Donald Trump : यह लोकतंत्र में नहीं होता, सिर्फ तानाशाही में होता है कि हर वह जना जिस पर कोई शक हो, अपना परिचयपत्र हमेशा, 24 घंटे, अपने साथ रखे. लेकिन अब यह लोकतंत्रों के रक्षक रहे अमेरिका में, चर्च के प्रभाव क्षेत्र में आने वाले मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) के राज में होने लगा है जिस की कमान डोनाल्ड ट्रंप के हाथ में है. डोनाल्ड ट्रंप ने आदेश दिया है कि हर गैरनागरिक हर समय अपना परिचयपत्र अपने साथ रखे.

जब गैरनागरिकों के कागज बिना वजह के चैक करने का भी अधिकार पुलिस के पास होगा तो वह हर जना, जो गोरा नहीं है मगर चाहे नागरिक क्यों न हो, के कागज चैक कर सकती है. यह पुलिस चैकिंग दफ्तरों, ट्रेनों, एयरपोर्टों, सिनेमाघरों, बाजारों, सड़कों पर कहीं भी हो सकती है और जब होती है तो उस शख्स को बेहद अपमानजनक लगता है. अगर भूले से भी गैरगोरा नागरिक अपना परिचयपत्र जेब में रखना भूल गया तो पुलिस उसे बंद कर सकती है. वह अकेला रह रहा हो तो घर या होटल से अपना परिचयपत्र आखिर कैसे ला पाएगा.

असल में यह साजिश है कि अमेरिका में कोई ब्लैक, लैटिनो, चीनी, जापानी, दक्षिणी एशियाई रहे ही न. अगर रहे भी तो हर समय डरासहमा रहे. एक बड़ी कंपनी का भारतीय मूल का सीईओ सड़क पर जौगिंग करते हुए रोका जा सकता है कि वह अपना परिचयपत्र दिखाए चाहे वह नागरिक क्यों न हो.

जो भारतीय मूल के लोग बड़ी शान से अमेरिका में रहे रहे हैं और वहां रह कर भी रिपब्लिकन पार्टी को अपनी ऊंची जाति के कारण सपोर्ट करते हैं, अब वे भी हमेशा डरेसहमे रहेंगे.

डिपार्टमैंट औफ इनलैंड सिक्योरिटी ने नए आदेश में हर सरकारी अफसर को हक दे दिया है कि वह किसी से भी कह सकता है कि ‘शो मी योर पेपर्स’. गोरों को छोड़ कर हर जना अब हर समय दुबकासहमा रहेगा जैसा हिटलर की जरमनी में रहता था, स्टालिन के सोवियत संघ में रहता था. इस का फर्क नहीं पड़ता कि वह भारतीय, चीनी, अफ्रीकी, जापानी मूल का जना 4-5 पीढि़यों से अमेरिका में रह रहा हो, अच्छी पोस्ट पर हो, पैसे वाला हो, बड़े मकान में रहता हो.

अमेरिका चर्च के नाम पर यह सब कर रहा है क्योंकि चर्च का काम होता है हरेक को हमेशा डरा कर रखना और यही डराने की आदत सदियों से राजाओं ने अपनाई. हर धर्म इसीलिए यह कहता है कि धर्म के चिह्न हर समय पहन कर चलो ताकि हर समय पता रहे कि कौन एकदूसरे से बात कर रहा है.

लोकतंत्रों ने इस भय को दूर किया. वोटरों ने सत्ता पा कर एक खुले राज का निर्माण किया जिस में न चर्च का डर था न सरकार का. अब सरकार और धर्म बहुत देशों- भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, अमेरिका, रूस, लैटिन अमेरिका- में एकदूसरे के गहरे दोस्त बन गए है और जनता फिर से 18वीं सदी की गुलाम बन गई है.

अमेरिका का विनाश दिख रहा है लेकिन उस से ज्यादा खतरनाक है लोकतंत्र का विनाश. पहले अमेरिका ने लोकतंत्रों को भरपूर समर्थन दिया था, अब वह कट्टरवादी रूस, उत्तरी कोरिया, भारत जैसे देशों के जैसे रहेगा जहां मूल जन्म, धर्म, जाति, रंग सर्वोपरि हैं.

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