आकाश हमेशा से छोटा होने के कारण सब का लाडला रहा उस की हर बात मानी जाती थी, उसे कभी भी किसी बात के लिए मना नहीं किया गया. जो लोग बचपन से लाड़ले रहे हैं. जिन की बात हर समय मानी गई है. उन्हें न सुनने की आदत नहीं होती है साथ ही कोई दूसरा उन्हें अगर सही बात भी बताएं, तो भी उन्हें बुरा ही लगता है क्योंकि उन्हें लगता है कि सामने वाला बेकार का ज्ञान दे रहा है. क्यूंकि उन्हें किसी की कोई भी बात सुनने की आदत नहीं होती है.
जिस का नतीजा होता है कि ये जो चिड़चिड़ाहट है ये जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ती. यह चिड़चिड़ाहट हमारे डीएनए में घुस जाती है, आदत में आ जाती है. धीरेधीरे आप के फ्रैंड के साथ भी, घर में भी, आप कल को शादी करोगे तब भी, नौकरी करने जाओगे तब भी हर जगह आप का पीछा नहीं छोड़ेगी. नतीजन आप कभी अपने भाई बहनों पर झल्लाओगे. कभी दोस्तों पर. यहां तक कि टीचर से भी बहस कर जाओगे. जौब करोगे तो सिर्फ कुलीग्स ही नहीं कभी आप बौस पर भी झल्लाओगे जिस का असर नौकरी पर भी पड़ेगा.
इस चिड़चिड़ाहट का कारण आप की बचपन की देन है और अगर आपने इस को कायम रखा तो आप को 5 साल बाद भी 10 साल बाद भी 20 साल बाद भी ये खाने को आएगी. इसलिए अच्छा है कि आप इसे काबू करने की कोशिश अभी से करें. हम इस में आप की मदद करेंगे और कुछ बातें ऐसे हैं जिन्हें अपना कर या उन का ध्यान रख कर आप अपनी चिड़चिड़ाहट को कुछ कम कर सकते हैं.
अपने चिड़चिड़ेपन की वजह जाने
सब से पहले यह पता करें कि वे कौनकौन सी बातें है जिन को देख कर या कर के आप को गुस्सा आता है. जैसे कि अगर कोई आप से तेज आवाज में बोले, या आप की बात काटे तो आप को गुस्सा आता है. ऐसे में सामने वाले पर नाराज न हों बल्कि उन्हें शांति के साथ समझाएं की आप का ऐसा व्यवहार मुझे तकलीफ देता है.
अपने व्यवहार में बदलाव लाएं
गुस्सा आने पर पहले 10-1 तक उलटी गिनती गिनें और फिर गुस्सा आने पर रिएक्ट करें. तुरंत रिएक्शन से बेहतर 10-1 तक गिनती करना है. इस के अलावा बहुत तेज़ गुस्सा या चिड़चिड़ाहट होने पर आप अपनी इंडेक्स फिंगर को तेजी से दबाएं और कोशिश करें कि आप का ध्यान उस की तरफ जाए.
अपनी बात को चिड़चिड़ाहट के साथ नहीं बल्कि तर्क के साथ कहें
अब इस में डिग्रीस का फर्क होगा कोई ज्यादा चिड़चिड़ाता है कोई कम चिड़चिड़ाता है. चिड़चिड़ाहट न हो इस का ये मतलब नहीं के आप सरेंडर करो. अगर आप की बात सही है, तार्किक है तो उस पर अड़े पर चिड़चिड़ा के साथ नहीं बल्कि अपनी बात दूसरों को समझाएं. लौजिक के साथ अपनी बात रखेंगे तो सामने वाले को आप की बात समझ आएगी.
व्हाट्सऐप मैसेज टू माइसेल्फ करें
चिड़चिड़ाहट के बाद अपनी बातों को एक डायरी में या व्हाट्सऐप में नोट करो कि मैं कब और क्यों किस बात से चिड़ा. ऐसे क्या बात थी जिस वजह से मुझे गुस्सा आया. अगर डायरी रखना मुश्किल है तो व्हाट्सऐप का एक फीचर है मैसेज टू माइसेल्फ. इस के किसी के देखने के भी चांस नहीं है और जब आप चाहो तब इसी देख सकते हो. जैसे आपने इसे महीने पहले देखा और फिर उस में कुछ ऐड किया और फिर कौपी पेस्ट किया. इस तरह आप के पास एक लम्बी लिस्ट बन जाएंगे की आप किन बातों पर चिड़चिड़ाते हो और वो जैसेजैसे काम होते जाएं आप खुश होते जाएं.
कुछ पल अपने साथ बिताएं और अपने बारे में सोचें
अपने साथ समय बिताने का भी एक मकसद है ताकि आप खुद से खुद को मिलवा सकें और जाने के आप किन बातों से चिढ़ते हैं और फिर कैसे आप की चिड़चिड़ाहट कम होती है.
जो कर रहें है उस बारें विचारें
कई बार चिड़चिड़ाहट की वजह यह भी होती है कि हम करना कुछ ओर चाहते हैं और कर कुछ ओर ही रहे होते हैं. अगर ऐसी बात है तो तुरंत खुद को समय दें और वही करें जो आप करना चाहते हैं. अपनी पसंद का काम करें चाहे कुछ खेलना हो या फिर कोई मूवी देखनी हो अपनी पसंद की देखें.
चिड़चिड़ाहट कम होगी तो दोस्त भी बनेंगे
जितनी चिचिड़ाहट कम होगी उतने ही ज्यादा आप के दोस्त बनेंगे. इसलिए अपनी कुछ आदतों पर धयान दें और उन्हें बदलने की कोशिश करें जैसे क्या आप भी जल्दी परेशान हो जाते हैं, बिना वजह आक्रामक हो जाते हैं, छोटीछोटी बातों का बुरा मानना आप की आदत है, जल्दी गुस्सा आना किसी की बात न सुनना, खुद को ही सही ठहराने की जिद करने लगते हैं. ये सभी बातें आप में पाई जाती हैं तो अपनी इन आदतों को धीरेधीरे छोड़ दें.
इन पर भी धयान दें
– सब से पहले अपनी चिड़चिड़ाहट के कारण को पता लगाने की कोशिश करें कि आप को किस चीज से चिड़चिड़ापन हो रहा है. अगर आप को वजह पता चलेगी तो आप को इसे दूर करने में मदद मिलेगी.
– किसी भी तरह के नशे से दूर रहें. अपनी दिनचर्या से शराब और कैफीन की मात्रा को सीमित करें. इस से दिमाग में एक तरह का तनाव पैदा होता है.
– कुछ समय के लिए एकदम शांत और अकेले रहें. इस से आप अपनी मनोवैज्ञानिक समस्याओं को आसानी से समझ पाएंगे.
– अपने नजरिए को एकदम क्लियर कर के विकसित करें, साथ ही यह जाने कि आप भविष्य में क्या करना चाहते हैं. आप की योजनाएं पूरी तरह से स्पष्ट होने चाहिए.
– दोस्तों के साथ बातें करना और अपने आस पड़ोस के साथ मेल मिलाप बढ़ाएं. इस से आप के दिमाग में नईनई योजनाओं का आगमन होगा.
– अपने को पूरी तरह से फिट रखें इस के लिए सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि मन को भी फिट रखें जैसे कि अपने आसपास नकारात्मक बातों और नकारात्मक ऊर्जा को न आने दें. सकारात्मक सोच से आप इस समस्या को दूर कर सकते हैं.