Superstitions : अंधविश्वास के लिए भारत हमेशा बदनाम रहा है, मगर यह बीमारी दुनिया के अनेक देशों में फैली हुई है. लगभग हर समाज और संस्कृति में अनेक तरह के अंधविश्वास पनपे. कुछ तो ऐसे अंधविश्वास रहे हैं जो बहुत खतरनाक साबित हुए, फिर भी बहुत प्रचलित रहे. इन अंधविश्वासों ने बड़ी संख्या में लोगों की जान ली और समाज को नुकसान पहुंचाया. इस में कोई दोराय नहीं कि अंधविश्वास की पहली शिकार औरत और दूसरा शिकार मासूम बच्चे होते हैं.

दुनिया के सब से खतरनाक लेकिन बहुप्रचलित अंधविश्वास में चुड़ैल-टोना और डायन प्रथा प्रमुख थी. यूरोप में ‘विच हंट्स’ (16वीं–17वीं सदी) के दौरान हजारों महिलाओं को सिर्फ चुड़ैल समझ कर जिंदा जला दिया गया. भारत और अफ्रीका में भी आज तक कई जगह महिलाओं को ‘डायन’ कह कर मार दिया जाता है. मानव बलि और नरबलि सिर्फ भारत में ही नहीं दी जाती बल्कि प्राचीन संस्कृतियों (माया, एजटेक, इंका, भारत के कुछ हिस्सों) में देवताओं को प्रसन्न करने के लिए इंसानों की बलि दी जाती थी. यह विश्वास इतना गहरा था कि समाज इसे धर्म समझ कर इस का पालन करता था.

काली बिल्ली द्वारा रास्ता काटना बड़ा अशुभ माना जाता है. यूरोप से ले कर एशिया तक यह अंधविश्वास फैला कि बिल्ली या उल्लू को देखना अशुभ है. नतीजा बिल्लियों का सामूहिक कत्लेआम हुआ, खासकर मध्यकालीन यूरोप में. इस से चूहों की संख्या बढ़ी और प्लेग जैसी महामारी फैली.

एक और अंधविश्वास काफी समय तक लोगों की जान लेता रहा. ये था खून से इलाज यानी ब्लड-लेटिंग. यूरोप और एशिया में माना जाता था कि बीमारियों को खून निकालने से ठीक किया जा सकता है. लाखों मरीज इस ‘इलाज’ से मर गए क्योंकि असल में इससे शरीर और कमजोर हो जाता था.

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