमी के दिनों में फैक्ट्री की आग की गरमी मां के शरीर की सारी ऊर्जा खत्म कर देती थी. रात में मां को रसोई में नहीं जाने दिया जाता था. भाईबहन मिल कर रात का खाना बनाते थे. बचपन में सीखा हुआ खाना बनाने का हुनर आज भी सुशांत के काम आता है. रसोई में जा कर उस ने अंडे का आमलेट और चीज स्प्रैड के साथ चार सैंडविच बनाए. पेट में शराब पड़ने से भूख बढ़ गई है. रिनी को अभी जगाना नहीं है.
दोपहर में ब्रिस्टल से पुत्र सुपर्ण के दोस्त सुमन का फोन आया था. उस के बाद से सुशांत मानसिक रूप से बहुत परेशान हो गया है. सुपर्ण अस्पताल में है, गहरे अवसाद में है, उस का इलाज चल रहा है. सुशांत का सजाया हुआ बगीचा बिखर गया है. सुशांत हमेशा से ही परिवारप्रेमी रहा है. परिवार पर किसी तरह की आंच नहीं आने देता था. एक तरफ अपने कैरियर को बनाने में लगा रहता तो दूसरी तरफ परिवार की देखभाल करता था. जीवन की इस सफल प्रोग्रामिंग ने सुशांत को सामाजिक मानदंडों में ‘द कंप्लीट मैन’ का खिताब दिला दिया. सुशांत ने इस बात का आनंद लिया. बचपन में इस चीज की कमी महसूस होती थी.
मांपिता दिनरात मेहनत करते थे. भाईबहन पढ़ाई और काम में अच्छे थे, लेकिन आर्थिक कमजोरी के कारण सामाजिक सम्मान नहीं मिलता था. कुछ दिनों पहले सुपर्ण और कैरल भारत आए थे. उन की शादी का जश्न मनाने के लिए सुशांत ने बड़ी पार्टी दी थी. सब को दिखा कर सुशांत ने कहा था कि सुपर्ण ने सिर्फ एक अंगरेज लड़की नहीं, बल्कि एक सुंदर लड़की से शादी की है. सुपर्ण बिलकुल पिता की तरह दिखता है. पिता की तरह नहीं, बल्कि पिता से भी एक कदम आगे. बड़े घर की लड़की रिनी को प्यार के बंधन में बांध कर सुशांत ने दोस्तों को दिखाया था, ‘देखो मेरे कैलिबर को’. उस दिन पार्टी में सुपर्ण और कैरल को सब को दिखाया, खासकर अपनी ससुराल वालों को.
रिनी के घर वालों को सुशांत से शादी कराने का बिलकुल मन नहीं था. सुशांत छोटी जात का था, घर की स्थिति अच्छी नहीं थी और उस के चेहरे पर कोई चमक नहीं थी. वह कांटा अभी भी उस के मन में चुभता है. उस दिन सब को दिखा कर सुशांत ने कहा था, ‘कैरल जैसी सुंदर लड़की कहीं नहीं दिखती.’ मन में सोचा था कि इस का मतलब सब को सम झ में आ गया होगा. सब को दिखाते हुए सुपर्ण को पास खींच कर सुशांत ने कैरल से कहा था, ‘यह मेरा पर्ण है. सिर्फ मेरा.’ सुंदरी कैरल सुपर्ण को अपने पास खींच कर होंठों पर चुंबन लगा कर बोली थी, ‘नहीं, पर्ण मेरा है, मेरा दिल, मेरी जिंदगी. सिर्फ मेरा.’ उस दिन सुशांत खुशी से झूम उठा था कि वह सब को पीछे छोड़ कर काफी आगे निकल चुका है.
सुशांत और रिनी ने बचपन से पर्ण को बहुत लाड़प्यार से पाला है. क्लास 8 तक सुशांत ने पर्ण को सभी विषय खुद पढ़ाए. आजकल के सिलेबस में अंगरेजी व्याकरण में कुछ खास नहीं है. इसलिए अच्छी अंगरेजी सीखने के लिए सिलेबस से बाहर जा कर पढ़ना पड़ता है. पर्ण के लिए रेन मार्टिन और पीके दि सरकार की अंगरेजी व्याकरण की किताबें खरीद कर पढ़ाईं. पति और पत्नी दोनों का ध्यान पर्ण पर था. पर्ण को सब से अच्छा बनाना था. इस के लिए जीवन में उन्हें बहुत त्याग करना पड़ा. दोस्तों के साथ आउटिंग या पिकनिक पर नहीं जाते थे वे. यहां तक कि उन्होंने रिश्तेदारों से भी संपर्क कम कर दिया. पर्ण ने भी मातापिता को निराश नहीं किया. एक बार में जौइंट क्लियर कर दिया. सुशांत हर कदम पर बेटे को जीवन का पाठ पढ़ाता, कहता, ‘जीवन में कोई फिक्स्ड थ्योरी नहीं चलती. स्थिति को सम झ कर चलना होता है. भावुक मत होना. भावुकता हमारे निर्णय के सामने एक अदृश्य परदा डाल देती है. जो लोग जीवन में तरक्की करते हैं वे बचपन से ही भविष्य का रोडमैप बना लेते हैं.’
अपने चेहरे को ले कर पर्ण हमेशा शर्मिंदा रहता. चेहरे और बुद्धि में पर्ण पूरी तरह से पिता का बेटा था. त्वचा का रंग काला होने के साथसाथ पूरे शरीर पर बड़ेबड़े बाल थे. कालेज में पर्ण के दोस्त उसे ‘भालू’ कह कर बुलाते थे. पर्ण कालेज के दिनों में बहुत शर्मीला था. होस्टल में रहने के बावजूद उस की शर्म दूर न होती थी. घर आने पर वह अपने मोबाइल, लैपटौप और गिटार में व्यस्त रहता. शारीरिक कुरूपता के कारण पर्ण खुद को सिमटा कर रखता था. एक बार न्यू मार्केट में शौपिंग करते समय पर्ण की कालेज की एक सहेली और उस के परिवार से मुलाकात हुई. पर्ण न देखने का नाटक कर के भागने लगा लेकिन वह लड़की आगे बढ़ कर बात करने लगी.
जब पर्ण की इंग्लिश लड़की कैरल से दोस्ती हुई तो सुशांत और रिनी दोनों हैरान रह गए. कैरल सुंदर और स्मार्ट थी. फेसबुक पर पर्ण को फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी. पहले मैसेंजर बौक्स में बातचीत होती थी. फिर व्हाट्सऐप पर. कैरल ब्रिस्टल में रहती थी, जो भारतीय समय के अनुसार कोलकाता से चार घंटे पीछे है. सुबह ग्यारह बजे पहला गुडमौर्निंग मैसेज आता था. फिर पूरे दिन चैटिंग और वीडियो कौलिंग चलती. सुशांत ने कभी किसी विदेशी से बात नहीं की थी. जब पर्ण ने कहा कि वह कैरल से बात कराएगा तो रिनी तो क्या, सुशांत भी बहुत डर गया, क्या वह ब्रिटिश एक्सेंट सम झ पाएगा. लेकिन पहली बार बात करने के बाद सारे डर दूर हो गए.
कैरल से बात कर के बहुत अच्छा लगा. लड़की बहुत उत्साही और बातूनी थी. सुशांत को डैड कह कर बुलाती थी. सुशांत की कोई बेटी नहीं थी, इसलिए किसी लड़की के मुंह से डैड सुनना नया था. जल्दी ही पूरे परिवार के साथ कैरल का रिश्ता बन गया. कैरल ने सुशांत और रिनी के कपड़ों का साइज मांगा. फिर विदेश से गिफ्ट आया. सुशांत ने भी बहुतकुछ भेजा.
पर्ण का बीटैक पूरा हो गया. सुशांत ने कहा, ‘कहीं नौकरी कर लो. दो साल बाद एमबीए कर लेना.’
पर्ण ने दृढ़ता से कहा, ‘नहीं पापा, मैं मास्टर्स करूंगा.’
सुशांत ने थोड़ा चिंतित हो कर पूछा, ‘वह कहां करना चाहते हो?’
पर्ण ने जवाब दिया, ‘ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में मु झे आंशिक छात्रवृत्ति मिली है. रहने का खर्च नहीं लगेगा. जाने का किराया लगेगा. बाकी खर्चा चला लूंगा.’
सुशांत ने थोड़ा चिढ़ कर कहा, ‘सम झ में नहीं आया, रहने का खर्च नहीं लगेगा का मतलब? इस के अलावा भी तो खर्च बहुत हैं.’
कुछ देर रुक कर पर्ण ने संकोच के साथ कहा, ‘मतलब, मैं कैरल के घर रहूंगा. उस ने मेरे लिए एक पार्टटाइम नौकरी भी ढूंढ़ी है.’
सुशांत को यह बात झटके की तरह लगी. अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ. मन में सोचा, मेरा बेटा उस्ताद बन गया है, बहुत आगे निकल गया है. मेरी चिंता कम हो गई. फिर भी, आश्चर्य जताते हुए बोला, ‘क्या, विदेश में ऐसे किसी को जाने बिना उस के घर पर रहोगे? तुम हमारे इकलौते बेटे हो, इतना रिस्क लेना ठीक नहीं है.’
तीन दिनों तक पर्ण ने पिता से बात नहीं की. पिता को देख कर दूसरी तरफ मुड़ जाता. रिनी आ कर सुशांत से बोली, ‘देखो, बेटा बड़ा हो गया है, विदेश जाने का मौका मिला है. जाने दो उसे एक बार. कुछ गड़बड़ लगे तो वापस आ जाएगा. उम्र तो कम है, एक मौका मिला है, जाने दो.’
सुशांत ने पर्ण का फ्लाइट टिकट कटवा दिया. उस के खाते में कुछ पाउंड डाल दिए ताकि पहला झटका सहने में मदद मिले. कैरल और उस का भाई एयरपोर्ट पर पर्ण को लेने आए और उसे अपने घर ले गए. रिनी के जरिए सुशांत को पता चला कि कैरल की मां तलाकशुदा है. वह, उस का भाई और मां एकसाथ रहते हैं. कैरल फैशन डिजाइनर है. एक लड़की के साथ मिल कर गारमैंट बनाने की दुकान चलाती है. कैरल की पढ़ाई ज्यादा आगे नहीं बढ़ी. कभीकभी फोन आता है, वे सब ठीक हैं.
छह महीने बाद रात में खाना खाने के बाद रिनी ने सुशांत को पास बिठा कर कहा, ‘पर्ण ने फोन किया था. कुछ नया हुआ है. तुम शांत मन से सुनो.’
रिनी की बात सुन कर सुशांत सम झ नहीं पा रहा था कि क्या होगा. ‘कैरल प्रैग्नैंट है और पर्ण उस से शादी करेगा.’ पर्ण ने अपनी मां को सम झाया, ‘मां, सम झा करो, कैरल से शादी करने से कैरियर में बहुत फायदा होगा. स्टूडैंट वीजा में बहुत परेशानी है. कैरल से शादी करने पर वह ग्रीनकार्ड होल्डर बन जाएगा. यूके में स्थायी रूप से रह सकेगा और सरकारी नौकरी भी मिल जाएगी.’
जल्दी से वीजा व पासपोर्ट बनवा कर सुशांत और रिनी ब्रिस्टल पहुंचे. शादी कर बेटे और बहू को साथ ले कर भारत लौटे. भारत में इस बात का सामाजिक पहलू भी संभालना था. भारत में 15 दिन रह कर पर्ण और कैरल ब्रिस्टल लौट गए. तीन महीने बाद सुशांत और रिनी दादादादी बन गए. पोता हुआ है, रंग कैरल की तरह है. पर्ण के कैरियर की चिंता अब सुशांत को नहीं है. मास्टर्स का काम अब रुक गया है. नौकरी कर के पैसा कमाना अब पर्ण के लिए मुख्य हो गया है, यह सुशांत अच्छी तरह सम झता है. इस निराशा को जाहिर कर के हलका होने का कोई रास्ता नहीं है. प्रतियोगिता में पीछे रह जाएगा. पर्ण के पिता होने की बात को कुछ लोगों से छिपा कर रखना पड़ा. एक के साथ एक मिला कर तीन करने वाले लोगों की कमी नहीं है.
आजकल सुशांत को वीडियो कौलिंग पर बात करने का मन नहीं करता. कहीं रिनी दुखी न हो जाए, पर्ण को तकलीफ न हो, इसलिए कैमरे के सामने बिना किसी गलती के अभिनय करना पड़ता है. कभीकभी जबरदस्ती पर्ण को पैसे भेजता है. नए कपड़े खरीद कर रिश्तेदारों और दोस्तों को बताता है, ‘यह पर्ण ने मु झे दिया है.’ लेकिन मेहनत से कमाए गए पैसों का सही उपयोग नहीं हो रहा है, इस का जवाब अपने मन को कैसे दे. पर्ण को भी अब थोड़ी शर्म आती है. भारत आने की बात नहीं करता. आने की बात उठने से कहता है, ‘तुम लोग आओ.’
सुशांत सम झता है कि पर्ण के लिए इतने पैसे फ्लाइट के किराए में देना अब संभव नहीं है. सुशांत ने टिकट कटवाने की पेशकश की थी, लेकिन पर्ण ने लेने से मना कर दिया. ब्रिस्टल जा कर सुशांत ने सम झ लिया कि कैरल के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. कैरल जो दुकान चलाती है, वह एक तरह की दरजी की दुकान है. सारा काम कैरल और उस की पार्टनर मिल कर करती हैं. कुछ दिनों पहले रिनी ने जबरदस्ती वीडियो कौलिंग की. पर्ण को देख कर रिनी चौंक गई. यह क्या हालत हो गई है, दुबलापतला चेहरा, आंखों के नीचे गहरे काले घेरे, बाल बिखरे हुए. पूछने पर पर्ण ने कहा, ‘काम का दबाव और बेटे पौल की वजह से रात को ठीक से नींद नहीं आती.’
फोन पर रिनी गरज उठी, ‘पर्ण, मैं तेरी मां हूं. मु झ से कुछ मत छिपाओ. अगर खराब लगे तो सब को ले कर चले आओ.’
यह सुन कर पर्ण हंस दिया, बोला, ‘तुम लोग चिंता मत करो. थोड़ा आराम कर लूंगा तो सब ठीक हो जाएगा.’ फिर आज पर्ण के कालेज के दोस्त सुमन का फोन आया, ‘आंटी, सुपर्ण को अस्पताल में भरती कराना पड़ा है. उस की मानसिक स्थिति बहुत खराब है. वह ‘डीप डिप्रैशन’ में है. ट्रीटमैंट चल रहा है. आप लोग चले आओ. नहीं तो उसे ठीक नहीं किया जा सकेगा.’
चिंतित स्वर में रिनी ने पूछा, ‘कैरल कहां है?’
सुमन ने कहा, ‘कैरल ने उसे छोड़ दिया है.’
रिनी ने पूछा, ‘कैरल कहां गई है? उस के घर?’
सुमन ने कहा, ‘नहीं आंटी, वह अब अपने बिजनैस पार्टनर के साथ रहती है.’
रिनी थोड़ी राहत महसूस करती है, हौसला दे कर बोली, ‘ठीक है, हम आ रहे हैं. गुस्से में दोस्त के घर चली गई है. देखते हैं, जा कर सम झाबु झा कर कुछ कर सकते हैं.’
सुमन हंस पड़ा, बोला, ‘आंटी, बात इतनी आसान नहीं है. कैरल अपने बिजनैस पार्टनर से शादी कर रही है. उन का यह रिश्ता बहुत पुराना है.’
रिनी थोड़ी हैरान हो कर बोली, ‘उस का बिजनैस पार्टनर तो एक लड़की है.’
सुमन फिर हंस पड़ा, खुद को संभाल कर बोला, ‘आंटी, यहां यह भी होता है. एक बच्चा पाने के लिए कैरल ने सुपर्ण से शादी की थी. उस ने सुपर्ण को अपने मिशन को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया.’
रिनी मोबाइल पकड़े नहीं रह सकी, लाइन काटे बिना ही पास की मेज पर रख दिया. उधर से सुमन की आवाज आ रही थी, ‘आंटी, आंटी, क्या आप मु झे सुन सकती हैं? कैन यू हियर मी? आप लोग जल्दी चले आओ.’ Hindi Kahani