साइबर क्रिमिनल्स नएनए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं. ऐसे मामले देशभर से आ रहे हैं. जहां बदमाशों ने कारोबारियों को निशाना बनाने के लिए उन्हें अलगअलग व्हाट्सऐप ग्रुप में जोड़ा. फिर ग्रुप में शेयर बाजार से जुड़ी जानकारियां शेयर कीं और ज्यादा मुनाफा कमाने का लालच दिया.

आईए आज आप को एक ऐसा सच बताते हैं जिसे देख समझ कर आप स्वयं और आसपास के लोगों को धन की लालच में पड़ कर ठगने से बचा सकते हैं. आज पढ़ेलिखे नौजवान रूपयों के पीछे दौड़ रहे हैं और उस के लिए कुछ भी गलत करने को तत्पर हो जाते हैं. परिणामस्वरुप जिस तरह मछली को फंसाया जाता है वह भी ‘एक मछली’ बन कर फंस जाते हैं और अपने कीमती धन से हाथ धो बैठते हैं.

हमारे समाज में कुछ ऐसे भी आर्थिक खेल हो गए हैं जिस में फंस कर युवा अपनी जिंदगी तबाह कर रहे हैं. अकसर घटित होने वाली इन घटनाओं से लोग सीख कम ही लेते हैं. दरअसल बीचबीच में घटित होने वाली यह घटनाएं बताती हैं कि इन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया जाना चाहिए. एक अच्छे समाज की परिकल्पना अगर हम करें तो वहां ऐसी बुराइयां होनी नहीं चाहिए कि जहां कोई ठगी का शिकार हो जाए या फिर बरबाद हो जाए.

फिलहाल तो ऐसी परिस्थितियां शायद दुनिया में बननी संभव दिखाई नहीं देती, मगर आने वाले समय में जहां एक आदर्श समाज होगा वहां इन्हें कोई स्थान नहीं दिया जाएगा, यह तय है. हाल ही में छत्तीसगढ़ में शेयर ट्रेडिंग टिप्स सीखने के फेर में साकेत कालोनी दुर्ग का युवक करीब 15 लाख रुपए की ठगी का शिकार हो गया. फिलहाल युवक की रिपोर्ट पर मोहन नगर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है.

जांचकर्ता पुलिस अधिकारी ने हमारे संवाददाता को बताया प्रार्थी सौरभ स्वर्णकार पिता स्व. जी पी स्वर्णकार (35 वर्ष) साकेत कालोनी दुर्ग औनलाइन विज्ञापन देखने के बाद शेयर ट्रेडिंग की जानकारी लेने का प्रयास करने लगा. तब उसे टेलीग्राम एप के जरिए संपर्क किया गया. एक लिंक के द्वारा 19 दिसंबर 2023 को एक ऐप डाउनलोड करवा कर केवाईसी के लिए आधार एवं पेन कार्ड की फोटो भी अपलोड करवाया गया. उन के द्वारा पीड़ित को व्हाट्सऐप ग्रुप में भी जोड़ा गया. इसी के माध्यम से शेयर खरीदीबिक्री की जानकारी दी जाने लगी.

शेयर खरीदने के लिए जो पैसे लगने थे, उसे जो ऐप डाउनलोड कराया गया था. उस में रीचार्ज के माध्यम से रुपए का भुगतान करना होता था. रीचार्ज करने के लिए टेलीग्राम चैनल में कस्टमर सर्विस के नाम से एक चैनल बनाया गया, जहां रीचार्ज की राशि पूछी जाती थी. फिर वो एक खाता क्रमांक में रुपए ट्रांसफर करना होता था. रीचार्ज होने पर वह राशि उन के ऐप में दिखाई पड़ती थी. हर रीचार्ज के समय अलगअलग खाते बताए गए.

19 जनवरी 2024 को एक आईपीओ लांच हुआ. सौरभ को इस में अप्लाई करने को कहा गया. प्रौफिट अच्छा होने का चांस बता कर लालच दिया गया. सौरभ पर दबाव बना कर एकमुश्त 13 लाख रूपए उन के बताए खाते में आरटीजीएस कराया गया. सौरभ को जमा राशि उन के ऐप में दिखाई दे रही थी. मगर कुछ दिनों बाद वह अपने आप बदल गया. कुछ पूछने पर कुछ सही जवाब नहीं आया.

सौरभ स्वर्णकार को ठगी का एहसास होने पर मोहन नगर थाने में शिकायत की. उस के साथ कुल 14 लाख 65 हजार रुपए की ठगी हुई है. शिकायत पर पुलिस द्वारा धारा 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है. ऐसी ही कुछ और घटनाएं देश के अन्य शहरों में भी घटित हुई हैं और पुलिस अपनी जांच कर रही है, मगर इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है. इस का कारण है युवाओं की अंधी लालच जिस में फंस कर युवा ठगी का शिकार हो रहे हैं.

कुछ ऐसा है, ठगी का खेल

दरअसल, कारोबारी जब पूरी तरीके से उन के झांसे में आ गया तो उस के दो अलगअलग अकाउंट खुलवाए गए फिर धीरेधीरे एक करोड़ से ज्यादा की रकम खातों में जमा करवाई जाती रही. इधर व्यापारी को लग रहा था कि उन की रकम बढ़ रही है. और वह देखते ही देखते करोड़पति हो जाएगा, मालामाल हो जाएगा. इस तरह वह लालच में फंसता चला गया. लेकिन जब जरूरत पड़ी व व्यापारी ने पैसे निकालने की कोशिश की तो उन्हें रुपए नहीं मिले. उल्टा उन से नए आईपीओ के नाम और रकम मांगी गई.

और जब व्यापारी के पैसे नहीं निकले तब उसे ठगी का एहसास हुआ और वह पुलिस की साइबर अपराध को लिखित शिकायत की.

ऐसे मामलों में पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू करती है. पुलिस के मुताबिक आमतौर पर लोगों के साथ फ्रौड के मामले उन के लालच के कारण होते हैं. जैसे एक व्यक्ति के साथ 22 करोड़ रुपए का साइबर फ्रौड हुआ. उस ने इन्वेस्टमैंट के नाम पर पैसा डबल होने के लालच में नुकसान झेला.

आमतौर पर ऐसे ही घटना क्रम देशभर में सामने आ रहे हैं. दरअसल, जैसे धार्मिक श्रद्धा में फंस कर लोग अपना सबकुछ गंवा बैठते हैं और बाद में खुद को लुटा हुआ पाते हैं वैसे ही कुछ आजकल आधुनिक स्वरूप में व्यवसाय का जामा पहन कर लुटे जाने की घटनाएं आम हो गई हैं.

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