Ratan Tata : भारत के सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा की पिछले वर्ष 9 अक्तूबर को मृत्यु हुई. करीबन 6 महीने बाद उन की वसीयत डिस्क्लोज हुई है, जिस में कई दिलचस्प जानकारियां सामने आई हैं.
भारत के कारोबारी जगत में जब उपब्धियों की बात होगी, तब रतन टाटा का नाम सब से ऊपर रखा जाएगा. उन के नेतृत्व में, टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार पाया. रतन टाटा ने टाटा समूह को नया आकार दिया. उन की नेतृत्व क्षमता और उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 2000 में उन्हें देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया गया और वर्ष 2008 में उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
रतन टाटा को देश के सब से बड़े व्यापारिक घरानों में से एक के नेतृत्व के साथसाथ महत्वपूर्ण परोपकारी गतिविधियों के लिए जाना जाता है. टाटा की विरासत कौर्पोरेट क्षेत्र की सीमाओं से परे लाखों आम लोगों के जीवन को प्रभावित करती है.
रतन टाटा का पूरा नाम रतन नवल टाटा था. वे नवल टाटा और सूनी टाटा के पुत्र थे. उन का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ. रतन सिर्फ़ 10 साल के थे जब उन के मातापिता के बीच तलाक हो गया. जब रतन 18 वर्ष के हुए तो उन के पिता ने एक स्विस महिला सिमोन दुनोयर से शादी कर ली और उन की माता ने तलाक के बाद सर जमशेदजी जीजी से विवाह कर लिया. तब रतन को उन की दादी लेडी नवाजबाई टाटा ने पाला. लेडी नवाजबाई टाटा संस की पहली महिला निदेशक थीं. यह पद उन्होंने 1925 में संभाला था और उन्हें हमेशा एक उदार परोपकारी व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है.
दादी के परोपकारी व्यक्तित्व का प्रभाव रतन पर बचपन से पड़ा. उन की छत्रछाया में बड़े होते हुए रतन टाटा ने साल 1962 में कार्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क की डिग्री प्राप्त की थी. 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लौस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया. साल 1962 में रतनटाटा ने जमशेदपुर में टाटा स्टील में काम करना शुरू किया.
रतन टाटा का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है, जो उन की दूरदर्शिता, मेहनत और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है. रतन टाटा मशहूर उद्योगपति तो थे ही लेकिन उन की सादगी के लिए भी उन्हें जाना जाता था. रतन टाटा के छोटे भाई जिमी नवल टाटा हैं जो बेहद सामान्य जीवन जीते हैं. वे मुंबई के कोलाबा के दो बेडरूम वाले फ्लैट में रहते हैं. लेकिन टाटा ग्रुप में उन की भी हिस्सेदारी है. उन्होंने भी रतन टाटा की तरह शादी नहीं की है.
रतन टाटा का पिछले साल 9 अक्टूबर, 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हुआ. इस के बाद उन की एक वसीयत सामने आई, जिस की चर्चा जोरों से हो रही है. इस वसीयत के मुताबिक टाटा की संपत्ति में सब से ज्यादा हिस्सा चैरिटी को दिया गया है. इस के अलावा वसीयत में परिवार, दोस्तों, घर के काम करने वाले नौकरों और यहां तक कि पालतू जानवरों का भी ध्यान रखते हुए सब को कुछ न कुछ दिया गया है.
रतन टाटा ने वसीयत में अपने पालतू कुत्ते ‘टीटो’ की हमेशा देखभाल करने की बात लिखी है. ये एक जर्मन शेफर्ड है. इस के लिए उन्होंने अंगरेजी में ‘अनलिमिटेड केयर’ शब्द का इस्तेमाल किया है. रतन टाटा के रसोइये सुब्बया का नाम भी वसीयत में शामिल है.
रतन टाटा की अनुमानित संपत्ति 3,800 करोड़ रुपए आंकी गई है. इस में टाटा संस के साधारण और प्रेफरेंशियल शेयर और अन्य संपत्तियां शामिल हैं. ये दान रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन, रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट और एक अन्य कंपनी को दिया जाएगा. ये कंपनियां दान और परोपकार के काम करती हैं.
रतन टाटा ने अपनी संपत्ति का करीब एकतिहाई हिस्सा अपनी दो सौतेली बहनों शिरीन जीजीभोय और डीना जीजीभोय को और टाटा समूह की पूर्व कर्मचारी मोहिनी एम. दत्ता के लिए छोड़ी है, जो दिवंगत उद्योगपति की करीबी थीं. इस की कुल वैल्यू करीब 800 करोड़ रुपए है. इस में बैंक एफडी, फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स, घड़ियां और पेंटिंग्स जैसे एसेट्स शामिल हैं.
वसीयत के अनुसार उन के जुहू बंगले का आधा हिस्सा रतन टाटा के भाई 82 वर्षीय जिमी नवल टाटा को मिलेगा, जबकि शेष सिमोन टाटा और नोएल टाटा को दिया जाएगा. रतन टाटा के करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को अलीबाग की संपत्ति और टाटा की 3 बंदूकें, जिस में एक प्वाइंट 25 बोर की पिस्टल भी शामिल है, मिलेंगी.
उन की इच्छा के अनुसार, उन के पालतू जानवरों के लिए 12 लाख रुपए का फंड बनाया जाएगा. प्रत्येक पालतू जानवर को हर तिमाही में 30,000 रुपए मिलेंगे. रतन टाटा के करीबी सहयोगी रहे शांतनु नायडू और पड़ोसी जेक मालिटे का एजुकेशन लोन माफ कर दिया जाएगा.
रतन टाटा ने 23 फरवरी, 2022 को जो वसीयत बनाई थी उस में 4 कोडिसिल हैं. कोडिसिल का मतलब है वसीयत पर साइन करने के बाद उस में कुछ बदलाव करना. आखिरी कोडिसिल में यह बताया गया है कि रतन टाटा ने कुछ कंपनियों के शेयर खरीदे थे. इन में लिस्टेड और अनलिस्टेड दोनों तरह की कंपनियां शामिल हैं. इस के अलावा, कुछ ऐसी संपत्ति भी थीं जिस के बारे में वसीयत में कुछ नहीं लिखा था. यह सब रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को बराबर बराबर दिया जाएगा.
रतन टाटा की लगभग 40 करोड़ रुपए की विदेशी संपत्ति में सेशेल्स में जमीन, वेल्स फ़ार्गो बैंक और मौर्गन स्टेनली के खाते, एल्कोआ कौर्प और हाउमेट एयरोस्पेस के शेयर शामिल हैं.
असेट लिस्ट में बुलगारी, पाटेक फिलिप, टिसोट और औडेमर्स पिगुएट जैसे ब्रांड्स की 65 घड़ियां हैं. टाटा ने सेशेल्स में अपनी जमीन आरएनटी एसोसिएट्स सिंगापुर को दी है.
वसीयत का प्रोबेट एक कानूनी प्रक्रिया है. इस में कोर्ट यह देखता है कि वसीयत असली है या नहीं. अगर वसीयत सही पाई जाती है, तो कोर्ट उसे लागू करने की अनुमति दे देता है. इस के बाद, वसीयत को लागू करने वाला व्यक्ति टाटा वसीयत के अनुसार संपत्ति का बंटवारा कर सकता है. वकील डेरियस खंबाटा, मेहली मिस्त्री, शिरीन और डीना जेजेभोय वसीयत को लागू करने वाले हैं. संपत्ति का बंटवारा तभी होगा जब कोर्ट इसे सही मानेगा. इस प्रक्रिया में लगभग 6 महीने का समय लगेगा. वसीयत में ‘नो कान्टेस्ट’ क्लौज भी शामिल है. इस के मुताबिक, वसीयत को चुनौती देने वाला शख्स वसीयत के दावे से बाहर माना जाएगा.
वसीयत के एक्सक्यूटर्स ने वसीयत की अंतिम प्रोबेट के लिए बौम्बे उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है, जिस में चौथा कोडिसिल शामिल है. लास्ट कोडिसिल में कहा गया है कि रतन टाटा ने जिन नौन लिस्टेड स्टौक और नौन लिस्टेड कंपनियों में निवेश किया था, उन के शेयरों के साथसाथ कहीं और कवर नहीं की गई संपत्तियों को रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट में समान रूप से बांटा जाएगा.