लड़का चाहे कितना ही निकम्मा और गैरजिम्मेदार क्यों न हो, उस की शादी एक सुशील और संस्कारी लड़की से करने की खोज शुरू हो जाती है, जो शादी के बाद उसे सुधार दे. जरा सोचिए, जिस लड़के को 25-30 साल की उम्र तक उस के मातापिता नहीं सुधार पाए, उसे एक ऐसी लड़की कैसे सुधार सकती है, जो उसे जानती तक नहीं.
शादी कोई सुधारगृह नहीं है
आज भी हमारे समाज में अगर कोई लड़का गैरजिम्मेदार प्रवृत्ति का होता है, तो उस के लिए एक ही बात कही जाती है, “इस की शादी कर दो, सुधर जाएगा.” समाज का शादी को सुधारगृह के नजरिए से देखने के कारण एक लड़की को कई चुनौतियों व परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिस का दुष्परिणाम वैवाहिक संबंध का टूटना, कानूनी और हिंसात्मक कदम के रूप में सामने आता है, जो बाद में पूरे परिवार के पछतावे का कारण बनता है. आजकल जिस तरह से बेटियों का पालनपोषण किया जा रहा है, उन में कुछ भी गलत सहन करने की क्षमता नहीं है. वैसे भी, यह कैसी सोच है कि अगर लड़का नशा करता है, कुछ काम नहीं करता है, तो उसे सुधारने के लिए उस की शादी करवा दो.
ऐसी सोच वाले लोग
ऐसे लोग अपनी सोच और इस निर्णय के परिणाम से अनजान होते हैं और आने वाली लड़की की जिंदगी के बारे में नहीं सोचते. क्या बहू बन कर आने वाली कोई बेटी नहीं होती? जिस बिगड़े लड़के को सुधरना होता है, उस के लिए मांबाप, रिश्तेदार और पड़ोसियों के ताने बहुत होते हैं. उसे किसी अच्छीखासी लड़की के साथ विवाह के बंधन में बांध कर उस के सुधरने की उम्मीद करना बेकार सोच और गलत निर्णय है.
एक अनुभव
कीर्ति (बदला हुआ नाम) की शादी को एक साल हुआ है. पति राजीव के मातापिता जानते थे कि उन का बेटा बिगड़ा हुआ है. वह शादी से पहले भी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा था और गलत संगत में था. फिर भी, उस के मातापिता ने कीर्ति से शादी करवा दी यह सोच कर कि घरपरिवार की जिम्मेदारियां पड़ेंगी तो वह सुधर जाएगा. पत्नी सुधार देगी. लेकिन जैसेजैसे कीर्ति के सामने राजीव की सचाई सामने आने लगी, कीर्ति ने राजीव और उस के परिवार को उन के गलत निर्णय का मजा चखाने व अपनी आगे की जिंदगी सुधारने का फैसला किया. उस ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ सारे सुबूत इकट्ठा किए और कोर्ट में केस दायर कर दिया. अब पूरा परिवार जेल की हवा खा रहा है.
पहले पेरैंट्स अपने बेटे को सुधारें, फिर शादी के बारे में सोचें
‘शादी के बाद लड़का सुधर जाएगा’ यह जुमला कह कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेने वाले पेरैंट्स के कारण लड़कियों की तकलीफें बढ़ जाती हैं. शादी के बाद ऐसी लड़कियों पर पैसे कमाने का प्रैशर बढ़ जाता है. बच्चे के जन्म के बाद तो समस्याएं और बढ़ जाती हैं. बेटा आप का है, तो उसे सुधारने की जिम्मेदारी भी आप की है. लड़के के पेरैंट्स को बचपन से बेटे को सही आदतें और संस्कार सिखाने चाहिए, महिलाओं की इज्जत करना सिखाना चाहिए. जब तक आप का बेटा कमाता नहीं, तब तक उस की शादी न करें. पहले बेटे को इस लायक बनाएं कि वह शादी की जिम्मेदारी उठा सके, उस के बाद ही उस के रिश्ते की बात शुरू करें.
बहू से बिगड़े बेटे को सुधारने की उम्मीद आखिर क्यों?
क्या बात हुई कि बेटा आप का बिगड़ा हुआ है, लेकिन उस की शादी कर के आप एक ऐसी लड़की की जिंदगी खराब कर रहे हैं, जिस की कोई गलती नहीं है. वह कैसे उसे जिंदगीभर बरदाश्त करेगी? इसलिए बिगड़े बेटे को सुधारने की अपनी समस्या भूल कर भी आने वाली लड़की के सिर पर न डालें, इस का खमियाजा सास के साथ पूरे परिवार को भुगतना पड़ सकता है. पूरा परिवार फंस सकता है, जेल जा सकता है. किसी भी लड़की को बिगड़ी औलाद को सुधारने की मशीन समझना सरासर गलत है. लड़के के मांबाप को यह सोचना चाहिए कि यदि उस लड़की की जगह उन की खुद की बेटी होती, तो क्या वे ऐसे बिगड़े लड़के से उस की शादी करते? हर लड़की के शादी को ले कर कुछ अरमान होते हैं. वह भी शादी के बाद अपना जीवन खुशहाली से बिताना चाहती है, लेकिन जब किसी बिगड़ैल लड़के के साथ वह शादी के बंधन में बंध जाती है, तो उस के सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं. और जब वह बदला लेने पर आती है, तो सब का जीवन दूभर हो जाता है. अगर लड़के में कोई योग्यता नहीं है कि वह अपना घर चला सके, तो उस की शादी का खयाल भी न करें. अगर लड़की के मांबाप भी बिगड़ैल लड़कों से बेटी की शादी इस सोच के साथ करते हैं कि वह बाद में सुधर जाएगा, तो वे भी कम दोषी नहीं होते.