India’s Got Latent : इंटरनेट के जमाने में कंटेंट का क्या कोई देश है? क्या आप सोशल मीडिया से पारिवारिकता की उम्मीद लगा कर बैठे हैं? सोशल मीडिया पहले ही गटर बन चुका है. सब के पास चौइस है अपनी पसंद का कंटेंट देखने की और न देखने की. फिर रणवीर और समय से कैसी उम्मीद?
सोशल मीडिया पर अचानक ‘हाए अश्लीलता, हाए अश्लीलता’ का रोना चलने लगा है. क्या आप यकीन कर पाएंगे यह उस देश में हो रहा है जहां के टौप 6 शहर दुनिया के टौप 10 पोर्न देखने वाले शहरों में से बन चुके हैं. दिल्ली, पुणे, मुंबई, कलकत्ता, कुवाला लम्पुर और बैंगलोर.
जहां मिल्फ, चाइल्ड, टीनेज पोर्नोग्राफी देखने वालों की भारी संख्या है. जिस के कीवर्ड में ‘चचेरी बहन की’, ‘सौतेली मां की’, ‘सौतेली बहन के साथ’, ‘कामवाली’, ‘पड़ोसवाली’ यही सब होता है. यह अचानक उस देश में मुद्दा बन गया है जहां रेप के सब से ज्यादा मामले सामने आते हैं और इस के मुकाबले काफी कम कन्विक्शन की दर. यह उस देश का मुद्दा बन गया है जहां दुनिया में सब से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं.
सवाल यह कि अचानक देश अश्लीलता विरोधी कैसे हो गया? जो युवा गलीनुक्कड़ों पर किलोकिलो भर गालियां परोसता है वह गाली विरोधी कैसे हो गया? वो भी उस सोशल मीडिया में जहां का बाजार ही इसी पर टिका है. सवाल यह भी कि मांबहनों की गलियों में, अर्धनग्न रील्स खोजने, उन्हें लाइक व फौलो करने वालों, गलियों में विभिन्नता, स्वाद और चटकारे ढूंढने वाले देश में आखिर ऐसी कौन सी अश्लीलता विरोधी लहर अंदर ही अंदर पनप रही थी कि अचानक आके फूट पड़ी?
मामला ‘इंडियाज गोट लैटेंट’ का है. विवाद इस के कंटेट का और लपेटे में इस के होस्ट हैं. ऐसा शो जिस का कोई पोइंट नहीं लेकिन पोपुलेरिटी में इस ने अच्छेअच्छों को धो दिया. बात इस के डार्क कौमेडी की जो माना गया कि सब के लिए नहीं है, क्योंकि इसे पचाना और पचा कर त्याग देना आसान नहीं. मगर जेनजी और मिलेनियल्स ने इसे हाथोंहाथ लिया. हर एपिसोड पर लगभग 3 करोड़ व्यूज मिले. इस का होस्ट समय रैना विवादित ही सही पर आइडियल बन गया और सोशल मीडिया पर धड़ाधड वायरल हुआ.
यह शो शुरू से ही सुर्ख़ियों में तो रहा ही पर बड़ा विवाद इन्फ्लुएंसर रणवीर अलाहबादिया के उस टिप्पणी पर मचा जिस ने क्रिएटिव फील्ड को ले कर फिर से अलगअलग बहस छेड़ दिए. रणवीर ने शो में आए एक कंटेस्टेंट को उस के पेरैंट्स के सैक्स संबंध पर ऐसा सवाल किया कि यह आग की तरह वायरल हो गया और मामला अश्लीलता परोसने तक पहुंच गया.
फिर क्या किसी ने फांसी पर लटकाए जाने की वकालत की, किसी ने जेल में डालने की. किसी ने शो के मेकर्स को आतंकवादी और देशद्रोही बाताया तो किसी ने एनकाउंटर करने वाले को पैसे देने की बात कही.
हालत इस कदर बिगड़े कि देश भर में इस शो से जुड़े कुल 30 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई. और समय रैना और रणवीर अलाहबादिया पर 7 धाराओं में मुक़दमे दर्ज किए गए. जोड़ यह कि रणवीर का जहां मार्किट वैल्यू डाउन हो गया वहीँ समय रैना को यूट्यूब से अपने सारे शो डिलीट करने पड़ गए.
अब यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या यह विवाद इतना बड़ा है जितना इसे बना दिया गया है? क्या इसे जबरन तूल दिया जा रहा है? अगर अश्लीलता सही में बड़ा मुद्दा है तो फिर पूरे सोशल मीडिया को ही बैन क्यों नहीं किया जा रहा? कायदे से इस शो की अश्लीलता तो सोशल मीडिया की अश्लीलता में समुन्दर में बूंद सामान है. नेताओं से ले कर फिल्मी सितारों के सोशल मीडिया अकाउंट हैं क्या उन्हें सोशल मीडिया यह सब दिखाई नहीं देता?
जाहिर है रणवीर के कमेंट्स निश्चित रूप से आपत्तिजनक थे, दरअसल पूरे शो का थीम ही विवादास्पद है. वेस्टर्न में यह नौर्मल है. वहां पारंपरिकता और संस्कृति का हल्ला रहता है पर उसे क्रिएटिविटी के आड़े नहीं आने दिया जाता, लेकिन क्या इस के लिए पूरे शो को बैन कर देना उचित है? क्या इन्हें फांसी देने या जेल भेजने की डिमांड करना उचित है? क्या 25-30 साल के इन युवा चेहरों को अपराधी से ज्यादा ट्रीट करना और कई दोगुना तीखे अंदाज में गालियों देना, जान से मारने की धमकी देना सही है? क्या यह अश्लीलता नहीं?
इंटरनेट के जमाने में कंटेंट का क्या कोई देश है? क्या आप सोशल मीडिया से पारिवारिकता की उम्मीद लगा कर बैठे हैं? सोशल मीडिया पहले ही गटर बन चुका है. जो लोग सोशल मीडिया पर हैं उन के पास चौइस है अपनी पसंद का कंटेंट देखने की और न देखने की. कोई जबरन किसी को अपना कंटेंट नहीं दिखाता. आप के पास फौलो करने या न करने का आप्शन है. आप के पास उस के व्यूज कम करने का हक है लेकिन हिंसक होने का हक नहीं.
जो मातापिता अपने बच्चों के संस्कारों के बिगड़ने को ले कर परेशान हैं क्या वे खुद सोशल मीडिया पर घंटों समय नहीं बरबाद कर रहे? क्या वे खुद अपने बच्चों को फ़ोन नहीं थमा रहे? क्या वे अधनंगी लड़कियों की रील्स नहीं देख रहे? यदि अश्लीलता से समस्या है तो खुद के अकाउंट बंद करें, सरकार से मांग करें कि सोशल मीडिया ही बैन करे.
क्रिएटिव फील्ड हमेशा से ही विवादास्पद रहा है. फिल्मों, वेब सीरीज और स्टैंडअप कौमेडी में अकसर ऐसा कंटेंट देखने को मिलता है, जो कुछ लोगों को पसंद आता है और कुछ को नहीं लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि हर विवादास्पद कंटेंट को बैन कर दिया जाए. अगर किसी को कंटेंट पसंद नहीं है, तो वह उसे न देखे. यही डिजिटल युग की खूबसूरती है कि आप के पास चुनने की आजादी है. इन्फ्लुएंसर या कंटेंट क्रिएटर खुद समझ जाएगा कि उसे इस तरह का कंटेंट नहीं बनाना.
कुछ लोग इस विवाद को भारतीय संस्कृति और परंपरा पर हमला बता रहे हैं लेकिन क्या सच में ऐसा है? हां, यह जरूरी है कि कौमेडी की सीमाएं हों, लेकिन यह सीमाएं इतनी सख्त भी नहीं होनी चाहिए कि क्रिएटिविटी दम तोड़ दे. फिल्मों में भी खूब गालियां और अश्लील दृश्य होते हैं, लेकिन उन्हें बैन नहीं किया जाता. कई फिल्मों में तो राजनीतिक एजेंडे चलाए जाते हैं, सरकार उन्हें प्रोमोट करती है तो फिर स्टैंड-अप कौमेडी से साफ़सुथरे होने की उम्मीद करना क्या बैइमानी नहीं?
सवाल यह भी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस एक मुद्दे को उछाल कर सरकार अपना उल्लू सीधा करना चाहती है? सभी जानते हैं सरकार सोशल मीडिया पर नकेल कसना चाहती है इस के लिए वह पहले भी पिछले साल ब्रोडकास्टिंग बिल संसद में ला चुकी है. वह तय करना चाहती है कि कंटेंट कैसा जाए, किस का जाए. कहीं इस के बहाने इस बिल को फिर से हवा देने का मसला तो नहीं, क्योंकि यह मामला पार्लियामेंट्री कमिटी तक पहुंच चुका है.
(बौक्स)
भारत में अश्लीलता के खिलाफ 2 मुख्य कानून हैं
भारतीय दंड संहिता की धारा 294 – इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री बेचता, दिखाता, प्रचार करता या किसी और तरीके से वितरित करता है, तो उसे सजा हो सकती है. यह कानून औनलाइन अश्लील सामग्री को भी शामिल करता है. अगर कोई सामग्री बहुत ज्यादा यौन आकर्षक और समाज को खराब करने वाली मानी जाती है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है. पहले बार दोषी पाए जाने पर, उस पर 2 साल तक की सजा और 5000 रुपए तक का जुरमाना हो सकता है.
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67- इस कानून के तहत औनलाइन अश्लील सामग्री को प्रसारित करने पर कड़ी सजा दी जाती है, इस में वही परिभाषा दी गई है जो भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में दी गई है. हालांकि इस कानून में सजा कड़ी है, क्योंकि इस में पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा और 5 लाख रुपए तक जुरमाना हो सकता है.