Wedding Shoot : शादियों में वैडिंग फोटोग्राफी एक बड़े खर्च के रूप में बदल चुकी है. शादी के बाद वीडियो और फोटो कपल्स के किस काम के हैं.
वैडिंग फोटोग्राफी टैक्नोलौजी से जुड़ा विषय है. समय के साथ टैक्नोलौजी बदल रही है. 50 साल पहले के फोटोज आज कितने कपल्स के पास सुरक्षित होंगे?
30 साल पहले कलर फोटोग्राफी आई और शादी के कलर फोटो और वीडियो के कैसेट बनने लगे थे. जो वीसीआर यानी वीडियो कैसेट रिकौर्डर के जरिए टीवी पर देखे जाते थे. आज अगर वीडियो कैसेट है तो वीसीआर कितने कपल्स के पास है. फोटो एलबम प्लास्टिक वाले होते थे, जिन में सीलन से उस समय के फोटो खराब हो चुके होंगे. वीडियो कैसेट के बाद शादी के वीडियो सीडी यानी कम्पैट डिस्क में ली जाने लगी. यह सीडी कंप्यूटर, लैपटौप पर चलती थी. आज के दौर में इस की जगह भी खत्म हो गई है.
चुनौती मोबाइल से
अब पीडी यानी पेन ड्राइव का जमाना है. इस को टीवी, कंप्यूटर, लैपटौप और प्रोजैक्टर किसी भी रूप में देखा जा सकता है. अब फोटो और वीडियो को सब से बड़ी चुनौती मोबाइल से मिल रही है. वैडिंग फोटोग्राफर जहां कईकई महीने के बाद फोटो और वीडियो देता है वहीं मोबाइल से चटपट फोटो और वीडियो को क्लिक कर के सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाता है. किसी भी फोटो के सोशल मीडिया पर अपलोड होते ही उस की कीमत खत्म हो जाती है. पिछले 30 सालों में टैक्नोलौजी तेजी से बदली है. बदलते दौर में चीजें तेजी से पुरानी होने लगी हैं.
ऐसे में आने वाले 20-30 सालों में आज के वीडियोज और फोटोज किस टैक्नोलौजी में होगे इस का अभी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. इन को उस समय देखना सरल होगा भी या नहीं यह भी नहीं कहा जा सकता. 30 साल पहले सोशल मीडिया नहीं था. उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि इतनी तेजी से वीडियो और फोटो वायरल हो सकते हैं. फोटो और वीडियो को संरक्षित करना सरल नहीं है. पेपर वाले फोटो एलबम अब लैमिनेशन फोटो एलबम में बदल चुके हैं. जिन में चुनी गई 2-3 सौ फोटो लगी होती हैं. इन को न हटाया जा सकता है न एलबम में नई फोटो रखी जा सकती है.
पैकेज 70-80 हजार से ले कर 4 से 5 लाख तक
इस के बाद भी वैडिंग फोटो और वीडियो पर खर्च बढ़ गया है. 30 साल पहले सामान्य शादी में जितना खर्च होता था आज उतना वीडियो और फोटो पर खर्च होता है. लड़का और लड़की दोनों की तरफ से यह वीडियो और फोटोग्राफर रखे जाते हैं. जिस का अर्थ है कि खर्च डबल होता है. शादी की ज्यादातर रस्में लड़कालड़की की एक साथ होती है. ऐसे में दोहरे खर्च की जरूरत क्यों हैं ?
यह सोचने वाली बात है. वीडियो और फोटोग्राफर की एक टीम के साथ 5-6 लोग होते हैं. इन की पैकेज 70-80 हजार से ले कर 4 से 5 लाख तक होता है. यह कीमत शहर, फोटोग्राफर की खासियत पर निर्भर करती है. फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर के साथ ही साथ ट्रौली कैमरा और ड्रोन कैमरा भी जरूरी होता है. ट्रौली कैमरा शादी के इवेंट्स को वहां लगी एलईडी में तत्काल डिस्प्ले करता है. जिस से जो लोग दूसरी जगह पर है वह भी देख सके कि शादी के मुख्य आयोजन में क्या हो रहा है? ड्रोन कैमरा के जरिए वहां से फोटो लिए जाते हैं जहां मैनुअल कैमरा नहीं पहुंच पाता है. इन सब की अपनी कीमत होती है. जो पूरे पैकेज को मंहगा बनाती है.
किस तरह के कैमरा होते हैं इस्तेमाल
शादी की फोटोग्राफी के लिए ज्यादातर फोटोग्राफर डीएसएलआर कैमरे का इस्तेमाल करते हैं. प्रोफैशनल फोटोग्राफर डीएसएलआर या मिररलेस कैमरे का इस्तेमाल करते हैं. कैमरे के रूप में फोटोग्राफर सब से ज्यादा निकोन जेड6 का प्रयोग करते हैं. इस के अलावा पेनटेक्स के. 1000 मौडल का कैमरा भी बेहतर परिणाम देता है. यह एक मैनुअल फिल्म कैमरा है. ज्यादातर फोटोग्राफर इस से भी फोटो खींचना पसंद करते हैं.
इस के बाद कैनन ईएफ85एमएम है. इस का लेंस पोट्रेट शूट करने के लिए अच्छा माना जाता है. पेनटेक्स के70 कैमरा 24एमपी बेहतर मेगापिक्सेल के साथ आता है. फोटोग्राफर मानते हैं कि इस की बौडी बेहतर है. हर मौसम में अच्छा काम करती है. शादी की फोटोग्राफी के लिए फोटोग्राफर प्राइम और जूम लेंस दोनों का इस्तेमाल करते हैं. यह जूम लेंस भी अलगअलग तरह के होते हैं. एक फोटोग्राफर के पास 4 से 5 लाख का इंवेस्टमेंट होता है. कैमरे और लेंस के अलावा भी कई उपकरण का प्रयोग किया जाता है. इस के बाद वीडियोग्राफर का सेटअप अलग होता है. जिस का मतलब यह है कि जो वैडिंग शूट का पैकेज लेता है उस का इंवेस्टमेंट भी 5 से 10 लाख का होता है. जो सहायक कैमरा और वीडियो शूट करते हैं वह भी पैसा लेते हैं. फोटो और वीडियो एडिट करना भी कठिन काम होता है. हजारों वीडियो और फोटो में चुनी हुई 300 फोटो का एलबम प्रिंट कर के मिलता है. वीडियो और बाकी फोटो पेनड्राइव में कर के फोटोग्राफर देता है. सोशल मीडिया के लिए अलग से फोटो और वीडियो का ट्रेंड है. इस के लिए 2 से 3 मिनट की ट्रीजर यानी छोटी फिल्म बनाई जाती हैं.
मंहगी क्यों है फोटोग्राफी ?
वैडिंग फोटोग्राफर सूर्या गुप्ता बताते हैं, “हर साल वीडियो और फोटोग्राफी के उपकरण की टैक्नोलौजी बदल जाती है. ग्राहक यह चाहता है कि उस के यहां शूट में अच्छे वीडियो और कैमरे उपयोग में लाए जाएं. अधिकतर लोग टोकन मनी दे कर काम करा लेते हैं.
जब उन को पूरा पेमेंट देना होता है तो वह तमाम तरह के बहाने बनाते हैं. सब से बड़ा बहाना यह होता है कि फोटो और वीडियो में वह बात नहीं आई है जो आनी चाहिए. कई बार दुलहन शिकायत करती है मैं फोटो में सुदंर नहीं दिख रही हूं. कोई मोटी दिखती है तो कोई काली दिखने लगती है. इस का मकसद केवल फोटोग्राफर के पैसे काटने का होता है. वह कटौती कर के ही पैसा लंबा समय लगाने के बाद देते हैं.”
वैडिंग फोटोग्राफी का काम शादी के पहले से शुरू हो जाता है. प्रीवैडिंग शूट के अलावा हल्दी, रिंगसिरेमनी, लेडिज संगीत और भी कई इवेंट में होता है. ऐसे में केवल एक कैमरामैन और वीडियोग्राफर से काम नहीं चलता है. पूरी टीम काम करती है. सब के पास अलग कैमरा और वीडियो होते हैं. ऐसे में खर्च बढ़ जाता है.
एक अच्छा वैडिंग फोटोग्राफर विवाह के किसी रस्म को छोड़ना नहीं चाहता है. वह ग्राहक को यह मौका नहीं देना चाहता कि ग्राहक यह कह सके कि कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति छूट गया है. वैडिंग फोटोग्राफर एक तरह का छोटामोटा फिल्म डायरेक्टर सा हो जाता है. जो शादी की पूरी फिल्म ही बना देता है.
यह बात और है कि इस फिल्म को कोई दोबारा देखता नहीं है. शादी के 20-30 साल के बाद वीडियो और फोटो किस टैक्नोलौजी के रूप में मौजूद होंगे यह आज पता नहीं है. ऐेसे में यह वीडियो और फोटो कितने उपयोगी है यह भी कुछ कहा नहीं जा सकता है.
आज के दौर में जहां शादियों की ही गारंटी वहां यह वीडियो और फोटो सुकून के लिए नहीं कोर्ट में गवाह के रूप में ही पेश किए जाते हैं. ऐसे में इस खर्च को सीमित तरह से ही करना चाहिए. शादी में बहुत सारे खर्च केवल दिखावे के लिए होते हैं. जिस के पास जैसा बजट होता है वह खर्च करता है. बेहतर हो कि खर्च से अधिक ध्यान आपसी प्रेम और सांमजस्य पर दिया जाए. जिस के सहारे जिदंगी की गाड़ी आगे चलती है.