USA : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह शिकायत तो वाजिब है कि दूसरे देश अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैक्स लगाते हैं ताकि अमेरिकी कंपनियों का सामान महंगा हो कर उन देशों में बिके पर इस का मतलब यह नहीं कि उन देशों से आने वाले सामान पर वे मनमाना टैक्स, जिसे टैरिफ कहा जा रहा है, लगा दें.
अपनी गलती की सजा खुद को देना बेवकूफी है क्योंकि अमेरिका में दूसरे देशों से आयातित सामान और महंगा ही होगा. उस की खपत कहां होगी, इस की गारंटी नहीं है. अगर इस तरह के सामान पर सभी देशों से आयात करने पर ज्यादा टैरिफ अमेरिका में लगेगा तो अमेरिकियों की जेब ढीली होगी. अगर कुछ खपत कम होगी तो इस का मतलब है कि अमेरिकी जनता परेशान होगी.
अमेरिका को सामान निर्यात करने वालों को इस टैरिफ से फर्क इतना ही पड़ेगा कि उन्हें खरीदार दूसरे देशों में ढूंढ़ने होंगे जो आसानी से मिल भी जाएंगे. दूसरे देशों में अमेरिकी निर्यातक और आयातक दोनों नुकसान में रहेंगे.
डोनाल्ड ट्रंप ने इस तरह का कदम उठाया है तो यह बड़ी बात नहीं है. हर कट्टरपंथी ऐसा ही करता है. वह कोई न कोई सिरफिरा कदम उठाता है. हिटलर ने बेमतलब यहूदियों को मारने का प्रोग्राम तब बनाया जब वह यूरोप के दूसरे देशों पर हमला कर रहा था. बजाय अपना ध्यान सैनिकों की तैयारी में लगाने के, हिटलर की फौजें यहूदियों को लूटने में लग गई थीं.
भारत में जब गरीबी दूर करने का समय आया और औद्योगिकीकरण की जरूरत थी तो हमारे शासकों ने देश को मंदिरमसजिद विवाद में धकेल दिया है. भारत आज 85 करोड़ भूखे लोगों को मुफ्त खाना देने को मजबूर है तो दूसरी तरफ अरबोंखरबों रुपए धार्मिक यात्राओं, मसजिदों, वक्फों के विवादों में बहा रहा है.
अमेरिका में आर्थिक संकट आया है तो जरूरत इस बात की थी कि वह चीन के उत्पादन केंद्र बनने से उसे रोकने के लिए अपने यहां साइंस और टैक्नोलौजी को बढ़ावा दे न कि दूसरे देशों से टैरिफ लड़ाई में उल झ जाए. आज हर देश अमेरिका को दुश्मन मानने लगा है. वे देश जो 100-150 सालों से अमेरिका को मित्र से ज्यादा संरक्षक मानते रहे हैं, अब उसे भक्षक मान रहे हैं जो उन के कारखाने बंद कराना चाह रहा है, उन की जमीन हथियाना चाहता है, वहां बसे उन के नागरिकों को अमेरिका का दुश्मन बता रहा है.
पिछले राष्ट्रपतियों ने अमेरिका को जो प्रतिष्ठा दिलाई थी, डोनाल्ड ट्रंप ने 2 माह में नष्ट कर दी है और उन का वार बहुत ही गहरा है. टैरिफ के अलावा वे मैडिकल सुविधाएं बंद कर रहे हैं, स्कूलों को बंद करा रहे हैं, सुंदर प्राकृतिक जंगलों, पहाड़ों, नदियों को बेसहारा छोड़ रहे हैं. आज अमेरिका हर तरह की रिसर्च पर खर्च घटा रहा है जबकि पाखंडभरे चर्चों को प्रोत्साहित कर रहा है.
जो राष्ट्रपति देश को बाहरी व अंदरूनी दोनों स्तरों पर विवादों में डाल रहा हो उसे सिर्फ खब्ती और सनकी कहा जा सकता है. जो काम दुनिया के चीन, रूस जैसे देश और तालिबान नहीं कर पाए -अमेरिका को नष्ट करने का- वह आज के अमेरिकी राष्ट्रपति खुद कर रहे हैं.