Hindi Kahani : मुझे कुत्ते से कोई प्रेम नहीं है. बदले में कुत्ते को भी मु झ से प्रेम नहीं है. जहां आदमी को ही आदमी से प्रेम नहीं है, वहां कोई कुत्ते से प्रेम भला कैसे कर सकता है? मैं ने कभी कुत्ता नहीं पाला. इसलिए मेरी बिल्डिंग में मु झे जानने वाले बहुत कम हैं. यह भी कोई बात हुई कि आप की पहचान कुत्ते के कारण हो. मु झे दुख होता है जब भी कोई अजनबी मेरा पता पूछता है तो लोग उस से सवाल करते हैं, ‘क्या उन के पास कुत्ता है?’ यानी मालिक का नाम केयर औफ कुत्ता.

वाह, अब कुत्ते से आदमी की पहचान होती है. उस के मालिक के स्टेटस की पहचान होती है. कुत्ते की नस्ल से ही उस के मालिक की हैसियत का पता चलता है. उस का नाम भी मालिक की क्वालिटी बताता है. शेरू, फेरु, भेरु, कालू जैसे नाम से पता चलता है कि मालिक गांवखेड़े का है. आजकल कुछ लोग टौमी, लौयन जैसे नाम रख कर अपने कुत्ते की ब्रीड बताते हैं. कुत्ते की तारीफ में भूल जाते हैं कि उस के मालिक वे खुद हैं. कुछ खिसके हुए मालिक अपने कुत्ते का नाम अपने दुश्मन के नाम पर रखते हैं, जैसे... खैर, जाने दीजिए. ये कुत्ते आदमी की भाषा भले ही न सम झें लेकिन कुत्ते की पूंछ हिलाने के ढंग से उस का मूड सम झ जाते हैं कि वह गुस्से में है या प्यार करना या करवाना चाहता है. कुछ लोगों ने कुत्तों के व्यवहार पर पीएचडी कर रखी है.

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