Bollywood : जनवरी माह के दूसरे सप्ताह में प्रदर्शित फिल्मों का बाक्स आफिस पर बुरी तरह से बंटाधार हो गया था. जनवरी माह के तीसरे सप्ताह यानी कि 17 जनवरी को रिलीज हुई दो फिल्मों ‘आजाद’ और ‘इमरजेंसी’ से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन यह फिल्म जिस बुरी तरह से बौक्स औफिस पर मुंह के बल गिरी हैं, उस की उम्मीद तो इन फिल्मों के दुश्मनों को भी नहीं थी.

जनवरी के तीसरे सप्ताह 17 जनवरी को प्रदर्शित फिल्म ‘आजाद’ का वितरण मशहूर व अति शक्तिशाली तथा फिल्म ‘पुष्पा 2: द रूल’ का वितरण कर चुके वितरक अनिल थडाणी ने किया है. इस फिल्म में अनिल थडाणी की बेटी राशा थडाणी हीरोईन है. लोग सोच रहे थे कि इस फिल्म को बाक्स आफिस पर सफलता दिलाने के लिए अनिल थडाणी एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे. अनिल थडाणी ने अपनी तरफ से पूरा जोर लगाया, लेकिन उन्होंने अपनी जेब से धन निकाल कर टिकट खरीद कर लोगों को मुफ्त में बांटने से इंकार कर दिया.

अब जब निर्माता व कलाकारों ने फिल्म की टिकटें खरीद कर नही बांटी तो फिल्म का डूबना तय था. ‘आजाद’ में राशा थडाणी के ही साथ अजय देवगन के भांजे अमन देवगन की भी हीरो के तौर पर यह पहली फिल्म है. इस फिल्म में अजय देवगन, डायना पेंटी, मोहित मलिक और पीयूष मिश्रा के भी अहम किरदार हैं. लेकिन फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर ने इस फिल्म को डुबाने में अपनी सारी ताकत लगा दी.

सबसे पहले तो वह मौलिक कहानी सोच नहीं पाए, ऊपर से ‘लगान’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘तेरी मेहरबानियां’ सहित कम से कम 50 फिल्मों को मिला कर चूंचूं का मुरब्बा बना दिया. फिल्म के नए पुराने किसी भी कलाकार से वह अभिनय ही नही करवा सके. जिस के चलते 80 करोड़ रूपए में बनी फिल्म ‘आजाद’ ने पूरे सप्ताह यानी कि 7 दिन में बामुश्किल 6 करोड़ रूपए ही कमाए, वह भी तब जब 17 जनवरी को ‘सिनेमा लवर्स डे’ के नाम पर टिकट की दर केवल 99 रूपए थी. इन 6 करोड़ रूपए में से निर्माता की जेब मे महज एक करोड़ ही आएंगे. अजय देवगन के करीबी दावा कर रहे हैं कि अपने करियर के ही साथ अपने भांजे अमन देवगन का करियर बनने से पहले ही डुबाने का पश्चाताप करने के लिए अब अजय देवगन अभिनय से संन्यास लेने जा रहे हैं.

17 जनवरी को भाजपा सांसद कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ प्रदर्शित हुई थी, जिस में इंदिरा गांधी का किरदार निभाने के साथ ही इस का सह निर्माण, निर्देशन व लेखन भी कंगना रनौत ने ही किया है. इस फिल्म को किसी अन्य ने नहीं बल्कि कंगना रनौत ने खुद ही डुबा डाला. कंगना रनौत का मानना है कि आजादी 2014 में मिली थी. उन्होंने कांग्रेस शासन की बुराई व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के अलावा पिछले 10-12 साल में कुछ नहीं किया. इस वजह से सभी मान कर चल रहे थे कि कंगना ने अपनी फिल्म ‘इमरजेंसी’ में इमरजेंसी यानी कि आपातकाल लागू करने व उस दौरान को बदनाम करने वाले दृश्य/तथ्य पेश करेंगी. पर हुआ उल्टा.

फिल्म में इमरजेंसी का मसला तो 20 मिनट से ज्यादा है ही नही. अपनी भाजपा भक्ति को दिखाने के लिए कंगना ने इंदिरा गांधी को एक कमजोर प्रधानमंत्री साबित करने के अलावा वह पूरी फिल्म में इंदिरा गांधी का महिमामंडन ही करती रहीं. आखिर उन के पास इंदिरा गांधी के करनामों को दिखाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नही रहा. क्योंकि फिल्म तो इंदिरा गांधी की बायोपिक है. इमरजेंसी लगाने के अलावा इंदिरा ने हर काम देशहित में किए. इमरजेंसी व नसबंदी के लिए कंगना ने इंदिरा गांधी की बजाय संजय गांधी को दोष दिया. लेकिन कंगना के इस उबल गेम के चक्कर में वह कांग्रेस व भाजपा दोनों का साथ नही पा सकी.

फिल्म कहानी के अलावा बहुत घटिया तरीके से बनी है. किसी भी कलाकार ने ठीक से अभिनय नहीं किया तो फिल्म की बुराई काफी हुई. यह एक अलग बात है कि कंगना रनौत ने अपने चंद चापलूस यूट्यूबरों व कुछ अन्य पत्रकारों की मदद से उन सभी फिल्म आलोचकों की निंदा कराई जिन्होंने ‘इमरजेंसी’ को खराब फिल्म बताया या लिखा. ऐसा करते हुए कंगना ने दोहरा नुकसान कर डाला.

उधर अब लोगों को उन के चापलूस यूट्यूबरों पर से भी यकीन उठ गया. पूरे एक सप्ताह में फिल्म ‘इमरजेंसी’ ने बौक्स औफिस पर 14 करोड़ रूपए कमा लिए. फिल्म का बजट 70 करोड़ रूपए से अधिक बताया जा रहा है.

जनवरी माह के चौथे सप्ताह, 24 जनवरी को कुछ छोटी फिल्मों के ही साथ अक्षय कुमार की फिल्म ‘स्काई फोर्स’ प्रदर्शित हुई है. जिसे 3 दिन तक 250 रूपए से 400 रूपए की छूट के साथ मुफ्त मे लोग देख सकते हैं. ऐसे में इस का बौक्स औफिस कलेक्शन पर अब अगले सप्ताह बात करेंगें.

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