हमारे देश में प्यार हो जाना आम तो है पर प्यार का अंजाम तक पहुंचना आम नहीं है. यहां अपने पार्टनरचुनते समय धर्म, जाति, संस्कृति और रीतिरिवाज आड़े आने लगते हैं. हालांकिकहते तो हैं कि प्यार सच्चा हो तो सारी बेड़ियां टूट जाती हैं मगरउस के लिए फ्रीडा काहलो जैसी खुलीसोच और साहस का होना भी जरुरी होता है.

1907 में जन्मी घनी जुड़ी आईब्रो और बालों में फूलों के गुच्छे लगाने वाली फ्रीडा मैक्सिको की जानीमानी पेंटर रहीं. चटख रंगों वाली अपनी अनूठी पेंटिंग्स के कारण उन्होंने दुनिया भर का ध्यान अपनी और खींचा. उन की बनाई 143 पेंटिंग्स में से 55 सेल्फ पोर्ट्रेट्स थीं जिन्हें उन्होंने अपने बेडरूम में खुद को मिरर में देखते हुए बनाया था.

बचपन में पोलियो की शिकार हुई इस खूबसूरत पेंटर के लिए बात सिर्फ इतनी सी नहीं थी. उन की पेंटिंग्स ने मैक्सिकन सोसायटी, कल्चर, जेंडर, क्लास के सवालों को भी उठाने का काम किया. उन के जीवन में कई हादसे हुए, कई ऐसे जो किसी को भी भीतर से तोड़ने के लिए काफी थे, मगर वह साहस जुटाती और फिर से चल पड़ती.

दिलचस्प बात यह कि उन की स्वच्छंदता पेंटिंग के अलावा उन के निजी जीवन में भी एक सी थी.फ्रीडाने प्यार को ले कर बने सोशल टैबू को तोड़ा. रिश्तों को आजाद रखा. 1927 के इर्दगिर्द जब वह 20-21 साल की थी तब एक भयंकर हादसे से निकल करमैक्सिकन कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ीं, तबफ्रीडा काहलोकी मुलाकात डिएगो रिवेरा से हुई, जो शादीशुदा थे और उन की एक मिस्ट्रैस भी थी. यहां तक कि उन की फ्रीडा की बहन के साथ तक संबंध थे.दोनों में तकरीबन 20 सालों का अंतर था. डिएगो खुद भी मैक्सिको के जानेमानेपेंटर थे. यहां तक कि फ्रीडा के लिए वे गुरु के रूप में भी थे.

लोंग स्कर्ट को चलन में लाने वाली फ्रीडा और डिएगो का यह रिश्ता समाज के लिए रिश्ता कंप्लीकेटेड जरुर था पर इन दोनों के लिए नहीं. दोनों ने 1929 में एकदूसरे से शादी की. दोनों अकसर अपने गरमठंडे रिश्ते को अपनी पेंटिंग्स और लैटर्स के जरिए जाहिर करते थे. यह एक तरह का सौफ्ट वार भी था और प्रेम भी. मगर फ्रीडा डिएगो से मिली उस बेवफाई से भी गुजरी जिस से वह मुक्ति पाना चाहती थी और इस के लिए उस ने लैटर का सहारा लिया, उस आखिरी लैटर का जिस में प्यार तो था पर जबरदस्ती का बंधन नहीं.

आज जब फ्रीडा और डिएगो के रिलेशन का जिक्र किया जा रहा है तो इस की एहमियत इस तौर पर और बढ़ जाती है कि हमारी युवा जेनरेशन, जिन का अधिकतर समय सोशल मीडिया पर बिताता है, फ्रीडा काहलो की तरह खुद को एक्सप्रेस कर सकते हैं? क्या प्यार की वेदना और उस की तड़प को वे जाहिर कर सकते हैं जिस में हाई और बाए के अलावा भावनाएं हों? पेंटिंग्स तो दूर की बात क्या वह संबंध तोड़े जाने के लिए कोई ऐसा पत्र लिखने लायक भी हैं?

शायद नहीं. और अगर नहीं तो फ्रीडा का डिएगो को लिखा एक लैटर हमारी पीढ़ी को जरुर पढ़ लेना चाहिए-

मेक्सिको, 1953
मेरे प्रिय डिएगो,

मैं यह पत्र अस्पताल के कमरे से लिख रही हूं, औपरेशन थिएटर में जाने से पहले. वे मुझे जल्दी करने को कह रहे हैं, लेकिन मैं पहले यह लिखना चाहती हूं, क्योंकि मैं कुछ अधूरा नहीं छोड़ना चाहती. खासकर अब जब मुझे पता चल गया है कि वे क्या करने वाले हैं. वे मेरा एक पैर काटना चाहते हैं. जब उन्होंने मुझे बताया कि यह आवश्यक होगा, तो इस खबर का मुझ पर वैसा असर नहीं हुआ जैसा सभी को उम्मीद थी. नहीं, मैं पहले ही से अधूरी महिला थी जब मैंने तुम्हें खो दिया, शायद हजारवीं बार, और फिर भी मैं जीवित रही.

मुझे दर्द से डर नहीं लगता, और तुम यह जानते हो. यह मेरे अस्तित्व का हिस्सा है, हालांकि मैं यह स्वीकार करती हूं कि मैंने बहुत सहा है, खासकर जब तुमने मुझे धोखा दिया, हर बार, न सिर्फ मेरी बहन के साथ बल्कि और भी कई महिलाओं के साथ. वे कैसे तुम्हारे जाल में फंस गईं? तुम सोचते हो कि मुझे क्रिस्टिना से गुस्सा था, लेकिन आज मैं कबूल करती हूं कि वह इसलिए नहीं था. यह मेरे और तुम्हारे बारे में था. सबसे पहले मेरे बारे में, क्योंकि मैं कभी समझ नहीं पाई कि तुम क्या ढूंढते हो, जो मैं तुम्हें नहीं दे सकी. चलो खुद को धोखा न दें, डिएगो, मैंने तुम्हें वह सब कुछ दिया जो इंसानियत से संभव था और हम दोनों यह जानते हैं. लेकिन फिर भी, तुमने इतनी सारी महिलाओं को कैसे रिझाया जब तुम इतने बदसूरत हो?

मैं यह पत्र तुम्हें दोष देने के लिए नहीं लिख रही हूं, जितना कि हम पहले ही एकदूसरे को दोषी ठहरा चुके हैं. यह इसलिए है क्योंकि मेरा पैर काटा जा रहा है (कमबख्त चीज, आखिर में इसे जो चाहिए था वो मिल गया). मैंने तुम्हें बताया कि मैंने खुद को लंबे समय से अधूरा माना है, लेकिन अब क्यों हर किसी को यह भी जानना जरूरी है? अब मेरी टूटन सबको दिखेगी, तुम्हें भी. मैं तुम्हें बता रही हूं, इससे पहले कि तुम इसे कहीं और से सुनो.
मुझे माफ करना कि मैं तुम्हारे घर जाकर यह सब खुद नहीं कह सकी, लेकिन इन हालात में मुझे कमरे से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है, यहां तक कि बाथरूम जाने के लिए भी नहीं. मेरा इरादा किसी को दया दिखाने का नहीं है, और न ही मैं चाहती हूं कि तुम दोषी महसूस करो. मैं यह बताने के लिए लिख रही हूं कि मैं तुम्हें छोड़ रही हूं, मैं तुम्हें अपनी जिंदगी से काट रही हूं. खुश रहो और कभी मुझे मत ढूंढना. मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी कोई खबर सुनो और न ही मैं तुम्हारी सुनना चाहती हूं. अगर मरने से पहले मेरी कोई आखिरी ख्वाहिश है, तो वह यह है कि मुझे तुम्हारा बदसूरत चेहरा मेरे बगीचे में भटकता हुआ न देखना पड़े.

यही सब है, अब मैं शांति से कटने के लिए जा सकती हूं.

तुम्हारी कोई पागल जो तुमसे बेहद प्यार करती है,

तुम्हारी फ्रीडा

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