“यार, बहुत गुस्सा आ रहा है, ये लड़के भी न, अपनेआप को पता नहीं क्या समझते हैं. मेरा मन करता है, आदिव को पीट डालूं. दोस्तों से पी एस फोर खिला लो, हर चीज का टाइम है इस के पास. कोई मैसेज भेजती हूं, एक स्टिकर भेज देता है, चार वर्ड्स टाइप करने में जैसे थक जाएगा. बात करने का अपना मूड होगा तो बस फिर तो कितनी देर बात करवा लो. यह न सुधरा तो मेरा ब्रेकअप हुआ ही समझो. देखो मायरा, तुम उस की बहन हो तो भी मैं तुम्हारे सामने उस की गलतियां बता रही हूं, तुम्हें बुरा तो नहीं लग रहा? तुम मेरी दोस्त भी तो हो. मैं तुम से यह सब शेयर कर सकती हूं न?”

“क्यों नहीं, डियर, अब तो हम अच्छे दोस्त बन चुके हैं. इन लड़कों का क्या है, फ़ालतू होते हैं बिलकुल. कोई अक्ल नहीं होती. पता नहीं, अपनेआप को इतना स्मार्ट क्यों समझते हैं. इन्हें प्रौब्लम क्या है. यतिन भी ऐसा ही है. मेरा भी किसी दिन ब्रेकअप होने वाला है. सारा दिन मैंमैं करता है. मैं ये, मैं वो, अरे भाई, तुम्हें इतना ही मैंमैं करना था तो धरती पर बकरी के रूप में क्यों नहीं आ गए. कल मैं उस के साथ गई थी तो आगे वाली कार लड़की ड्राइव कर रही थी. बस, हंसने लगा, बोला, ‘तुम भी ऐसे ही चलाती हो न?’

“मैं ने उसे घूरा तो और हंसा, ‘यार, जोक भी नहीं समझतीं?’

“मैं ने कहा, ‘यह घटिया जोक कई दिनों से सुन रही हूं. तुम्हें यही लगता है न, कि लड़कियां अच्छी ड्राइविंग नहीं करतीं?’

“‘मैं ने ऐसा कभी नहीं कहा,’ कह कर वह और ज़ोर से हंसा था. इशानी, मेरा तो मन खराब कर देता है यह यतिन. अपनी सारी शौपिंग मेरे साथ करता है, मुझ पर इतना डिपैंड करता है और फिर लड़कियों का ही मजाक उड़ाता है, कितनी डांट खाता है मुझ से.”

“कल पता है क्या हुआ, आदिव अपने लिए खाना बना रहा था, वीडियोकौल पर मुझ से बातें करता रहा. मैं बहुत खुश थी. फिर अपने कपड़े प्रैस करता हुआ भी बातें करता रहा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. जैसे ही उस के काम ख़त्म हुए, बोला, ‘चलो, अब मैं थोड़ा अपने दोस्तों के साथ खेल लेता हूं, थक गया.’ मायरा, मुझे इतना तेज़ गुस्सा आया कि क्या बताऊं, मैं ने कहा, ‘आदि, तुम मुझे यूज़ कर रहे थे, अपना टाइम पास कर रहे थे. मुझे अब तभी कौल करना जब मुझ से ही बातें करनी हों. ये सब फालतू काम नहीं.’ और मैं ने गुस्से में फोन रख दिया था.”

“अरे, तुम अपना खून मत जलाओ, इशानी. लड़के बहुत बेकार होते हैं.”

मैं अपनी चाबी से फ्लैट का दरवाजा खोलकर अंदर आ चुकी थी और सब्जी का बैग किचन में रख कर लिविंगरूम में आ कर सुस्ता रही थी. मेरा आना अपने बैडरूम में बैठी मेरी बेटी मायरा को पता नहीं चला था. इशानी और मायरा को अभी फुरसत कहां थी कि उन्हें खबर हो, दोनों बेचारे 2 सीधेसादे लड़कों की बिचिंग करने में बिजी जो थीं. उफ़, ये लड़कियां, मैं आराम से अभी इन की बात सुन रही थी.

यह मायरा है, मेरी बेटी और यह इशानी है, विदेश में रहने वाले मेरे बेटे आदिव की गर्लफ्रैंड. दोनों अचानक अच्छी सहेलियां बन गई हैं, मिल कर अपनेअपने बॉयफ्रैंड्स को कोसती हैं. और मैं, मैं आजकल एकदम घनचक्कर बनी रहती हूं. बच्चों की दोस्त जैसे रहती हूं तो वे भी जीभर कर मेरे सामने अपना दिल उड़ेल कर रखते रहते हैं. मायरा का दोस्त है, यतिन. जब भी मिली हूं, अच्छा लगा है, पर मायरा को उस में इतनी कमियां दिखती हैं कि मैं ने एक दिन पूछ ही लिया, ‘फिर उस से मतलब क्यों रखती हो?’

मैडम बोलीं, ‘उसे चांस दे रही हूं, सुधर गया तो ठीक है वरना देखते हैं.’

मुझे इशानी और यतिन अपने बच्चों के लिए पसंद हैं पर इन सब की बातें जब सुनती हूं, सच, सिर घूमघूम जाता है. हर पक्ष मुझ से उम्मीद करता है कि मैं उसी के पक्ष में बोलूं और फिर जिस की साइड ले ली, वह तो खुश, जिस की नहीं ली, वह नाराज़. क्या किया जाए. मेरे पति सुमित अकसर मुझ से हंसते हुए कहते हैं, ‘बरखा, जब भी तुम्हें इन में से कोई अपनी बात बता रहा होता है और तुम समझाने की कोशिश करती हो, तुम्हारी शक्ल देखने वाली होती है. तुम्हें तो इन सब ने एकदम नचा डाला है. अच्छा है, मांओं से ही ये सब शेयर करते हैं, अपने बस का तो है नहीं कि सब की कहानी सुनी जाए.’

मैं कहती हूं, ‘वे सब तुम्हें नहीं बताते पर तुम मुझ से तो सब सुनते ही हो. रहने दो, तुम्हें मजा आता है सब सुन कर, जानती हूं.”

अचानक मायरा रूम से बाहर आई तो मुझे देख कर चौंक पड़ी, “मौम, आप कब आईं?”

“जब तुम लोग बेचारे लड़कों को आशीर्वाद दे रही थीं,” कहतीकहती मैं हंस पड़ी.

इशानी तो अभी थोड़ा संकोच करती है, मायरा ने कहा, “ये लड़के बहुत बेकार हैं, मौम. आप का लाड़ला जब अपना खाना, कपड़ा संभाल रहा होता है तब इशानी को यूज़ करता है, काम ख़त्म होते ही दोस्तों के साथ गेम खेलता है.”

ऐसे टाइम मुझे सचमुच फूंकफूंक कर कदम रखना होता है. मैं ने कहा, “वहां वह औफिस जाता है, आ कर अपने सारे काम खुद करता है, उसे कहां कोई हैल्प है. तुम लोगों को यहां सब कियाकराया मिलता है. वह अपने काम करता हुआ बात कर लेता है, अच्छा ही है न.”

इशानी और मायरा ने एकदूसरे को देखा. मायरा ने अच्छी दोस्त की भूमिका निभाते हुए कहा, “इशानी, तेरा गुस्सा जायज है, अब की बार तू इस आदिव को कह देना कि बातें करता हुआ न खाना बनाए, न कपड़े प्रैस करे. तुझे फुल अटेंशन दे कर बातें करे. ये लड़के कितना तेज़ होते हैं.”

मुझे इस फ़ालतू गुस्से पर हंसी आ गई, “कभी तो तुम कहती हो इन लड़कों के पास अक्ल नहीं है, कभी कहती हो, तेज़ होते हैं, पहले एक राय बना लो.”

“मौम, आप रहने दो. मुझे पता है, आदिव दूर रहता है, इसीलिए आप को उस पर लाड़ आता रहता है.”

मैं ने बात बदली, “अच्छा, यतिन के क्या हाल हैं?”

इस बार इशानी की मीठी सी आवाज़ आई, “आंटी, यतिन लड़कियों की ड्राइविंग का बहुत मजाक उड़ाता है, यह बात हमें पसंद नहीं. एक बार मायरा ने कार चलाते हुए गलती से सिग्नल तोड़ दिया था, इस बात पर अभी तक हंसता है. गलती किस से नहीं होती.”

“वहीं, एक बार जब वह कार ड्राइव कर रहा था, आगे वाली कार एक लड़की चला रही थी, “आदिव ने मायरा को चिढ़ाने के लिए, बस, इतना कहा था, ‘आज हम सब ठीक से घर पहुंच जाएं तो बड़ी बात है’ तो पूरे रास्ते मायरा इस बात पर मुझ से नाराज़ रही थी कि आदिव के इस मजाक पर मैं हंसी कैसे.”

और एक दिन फिर आदिव वीडियोकौल पर था, उस का उतरा चेहरा देख मैं ने पूछा, “क्या हुआ?”

“अरे, मौम, ये लड़कियां कैसी होती हैं, ये कौन से प्लैनेट से आती हैं?”

मैं ने घूरा, “अच्छा?”

“अरे, आप को नहीं कह रहा हूं कुछ, आप तो मां हैं.”

“फिर भी, हूं तो एक औरत ही न?”

“अरे नहीं, मां अलग कैटेगरी में आती हैं, मौम. यह इशानी की बच्ची, कितनी लड़ाकी है. पता है आप को, हर समय शिकायतें. मौम, इन लड़कियों को कोई काम नहीं है क्या. बस, वह यही चाहती है कि सारा दिन उसे मैसेज करता रहूं, फोन करता रहूं, जहां मैसेज का रिप्लाई लेट हुआ, मैसेज आता है, ‘औनलाइन तो दिख रहे हो, फिर क्या परेशानी है रिप्लाई करने में.’ इतने टौन्ट!”

“आजकल इशानी और मायरा की बहुत जमती है, पता है?” मैं ने उसे घर का भेद दिया.

“बस, फिर तो दोनों लड़कों की कमियां बताती रहती होंगी, मौम. आप उन दोनों की बात ज़्यादा मत सुना करो. ये मायरा भी, है तो एक लड़की ही न, बहन है तो क्या हुआ, इतनी फेमिनिस्ट बनती है. हुंह, कोई कामधाम नहीं.”

“नहीं, दोनों औफिस तो जाती ही हैं, कभी वर्क फ्रौम होम चलता है.”

“पर इन दोनों को घर के काम तो नहीं करने पड़ते न. मैं तो यहां सब अपनेआप करता हूं. अब आ रही है न बाहर आगे पढ़ने, देखूंगा, कितना टाइम रहेगा इशानी मैडम के पास. कितने मैसेज करेगी दिनभर, कामचोर को जब अपने काम करने पड़ेंगे तो समझेगी मेरा रूटीन. मौम, पता है, क्या कह रही थी, ‘लड़कियों से इतनी परेशानी है तो गे क्यों नहीं हो जाते?’”

मैं ज़ोर से हंसी तो उसे भी हंसी आ गई. हम दोनों अब इशानी और मायरा के कमैंट्स पर हंसते रहे. आदिव के बचपन का दोस्त है, जीत. वह कभीकभी मिलने आ जाता है. एक दिन आया, तो कहने लगा, “रिद्धि को जानती हैं न आप?’’ मुझे पता है रिद्धि उस की सालों से गर्लफ्रैंड है.

“हां, क्या हुआ?”

“अरे, होना क्या है, आंटी, दिमाग खराब करती है.”

मैं ने सोचा, इशानी, मायरा और आदिव ही नहीं, यह भी भरा बैठा है किसी बात पर. “क्या हुआ?”

“उस के घर गया था, उस के मम्मीपापा से मिला, बाद में कह रही है, ‘तुम मेरी मम्मी से उतना खुल कर नहीं मिले जैसे तुम्हें मिलना चाहिए था. उन्हें तुम से बेटे जैसी फीलिंग नहीं आई.’ मैं ने कह दिया, ‘जब मैं उन का बेटा हूं ही नहीं, तो यह फीलिंग न भी आए तो भी चलेगा. दामाद ही समझ लें मुझे, बहुत है.’ बस आंटी, इतनी सी बात पर वह बोली, ‘तुम कितना रूड बिहेव कर रहे हो?’ आंटी, ये लड़कियां ऐसी बातें क्यों करती हैं?”

मैं ने प्यार से समझाया, “ये सब बातें तो चलती रहती हैं. इन्हें हलके में ही लो.”

उसे हंसी आ गई, “आंटी, उस की बातों को हलके में ही तो लेता हूं, तभी सालों से झेल पा रहा हूं.”

अपने मन की भड़ास निकाल कर थोड़ी देर बाद वह चला गया था. मैं ने मायरा को बताया कि जीत आया था, सुनते ही बोली, “हां, रिद्धि से बात हुई, उस ने बताया कि वह उस की मम्मी से काफी रूडली बात कर के आया है. सारे के सारे लड़के, बस, दूसरों का दिमाग खराब करते हैं.”

मेरे मुंह से निकल गया, “तुम लोग इन लड़कों को छोड़ क्यों नहीं देतीं?”

“इन्हें हम ही झेल सकती हैं, इन्हें कोई नहीं पूछेगा,” शान से कहती मायरा रूम से निकल गई.

वह तो चली गई, मैं बैठी रह गई, सोच रही हूं कि इन का क्या होगा. मुझ से हर युवामन अपने मन की भड़ास निकाल कर चला जाता है और यह उम्मीद करता है कि मेरी गरदन उस की बात पर सिर्फ हां में ही हिले, दिमाग चकराने लगता है. और ये सब आपस में प्यार करते हैं, एकदूसरे से खूब जुड़े हैं, शिकायतें हैं, पर साथ भी चाहिए. दिल से एक आवाज़ आती है- यही तो लाइफ है. और मुझे अभी क्या, शायद हमेशा ही इन सब के बीच में घनचक्कर ही बन कर रहना है. बस, सुनती हूं, मुसकराती हूं और हां में सिर हिलाती हूं.

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