पूर्व कथा

एक दिन देर रात तक जब रज्जाक घर नहीं लौटा तो रानो को उस की चिंता सताने लगी. परेशान रानो सुलेमान बेकरी में फोन करती है. उसे पता चलता है कि वह सुबह ही किसी अनजान आदमी के साथ बिना बताए कहीं चला गया है. यह सुन कर रानो परेशान हो जाती है और अतीत की गलियों में खो जाती है.

वह एम.ए. की परीक्षा के बाद ननिहाल आई थी. जिस दिन उस ने अपने घर लौटने का प्रोग्राम बनाया था उस से पिछली रात कुछ अज्ञात आतंकवादी आधी रात को ननिहाल में सब को गोलियों से भून देते हैं पर रानो बच जाती है. एक आतंकवादी उसे देख लेता है और उस की जान बख्श देता है.

गांव में दहशत फैलाने के बाद वे नशे में धुत्त हो जाते हैं तो उन में से एक आतंकवादी रानो के पास आता है. वे दोनों वहां से भाग जाते हैं.

बस में बैठी रानो अपने घर वालों को याद कर के रोने लगती है. वह उसे सांत्वना देता है और उस को जम्मू उस के घर छोड़ने जाता है. रानो के मातापिता उसे जलीकटी सुना कर घर से निकाल देते हैं.

अनजान जगह पर बैठे दोनों भविष्य की योजना बनाते हैं. वह रानो को अपने अतीत के बारे में बताता है. रानो को वहीं छोड़ वह अपनी मां के पास दिल्ली जा कर पैसे ले कर आता है.

दिल्ली में ही दोनों किराए के मकान में रहने लगते हैं. एक दिन वह रानो के सामने विवाह का प्रस्ताव रखता है और दोनों मंदिर में जा कर शादी कर लेते हैं. काम की तलाश में भटकता वह सुलेमान बेकरी पहुंचता है और अब आगे...

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