Uma Bharti : 17 नवंबर, 2022 से खुद के सभी बंधनों से मुक्त हो जाने का एलान कर देने वाली फायरब्रैंड हिंदूवादी नेत्री मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (नया नाम दीदी मां) का अब कोई नाम भी नहीं लेता. मशहूर जैन मुनि विद्यासागर से संन्यास दीक्षा लेने वाली उमा उन इनेगिने पिछड़े वर्ग की नेताओं में से एक थीं जिन की राजनीति राममंदिर आंदोलन से इस नारे के साथ चमकी थी कि ‘एक धक्का और दो, बाबरी मसजिद तोड़ दो’. इस के बाद वे 3 बार खजुराहों से सांसद बनीं और केंद्रीय मंत्री भी बनाई गईं लेकिन उन की सियासी जिंदगी की एक बड़ी उपलब्धि थी 2003 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाना.
ठीक 259 दिनों बाद उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा था. वजह थी 1994 के कर्नाटक के हुबली दंगों में भड़काऊ भाषण देने का आरोपी होने के चलते कर्नाटक की एक अदालत द्वारा उन के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करना. नैतिकता के आधार पर भाजपा आलाकमान ने उन से जो इस्तीफ़ा लिया वह बहुत जल्द एक सियासी साजिश साबित हुआ. उन की जगह बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया गया हालांकि उन्हें भी जल्द चलता कर यह जिम्मेदारी विदिशा के सांसद शिवराज सिंह चौहान को सौंप दी गई जो 17 साल तक अंगद के पांव की तरह इस कुरसी पर जमे रहे.
अपनी अलग पार्टी भारतीय जन शक्ति पार्टी उमा ने बनाई लेकिन नाकाम रहीं और मायूस हो कर भाजपा में लौट आईं. उन्हें केंद्रीय मंत्री पद तो दिया गया लेकिन दोबारा मुख्यमंत्री की कुरसी उन के लिए ख्वाब ही रही. अब दीदी मां बन गईं उमा खामोश ही रहती हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि अब उन की क्या, अच्छेअच्छों की पूछपरख भाजपा में नहीं रही जो मोदीशाह की पौकेट पार्टी बन चुकी है. आरएसएस विचारक गोविंदाचार्य से प्रेमप्रसंग से ले कर सनातनी होने के बाद भी एक जैन मुनि से ही दीक्षा लेने तक के दर्जनों विवाद और रहस्य उन से जुड़े हुए हैं. अफसोस तो यह कि कोई उन की चर्चा भी नहीं करता.