Importance Of Skills : हमारा समाज लड़कियों की संपत्ति को ले कर सब से ज्यादा आपत्ति जताता है. हंसने, बोलने और घुमनेफिरने वाली लड़कियां हमेशा आंखों में चुभती हैं. ऐसे में लड़कियों के लिए क्या जरूरी है.
भारतीय समाज में संस्कारों की बातें बहुत होती हैं और इन संस्कारों की शिकार औरतें ही होती हैं. पति के पैर छूना, आरती उतारना, पति के लिए व्रत, तीज, सास ससुर की सेवा करना, लिहाज करना, नजरों को नीची रखना इत्यादि.
यह सारे संस्कार औरतों के लिए ही बने होते हैं हालांकि मर्दों के भी कुछ संस्कार होते हैं जैसे बड़ों की इज्जत करना, कुल की इज्जत की रखवाली करना वगैरहवगैरह. लड़के और लड़कियों को यह सारे संस्कार बचपन से सिखाए जाते हैं. ये स्किल नहीं हैं, कोरी मिलिट्री टाइप ड्रिल हैं जो पति के लिए कम पति के मांबाप के लिए डिजाइन की गई हैं.
संस्कारों के इन ढेरों आडम्बरों के बीच जीने के लिए जो जरुरी बातें हैं उन्हें कोई नहीं सिखाता. वैवाहिक जीवन की जरूरी बातों का सम्बन्ध संस्कारों से नहीं, स्किल से है. क्या है यह जरुरी स्किल. आइए जानते हैं.
स्नेहा और पंकज की शादी तय हो चुकी थी. दोनों अभी तक कहीं मिले नहीं थे. स्नेहा के घरवालों ने पंकज से रिश्ता तय कर दिया. सगाई वाले दिन दोनों ने एकदूसरे को देखा. आपस में नंबर एक्सचेंज हुए और दोनों फोन पर बात करने लगे. कुछ ही दिनों में दोनों की शादी हो गई. स्नेहा विदा हो कर पंकज के घर आ गई.
सुहागरात से पहले पंकज की भाभी ने मुसकराते हुए स्नेहा के कान में कुछ टिप्स बताए और उसे एक कमरे में भेज दिया. स्नेहा समझ ही पा रही थी कि वो अब क्या करे? पलंग पर बैठ कर पंकज का इंतजार करे या पलंग पर लेट जाए?
भाभी ने या मां ने यह नहीं समझाया कि विवाह की पहली रात क्या करना चाहिए क्या नहीं, खासतौर पर तब जब दोनों के बीच पहले सिर्फ औपचारिक सा संबंध रहा हो.
पंकज की भाभी ने दूध का गरम गिलास पंकज को देने के लिए कहा था लेकिन बगल की टेबल पर रखा दूध तो ठंडा हो चुका था. शादी के चककर में स्नेहा कई रातों से जगी हुई थी इसलिए उसे तेज नींद आने लगी तो वह पलंग पर एक तरफ हो कर सो गई. देर रात को पंकज दोस्तों रिश्तेदारों से फुर्सत पा कर आया तो उसे स्नेहा का सो जाना अच्छा नहीं लगा.
यह उसे सिखाया ही नहीं गया था कि नई पत्नी थक भी सकती है. यह साधारण स्किल का मामला है पर कोई सिखाए तो न.
पंकज तो यह सोच कर कमरे में दाखिल हुआ था की स्नेहा हाथ में दूध का गिलास ले कर उस का इंतजार कर रही होगी लेकिन यहां तो वो गहरी नींद में सोई हुई थी. पंकज, स्नेहा के बगल में लेट गया और उस के शरीर पर हाथ फेरने लगा. पंकज के इस बिहेवियर से स्नेहा बुरी तरह चौंक कर उठ गई. पंकज कुछ समझता इस से पहले ही स्नेहा तेज आवाज में रोने लगी. बगल के कमरे में पंकज की भाभी ने जब स्नेहा के चीखने और रोने की आवाज सुनी तो उस के दिल को तसल्ली मिली और मुसकराती हुई अपने सास के कमरे की ओर बढ़ गई.
इधर पंकज अपनी नई नवेली दुल्हन के इस तरह रोने को समझ नहीं पा रहा था. थोड़ी देर उसे चुप कराने की कोशिश के बाद पंकज पलंग के एक तरफ लेट गया. स्नेहा के व्यवहार से उस की सारी उमंगे धाराशाई हो चुकी थी और वो भी काफी थका हुआ था इसलिए लेटते ही उसे गहरी नींद आ गई. पंकज को नींद में खर्राटे लेने आदत थी लेकिन स्नेहा को खर्राटों से नफरत थी. स्नेहा उठ कर रात भर पलंग के एक कोने में बैठी रही. इस तरह दोनों के लिए सुहाग की रात ट्रेजडी की रात बन चुकी थी.
क्या इस मामले में दोनों के बीच संस्कारों की कमी थी? संस्कार सिर्फ यह सिखाते हैं कि वैवाहिक जीवन में औरतों को कैसे अपने पति और पति के परिवार वालों के लिए आज्ञाकारी बहू बन के रहना है लेकिन वैवाहिक जीवन में औरत को अपनी ख़ुशी कैसे तय करनी है यह बातें संस्कारों के दायरे में नहीं आतीं. मर्द के लिए औरतों के साथ व्यवहार और उस की ख़ुशी को समझने की भावनाएं संस्कारों के दायरे से बाहर कि बात है. कैसे दूसरे का ख्याल रखें? बिस्तर पर कैसे सोएं? एकदूसरे की छोटीबड़ी बातों पर कैसे रिएक्ट करें यह सब तौर तरीके संस्कारों से नहीं आते. बैठने, उठने, चलने, और सोने के भी एटिकेट्स होते हैं जो सुखी जीवन के लिए बेहद जरूरी होते हैं. यह संस्कार नहीं, स्किल का मामला होता है जो न तो स्कूलों में सिखाया जाता है और न ही परिवार से यह स्किल मिलती है.
कोई व्यक्ति ओला या उबर में जौब के लिए जौयन करता है तो उसे जौब से पहले यह एटिकेट्स सिखाए जाते हैं कि कस्टमर से कैसे बात करनी है. व्यवहार कैसा होना चाहिए. बैक मिरर में पीछे बैठी सवारी को नहीं देखना है. सवारी पीछे बैठी हो तो स्पीकर पर बात नहीं करनी है. गाना नहीं बजाना है. राइड खत्म होने के बाद सवारी को मुसकरा कर विदा करना है इत्यादि.
बैंक का गार्ड हो या रेस्टोरेंट का वेटर, सेल्समेन हो या मैनेजर सभी को जौब से पहले लोगों से डील करने का स्किल सिखाया जाता है. लेकिन दो लोग जो साथ में जिंदगी गुजारने वाले हैं उन्हें बिना किसी स्किल के एक कमरे में बंद कर दिया जाता है. जहां से वो जैसे तैसे एकदूसरे को झेलने की शुरुआत करते हैं.
पंकज और स्नेहा को सैक्स करना सीखने की जरूरत नहीं थी. लेकिन दोनों को एक कमरे में जिंदगी गुजारनी है इसलिए कमरे के भीतर एकदूसरे की आदतों, पसंद और सोने बैठने के तौर तरीको को समझना और एडजस्ट करना सीखने की जरूरत है. स्नेहा को पलंग पर अकेले सोने की आदत थी लेकिन अब पंकज के साथ बैड शेयर करना पड़ रहा है तो उसे दिक्क़त हो रही है लेकिन वो अपनी इस समस्या को पंकज से बता नहीं सकती. स्नेहा को रात को जल्दी सोने की आदत है लेकिन पंकज की वजह से वह जल्दी नहीं सो पाती. पंकज को डेली रात को स्नेहा के साथ सैक्स करना है लेकिन सैक्स में स्नेहा की रूचि ज्यादा नहीं है. पंकज लाइट औन कर के सैक्स करना चाहता था लेकिन स्नेहा लाइट औफ कर देती है.
सुबह नहाने जाते वक्त पंकज अपने उतारे हुए कपड़े बाथरूम में रखने की बजाय बिस्तर पर ही छोड़ देता है जो स्नेहा को बिलकुल पसंद नहीं. इन बातों को ले कर दोनों के बीच हमेशा मनमुटाव बना रहता है.
अगर सड़क पर चलने के तौरतरीके हैं तो घर के भीतर रहने के भी तौरतरीके होने चाहिए जो संस्कारों, रीति रिवाजों से नहीं मिलते, स्कूल से नहीं मिलते, परिवार नहीं सिखाते.
सुबह टौयलेट में जाने वाले कुछ मर्द फ्लश और फ्लश को ब्रश नहीं करते. यह काम घर की औरतें करती हैं. जबकि इस में स्किल की बात यह है की टौयलेट में जो जाए वह उसे पूरी तरह क्लीन कर के आए. लोग सार्वजनिक शौचालयों में गंदगी फैलाते हैं और उन्हें इस बात में कुछ भी गलत नहीं लगता. कुछ लोग चिप्स वगैरह खा कर घर के किसी कोने में रैपर फेंक देते हैं जबकि घर के हर कमरे में, बरामदे में छोटा बड़ा डस्टबिन जरूर होनी चाहिए. यह स्किल की बात है.
अगर घर में एक बैड है और उस पर पतिपत्नी साथ सोते हैं तो रजाई एक क्यों? जरूरी नहीं कि दोनों के सोने के तौर तरीके एक जैसे हों? इसलिए दोनों की दो अलगअलग रजाईयां क्यों नहीं हो सकती?
सोने, उठने, बैठने, बात करने के एटिकेट्स सीखने और सिखाने की जरूरत है. यह इसे घर में, स्कूल में बच्चोँ के अंदर स्किल की तरह डवलप करना चाहिए. जापान के लोग अपने बच्चोँ को कभी डांटते नहीं बल्कि बड़ी गलती करने पर बच्चे को पिकनिक स्पोट पर ले जा कर समझाते हैं. हमारे यहां पेरैंट्स खुद गलतियां करते हैं बच्चे भी वही सीखते हैं.
घर में रहने के जरूरी एटिकेट्स क्या है?
• घर में मोबाइल पर वीडियो देखते वक़्त स्पीकर औन न करें बल्कि इयरफोन का प्रयोग करें.
• घर को साफ और व्यवस्थित रखें. अपने सामान को सही जगह पर रखें और घर के कामों में सभी का योगदान हो. पत्नी ही न करे, जो कुछ भी इस्तेमाल करें बाद में सही जगह रखें.
• परिवार के प्रत्येक सदस्य की निजता का सम्मान करें. बिना अनुमति के किसी के निजी सामान को न छुएं या उस के कमरे में न जाएं.
• घर में शोर कम करें, खासकर रात में, ताकि सभी को आराम मिले.
• सोने और जागने का एक निश्चित समय बनाए रखें, ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे.
• सोने के स्थान को शांत, साफ और आरामदायक रखें. याद रखें कि अगर घर पति का पहले से है तो उसे समझाना होगा कि कौन सी चीज कौन कैसे रखेगा.
• पतिपत्नी के बीच सोने की व्यवस्था में एकदूसरे की सुविधा और पसंद का ध्यान रखें.
• सोने से पहले साफ कपड़े पहनें और बिस्तर को साफ रखें.
• सम्भव हो तो बेड की चादर को प्रतिदिन साफ करें.
• जहां तक संभव हो, परिवार के साथ मिल कर खाना खाएं. यह आपसी बंधन को मजबूत करता है. यह न हो कि सास बहू किचन में हैं और बाकी सब खा रहे हैं. पूरा खाना बना कर सब को साथ खाना चाहिए चाहे कुछ ठंडा हो. रिश्तों में गरमाहट रहेगी.
• खाना बनाने वाले का सम्मान करें और भोजन के लिए आभार व्यक्त करें.
• पत्नी की प्रशंसा और प्रोत्साहन का उपयोग करें.
• परिवार के सदस्य नई बहू की भावनाओं का ध्यान रखें और संवेदनशील विषयों पर सावधानी से बात करें.
• बहू की निजी बातों को सार्वजनिक रूप से या बिना अनुमति के साझा न करें.
• एकदूसरे की भावनाओं, विचारों और स्वतंत्रता का सम्मान करें. विश्वास रिश्ते की नींव है.
• अपनी भावनाओं, अपेक्षाओं और समस्याओं को खुल कर और शांति से साझा करें.
• घर के कामों और जिम्मेदारियों को बांटें. एकदूसरे की पसंदनापसंद और जरूरतों का ध्यान रखें.
• एकदूसरे के लिए समय निकालें, जैसे साथ में समय बिताना, बात करना, या छोटीछोटी गतिविधियां करना.
• अंतरंग संबंधों में एकदूसरे की सहमति और आराम का ध्यान रखें. भावनात्मक और शारीरिक नजदीकी में संतुलन बनाए रखें.
• रोजमर्रा की बातचीत में पतिपत्नी एकदूसरे के लिए ‘प्लीज’, ‘थैंक यू’, और ‘सॉरी’ जैसे शब्दों का उपयोग करें.
हर इंसान और घर अलग होता है लेकिन यह एटिकेट्स सभी के लिए समान रूप से जरूरी हैं. अगर उपरोक्त छोटीछोटी बातों को घर के बड़े सदस्य फौलो करने लग जाएं तो यह एटिकेट्स स्किल बन कर बच्चों के अंदर समाहित हो जाएगा. Importance Of Skills