Education Department : सहायता प्राप्त स्कूलों का प्रबंधन शिक्षा विभाग और खर्चे सरकार के जिम्मे होते हैं. बावजूद इन में से कई स्कूल डोनेशन और करप्शन की भेंट चढ़े होते हैं. ऐसे मामले बहुत हैं पर कार्यवाही कुछ नहीं.

शिक्षा विभाग (डिपार्टमेंट औफ एजुकेशन) के तहत सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भर्ती और प्रवेश के मामलों में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. दिल्ली के स्कूल दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियमों के तहत आते हैं, जिन का प्रबंधन शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है. इस के अनुसार, हर नियमित शिक्षक को 7वीं वेतन आयोग के मानकों के हिसाब से वेतन मिलता है. दिल्ली के स्कूलों के नियमित शिक्षकों का वेतन औसतन 50,000 रुपए से 1.8 लाख रुपए तक होता है. शिक्षा विभाग के तहत सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन का 95% खर्च सरकार वहन करती है, जबकि 5% स्कूल सोसाइटी द्वारा दिया जाता है.

नियमों का जम कर उल्लंघन

मानदंडों के अनुसार, सहायता प्राप्त स्कूलों को छात्रों से किसी भी रूप में डोनेशन या शुल्क लेने की अनुमति नहीं है, लेकिन यह नियम अधिकांश स्कूलों द्वारा उल्लंघन किया जाता है. ये स्कूल प्रवेश के समय भारी डोनेशन एकत्रित करते हैं और मासिक भुगतान के रूप में फीस के बदले डोनेशन लेते हैं. बहुत बार यह कहते हैं कि स्कूल में पंखे, टाइल्स या टोयलेट बनाने के लिए पैसों की जरूरत है जिस के एवज में ये पैसे मांगते हैं. प्रबंध समिति के भ्रष्ट सदस्य इन फंड्स का बड़ा हिस्सा हड़प लेते हैं और इस का रिकौर्ड भी नहीं रखते.

यह विडंबना है कि सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकृत स्कूल सोसाइटी बिना किसी जवाबदेही, निगरानी या नियंत्रण के चलाए जाते हैं. सोसाइटी रजिस्ट्रार द्वारा इन सोसाइटियों पर कोई निगरानी नहीं रखी जाती है, जो अपनी वार्षिक रिटर्न, औडिट रिपोर्ट और प्रबंध समिति के मिनट्स जमा नहीं करतीं या अपनी सामान्य बैठकें नहीं आयोजित करतीं.

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