आप सालोंसाल तलाश करेंगे तब कहीं जा कर दोचार ऐसी लड़कियां मिल पाएंगी जो इस के लिए राजी होंगी और दूसरी बात, अगर वे राजी हो भी गईं तो क्या आप इन लड़कियों से शादी करने को तैयार होंगे क्योंकि ये लड़कियां ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं होंगी और तभी हाउसवाइफ बनना पसंद करेंगी. सोचने की बात है अगर वे अच्छी एजुकेटेड होंगी तो भला वे अपनी पढ़ाईलिखाई बेकार कर घर में क्यों बैठना चाहेंगी.
आजकल की लड़कियां नौकरी के साथसाथ घर संभालना भी जानती हैं, फिर एजुकेशन का उपयोग क्यों न करें. इस का एक पहलू यह भी है कि आप भी लड़की अपनी बराबरी की ही लेना चाहेंगे. बिना एजुकेशन वाली लड़की से तो शादी नहीं करना चाहेंगे भले ही वह हाउसवाइफ बनने को तैयार ही क्यों न हो.
इस बारे में रजत का कहना है, ‘मैं खुद चाहता था कि मेरी पत्नी हाउसवाइफ हो पर इस के साथ शर्त यह भी थी कि लड़की एजुकेटेड हो. पर कई साल बीत जाने पर भी मुझे ऐसी लड़की नहीं मिली और मुझे वर्किंग लड़की से ही शादी करनी पड़ी. लेकिन मुझे इस का कोई पछतावा नहीं है. हम अब बहुत खुश हैं. अब मुझे लगता है कि मेरी सोच ही गलत थी कि वर्किंग लड़की घर नहीं संभाल सकती. बल्कि, यह तो कपल की आपसी समझदारी और सामंजस्य पर निर्भर होता है. अगर दोनों साथ में मिल कर कोशिश करें तो घर और बाहर दोनों संभल जाते हैं.’
संदीप पेशे से इंजीनियर है, उस का भी ऐसा ही कहना है. वे और उन की वाइफ भी सेम प्रोफैशन से हैं. वर्किंग वाइफ होने से वे दोनों अपने समय का सही यूटिलाइजेशन करते हैं. एक ही क्षेत्र के होने कारण वे अपने औफिस की समस्या भी एकदूसरे से शेयर कर सकते हैं. संदीप कहता है, ‘मुझे लगता है वर्किंग वाइफ का नुकसान उन्हें ज्यादा होता है जो यह उम्मीद करते हैं कि उन की पत्नी घर के सारे काम करे, खाना बनाए और पति जब घर आए तो पत्नी उसे टेबल पर खाना-पानी ला कर दे. तो उन लोगों के लिए तो वर्किंग वाइफ के नुकसान हैं. पर जो लोग अपनी पत्नी के साथ काम में हैल्प करवा सकते हैं उन के लिए वर्किंग वाइफ होना बहुत अच्छा है. वर्किंग पत्नी के होने से आप को वित्तीय सहायता तो मिलती ही है, पत्नी लौंग टर्म में फिट और हैल्दी भी रहती है.
वर्किंग लड़की के हैं फायदे ही फायदे
वर्किंग लड़की न सिर्फ भावनात्मक रूप से बल्कि पैसे के मामले में भी मदद कर पाएगी. इनकम टैक्स रिटर्न, लोन आदि की समझ, गाड़ी चलाना आना आदि सब में भी बराबर समझ रखेगी. वर्किंग वाइफ अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा बचत में रखती है, जैसे फिक्स्ड डिपौजिट, बैंक सेविंग, लाइफ इंश्योरैंस आदि जो आप की फैमिली के फ्यूचर के लिए बहुत जरूरी है.
जब आप दोनों रिलैक्स होना चाहें तो आप दोनों छुट्टी ले कर पूरी तरह से रिलैक्स हो सकते हैं. दोनों के पास सीमित वक़्त होता है, जिसे दोनों ही पार्टनर प्यार से गुजारने में विश्वास करते हैं. इन लोगों के पास लड़ाईझगड़े और वादविवाद के लिए वक़्त की हमेशा कमी रहती है.
घर के रोजमर्रा के कामों में एकदूसरे का सहयोग करते हुए संबंधों का बौंड मजबूत होता जाता है.
पति या पत्नी में से कोई भी एकदूसरे को पैर की जूती नहीं समझ सकता क्योंकि घर दोनों के समान योगदान से चलता है. हालांकि हाउसवाइफ का भी घर चलाने में समान योगदान रहता है लेकिन अभी समाज उस परिपक्वता को हासिल नहीं कर पाया है जहां एक हाउसवाइफ के योगदान को बराबरी का समझा जाए.
पैसे की कमी नहीं रहती है. सिंगल इनकम में आप बेहतर जी रहे होते हो तो डबल इनकम में बेहतरीन जिया जा सकता है.
दोनों एकदूसरे का सम्मान करते हैं. पति भी बड़े गर्व से अपने सर्कल में बताता है है कि उस की वाइफ भी वर्किंग है.
जब तक कोई बहुत बड़ी बात न हो जाए, वर्किंग वाइफ घरेलू झगड़े में पड़ने से बचती है क्योंकि उस के पास औऱ भी जरूरी काम होते हैं.
वर्किंग मदर्स के बच्चे अपनी मांओं को एकसाथ कई कामों के बीच तालमेल बैठाते हुए देखते हैं. उन्हें समझ होती है कि कई चीजों को एकसाथ संभालना कितना स्ट्रैसफुल होता है. लेकिन उन की मां हर चीज को बहुत अच्छे से संभाल रही है. उन्हें देख कर बच्चे भी मल्टीटास्किंग बनते हैं और आगे चल कर स्ट्रैस को हैंडल कर पाते हैं.
यदि आप अपनी जौब चेंज करना चाहते हैं और आप को एकदो महीने जौबलेस होना पड़े तो आप के और घर के खर्चे आप की वाइफ उठा सकती है.
ज़्यादातर वर्किंग वुमन खुली सोच की होती हैं. वे बेवजह किसी के मामले में पड़ना पसंद नहीं करती हैं. यही वजह है कि अगर पति देर तक अपनी महिला मित्रों के साथ गपशप में बिजी रहे या देररात तक औफिस का काम निबटाता रहे तो वे बेवजह किसी बात पर रोकटोक या शक करना पसंद नहीं करती हैं.
वर्किंग वुमेन के साथ सामंजस्य कैसे बैठाएं
वर्किंग वाइफ का नुकसान सिर्फ इतना है कि वह आप के हर उचितअनुचित निर्णय को स्वीकार नहीं करेगी. वह अपना भी मत व्यक्त करेगी. उस की भी अपनी एक सोच होगी और वह चाहेगी कि घर की हर छोटीबड़ी बात का निर्णय उस से सलाह ले कर किया जाए न कि निर्णय होने के बाद उसे पता चले. इसलिए अच्छा यह है की अपना रिश्ता ऐसा बनाएं कि दोनों एकदूसरे की सलाह से ही काम करें. इस से दोनों के बीच सामंजस्य बना रहेगा.
घर के और अपने काम आप खुद देखें या फिर आप मेड लगवाएं. हर काम के लिए बीवी पर डिपैंड न हों क्योंकि समय का भाव उस के पास भी है.
– सुबह और शाम के कामों में अपनी वाइफ की हैल्प करें, क्योंकि दोनों को सुबह औफिस टाइम पर जाना है और शाम को दोनों ही थके होंगे.
– वाइफ अगर आप से ज्यादा अच्छी पोस्ट पर काम कर रही है, तो उसे देख कर जलन नहीं होनी चाहिए. वह जौब कर रही है आप के और आप के घर के लिए ही, इसलिए उसे यह एहसास कभी न कराएं कि आप उस से जलते हैं.
– हो सकता है कि आप को लगे कि वाइफ की तरफ से आप के लिए सम्मान कम हो गया है. यह केवल गलतफहमी हो सकती है या सच में ऐसा हो. अगर ऐसी कोई परेशानी हो, तो साथ में बैठ कर हल करें.
– बच्चों की देखरेख के लिए किसी को घर में रखना होगा, फिर वह चाहे आप का कोई हो या फिर कोई मेड रखने का रिस्क लेना पड़े. इस से बच्चों को ले कर तनाव काम होगा.
हर लड़के को घर के कामकाज आने चाहिए जैसे कि डायपर कैसे बदलें, कैसे साफ़ करें, कपड़े कैसे धोएं आदि.
हर लड़के के पास पूरे दिन में 2 घंटे ऐसे होते हैं जब वह घर के काम कर सकता है, इसलिए उन्हें भी करने की आदत डालें.
सो, अगर आप हाउसवाइफ लाने की बात इसलिए सोच रहे हैं कि बच्चे कैसे पालेंगे, उन की देखरेख कैसे होगी तो यह न सोचें क्योंकि फिर आप बैचलर ही रह जाएंगे. कुंआरे रहने से तो अच्छा है कि या तो बच्चे न करें या फिर सोच लें कि दोनों के सहयोग से बच्चे पल ही जाएंगे. कम से कम शादी तो हो जाए वरना हाउसवाइफ तो ढूंढते ही रह जाओगे. वर्किंग लड़की के साथ जो भी समस्या आप सोचते हैं उसे डिस्कस किया जा सकता है जैसे कि अगर बच्चों को ले कर दिक्कत है और आप मेड पर भरोसा नहीं करते तो 4-5 साल के लिए नौकरी छोड़ी भी जा सकती है और फिर बच्चों के संभल जाने पर दोबारा जौइन की जा सकती है. अगर लड़की आप के स्तर की होगी, बराबर की होगी, उतनी ही एजुकेटेड होगी तो वह वर्किंग ही मिलेगी. अब चौइस है कि आप को हाउसवाइफ की चाहत रख कर बैचलर ही बने रहना है या फिर रिश्ते में सामंजस्य बिठा कर लाइफ में आगे बढ़ना है.