मिथ – दोनों स्तनों के साइज में फर्क होना एक मैडिकल समस्या है.

फैक्ट – आमतौर पर महिलाओं के ब्रेस्ट के आकार में मामूली अंतर चिंता का विषय नहीं होता है. दोनों ब्रेस्ट का आकार कभी एकसा नहीं होता बल्कि उन में थोड़ाबहुत अंतर होना सामान्य है. ब्रेस्ट के आकार में अंतर हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकता है. यह उम्र बढ़ने के साथ होता है. इस स्थिति में एक ब्रेस्ट की ग्रोथ पहले होने लगती है. लेकिन दोनों की ग्रोथ रुकती एक साथ ही. ऐसे में एक ब्रेस्ट छोटी ही रह जाती है. ऐसे में महिलाओं को असहज महसूस होता है. स्तनों के आकार में बदलाव आनुवंशिक कारण की वजह से भी हो सकता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप को किसी मैडिकल उपचार की आवश्यकता है.

मिथ – ब्रेस्टफीडिंग की वजह से ब्रेस्ट लूज़ हो कर लटक जाते हैं.

फैक्ट – यही वजह कि कुछ महिलाएं अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करवाने से डरती हैं और उन्हें वे अपना दूध पिलाने के बजाय बोतल का दूध पिलाती हैं जोकि बच्चे के लिए अच्छा नहीं है. जबकि सच यह है कि ब्रेस्ट का आकर प्रेग्नेंसी में महिलाओं का वजन बढ़ने से बढ़ता है न कि दूध पिलाने से. बढ़ती उम्र के साथ त्वचा अपनी इलास्टिसिटी खोने लगती है, जिस की वजह से भी स्किन ढीली पड़ सकती है. ब्रेस्टफीडिंग करना वास्तव में आप के ब्रेस्ट के आकार को सुडौल बनाए रखने में मदद करता है और उन्हें वापस अपने शेप में लाता है, शेप बिगड़ता नहीं है.

मिथ – ब्रेस्ट कैंसर की एक वजह ब्रा भी है.

फैक्ट – ऐसे कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं हैं जो ये साबित करें कि टाइट ब्रा या अंडरवायर पहनने से ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है. दिल्ली के शालीमार बाग इलाके के मैक्स हौस्पिटल के सीनियर औंकोलौजिस्ट डाक्टर अजय शर्मा ने बताया कि कैंसर और ब्रा का सीधा संबंध नहीं है. आज तक प्रमाण नहीं मिला है. अभी तक डाक्टरों को ऐसा तथ्य नहीं मिला है जिस से कहा जा सके कि अंडरवायर ब्रा रात को पहन कर सोने से स्तन कैंसर हो जाता है. ब्रा के रंग या उस के प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर से कोई लेनादेना नहीं है. कहने का मतलब यह है कि पैडेड, अंडरवायर्ड या डार्क रंगों वाली ब्रा से आप की स्किन पर रैशेज हो सकते हैं लेकिन इन का ब्रेस्ट कैंसर से कोई लेनादेना नहीं होता. यहां तक कि इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि निप्पल पियर्सिंग से ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन यह भी सच है कि अगर ब्रा अपने साइज की न पहनी जाए या फिर कसी हुई हो तो उस से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

मिथ – प्रेस करने से ब्रैस्ट साइज बढ़ जाता है.

फैक्ट – इस मिथ की वजह से महिलाएं सैक्स का भी पूरा आनंद नहीं ले पातीं और अपने पार्टनर को ब्रेस्ट छूने से रोक देती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा कर के उन की ब्रेस्ट का साइज बढ़ जाता है. यह सिर्फ एक मिथक है. महिला के ब्रेस्ट हार्मोन इंबैलेंस की वजह से बड़े हो सकते हैं लेकिन इस का ब्रेस्ट प्रेस करने से कोई लेनादेना नहीं है. इसलिए अगर आप का पार्टनर आप के ब्रेस्ट प्रेस करना चाहता है तो आप बेफिक्र हो कर उन्हें ऐसा करने दें, क्योंकि ऐसा करने से आप के ब्रेस्ट का आकार नहीं बढ़ता.

मिथ – ब्रेस्टफीडिंग कराना काफी असुविधाजनक होता है.

फैक्ट – ब्रेस्टफीडिंग करने से पेन होता है, यह बात पूरी तरह से सही नहीं है. ब्रेस्टफीडिंग कराने का भी एक तरीका होता है जिसे एकदो बार अपनी डाक्टर से सीख लेने पर कोई परेशानी नहीं होती. कुछ महिलाओं को शुरुआत के कुछ हफ्ते थोड़ा ब्रेस्ट में दर्द हो सकता है लेकिन कुछ ही दिनों में यह ठीक हो जाता है. बल्कि ब्रेस्टफीडिंग न करने से ब्रेस्ट में भारीपन हो जाता है लेकिन ब्रेस्टफीडिंग कराने पर ब्रेस्ट में काफी हलकापन आता है.

मिथ – मालिश करने से छोटे ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं.

फैक्ट – कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि मालिश करने से छोटे ब्रेस्ट बड़े हो जाते हैं. लेकिन इस का कोई साइंटिफिक तरीका नहीं है. बहुत सी महिलाएं अपने ब्रेस्ट का आकार बढ़ाने के लिए कई तरह की क्रीम या औषधियों या फिर तेल का प्रयोग करती हैं. लेकिन एक स्टडी के मुताबिक यह पता चलता है कि इन औषधियों से शरीर पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.

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