‘बैड न्यूज’ को सैक्स व विषाक्त मर्दानगी भी सफलता नहीं दिला पाई तो वहीं सरकारपरस्त सिनेमा भी ठुकराया गया
जुलाई के दूसरे सप्ताह में अक्षय कुमार की ‘सरफिरा’ और कमल हासन की फिल्म ‘हिंदुस्तानी 2’ को जिस तरह से दर्शकों ने नकारा था, उस से एक ही संदेश उभर कर आया था कि दर्शक की नजर में बौलीवुड या दक्षिण के सिनेमा में कोई फर्क नहीं है. उसे कंटैंट प्रधान अच्छा व मनोरंजक सिनेमा चाहिए. जुलाई माह के तीसरे सप्ताह यानी कि 19 जुलाई को विक्की कौशल व तृप्ति डिमरी की वयस्क फिल्म ‘बैड न्यूज’, गोधरा कांड पर ‘ऐक्सिडैंट और कांसपिरेसी गोधरा’ और ‘द हीस्ट’ ये 3 फिल्में रिलीज हुईं.

जुलाई माह के तीसरे सप्ताह 19 जुलाई को प्रदर्शित फिल्में देखने के बाद किसी भी फिल्म से कोई उम्मीद नहीं थी. विक्की कौशल, तृप्ति डिमरी और एमी विर्क की आनंद तिवारी निर्देशित फिल्म ‘बैड न्यूज’ में विषाक्त मर्दानगी और सैक्स के भूखे इंसानों का एक अलग पक्ष रखते हुए विज्ञान को धता बताने वाली अविश्वसनीय कहानी पेश की गई. इसे देख कर एहसास हुआ था कि इस फिल्म को दर्शक नहीं मिलने वाले.

लेकिन 80 करोड़ रुपए की लागत में बनी फिल्म ‘बैड न्यूज’ ने पूरे सप्ताह में बौक्सऔफिस पर 45 करोड़ रुपए कमा लिए. इस में से निर्माता की जेब में 20 करोड़ रुपए ही जाएंगे. जबकि निर्माता ने अपनी तरफ से काफी कोशिश की. 22 जुलाई से एक टिकट पर एक टिकट मुफ्त भी दिया, पर वह बात नहीं बनी जो निर्माता चाहते थे. फिर भी वाहियात फिल्म ‘बैड न्यूज़’ के 45 करोड़़ रुपए कमा लेने से एक बात उभर कर आती है कि हमारे देश में सैक्स के भूखे इंसानों की कमी नहीं है. दर्शकों का एक वर्ग आज भी फिल्म में सिर्फ सैक्स व हीरोईन की जिस्म की नुमाइश ही देखने जाता है. ऐसे दर्शकों के ही चलते कुछ फिल्मकार अच्छे कंटैंट वाला सिनेमा बनाने के बजाय सैक्स परोसने पर सारा ध्यान देते हैं. इस फिल्म ने सोचने पर विवश कर दिया है कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है. ‘बैड न्यूज’ को सफलता नहीं मिली. इस से तृप्ति डिमरी के लिए संकेत हैं कि वह अपने जिस्म की नुमाइश व सैकस दृश्यों को करने पर ध्यान देने के बजाय अपनी अभिनय प्रतिभा के बल पर दर्शकों का दिल जीतने का प्रयास करे, तभी वह ‘लंबी रेस का घोड़ा’ बन सकती है.

दूसरी फिल्म ‘द हीस्ट’ ने पूरे सप्ताह में बामुश्किल 10 लाख रुपए ही कमाए. तीसरी फिल्म ‘ऐक्सिडैंट और कांसपिरेसी गोधरा’ ने 7 दिनों में एक करोड़ दस लाख रुपए ही कमाए. इस में से निर्माता की जेब में बामुश्किल 45 लाख रुपए ही आएंगे. इस फिल्म की बौक्सऔफिस पर हुई इतनी दुर्गति से फिल्मकारों को साफ संदेश है कि सराकरपरस्त सिनेमा से लोग दूर रहना चाहते हैं. लोग चाहते हैं कि फिल्मकार महज सरकार को खुश रखने के लिए तथ्यों को तोड़मरोड़ कर फिल्मों में पेश कर लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास छोड़ दें.
शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

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