डा. विकास जैन

आजकल परिवारों में ऐसे पुरुष आम तौर से देखने को मिलते हैं, जिन की उम्र 45 वर्ष के आसपास है और जो काम एवं घर, दोनों जगह चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं और सुस्त जीवन व्यतीत करते हुए जीवन की नकारात्मकताओं के बारे में बात करते रहते हैं. ये वही लोग हैं, जो कुछ साल पहले तक बहुत खुशमिजाज हुआ करते थे और हंसीमजाक करते रहते थे. जो लोग रात में जोश से भरे होते थे, आज उन का जोश ठंडा पड़ चुका है. उन के साथ ऐसा क्या हो गया है? इस का कारण जानने की फिक्र कोई नहीं करता बल्कि सभी लोग उन से दूरी बना लेते हैं और अंत में स्थिति यहां तक बिगड़ जाती है कि उन्हें मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना पड़ता है.

ये लोग काम में अच्छा प्रदर्शन करने के दबाव (काम संबंधी तनाव) में होते हैं, उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा और उनके कैरियर की चिंता होती है, जिस के लिए उन्हें ज्यादा पैसे कमाने और ज्यादा बचत करने की जरूरत होती है. उन्हें अपने वृद्ध होते मातापिता और उन की बीमारियों आदि की भी चिंता होती है. यह सभी घरों की आम कहानी है और ये पुरुष इस उम्र में जिस पीड़ा से ग्रसित हैं, उसे ‘पुरुषों का मेनोपोज’ या ‘एंड्रोपोज’ कहा जाता है.

30 साल की उम्र में पुरुषों में हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) धीरेधीरे कम होना शुरू हो जाते हैं. आम तौर से टेस्टोस्टेरोन हर साल 1 प्रतिशत कम होते हैं. जब तक वो 45 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं, तो टेस्टोस्टेरोन में कमी के लक्षण कम ऊर्जा, मूड स्विंग, और कामेच्छा में कमी के रूप में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगते हैं. इसलिए इस समय पुरुषों को मनोवैज्ञानिक की नहीं, बल्कि उन्हें समझने वाले परिवार और उनके एंड्रोपोज को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञ सुझाव की जरूरत होती है.

मेनोपोज उम्र बढ़ने पर महिलाओं के जीवन में प्राकृतिक रूप से होने वाली एक घटना है, लेकिन मेनोपोज से केवल महिलाएं ही नहीं गुजरती हैं, बल्कि पुरुष भी इस चरण से गुजरते हैं, जिसे पुरुषों का मेनोपोज या एंड्रोपोज कहा जाता है. ‘पुरुषों के मेनोपोज’ का सिद्धांत, जिसे एंड्रोपोज या लेट-औनसेट हाईपोगोनैडिज्म कहा जाता है, वास्तविक है, हालांकि यह महिलाओं के मेनोपोज से बिल्कुल अलग है. महिलाओं के मेनोपोज में प्रजनन हार्मोन में स्पष्ट और बहुत तेजी से कमी आती है, जो आम तौर से 50 वर्ष के आसपास होता है. वहीं पुरुषों के मेनोपोज में टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरेधीरे कम होता है, जिस की शुरुआत 30 से 40 वर्ष की आयु के बीच होती है.

क्या पुरुषों को मेनोपोज से गुजरना पड़ता है?

मेनोपोज हार्मोन कम हो जाने के कारण महिलाओं का प्रजनन काल की समाप्ति है. माहवारी बंद होने के साथ यह प्राकृतिक रूप से होता है. लेकिन पुरुषों में हार्मोन का स्तर धीरेधीरे कम होता है. हालांकि कुछ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन अचानक कम होते हैं और एंड्रोपोज के लक्षण प्रकट होते हैं.

एंड्रोपोज को ‘पुरुषों का मेनोपोज’ भी कहते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है. मेनोपोज का मतलब माहवारी का बंद होना है, लेकिन पुरुषों को माहवारी नहीं हुआ करती है, इसलिए उन के लिए एंड्रोपोज शब्द का उपयोग करना चाहिए.

यह मुख्यतः मध्य आयु में या बुजुर्गों में तब होता है, जब टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन और प्लाज़्मा का घनत्व कम हो जाता है. पुरुषों के यौन कार्य में टेस्टोस्टेरोन का घनत्व काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो लगभग 10.4 mmol/L (10 मिलीमोल/लीटर) होता है, हालांकि यह अलगअलग पुरुषों में अलगअलग होता है. पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन स्तर में 40 साल की उम्र के बाद हर साल औसतन 1 प्रतिशत की कमी आ जाती है. ज्यादातर वृद्ध पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य होता है, केवल 10-25 प्रतिशत के स्तर को कम माना जाता है.

लेट औनसेट हाईपोगोनैडिज्म

कुछ मामलों में ‘पुरुषों का मेनोपोज’ जीवनशैली या मनोवैज्ञानिक समस्याओं के कारण नहीं बल्कि हाईपोगोनैडिज्म के कारण होता है. इस स्थिति में टेस्टिस बहुत कम या फिर बिल्कुल भी हार्मोन नहीं बनाते.

हाईपोगोनैडिज्म कभीकभी जन्म से होता है, जिस के कारण यौवन विलंब से प्राप्त होने और टेस्टिस छोटे होने जैसे लक्षण प्रकट होते हैं. यह बाद में भी हो सकता है, जो खासकर उन लोगों को होता है, जो मोटापे या टाईप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित हैं. इसे लेट-औनसेट हाईपोगोनैडिज्म भी कहते हैं और इस की वजह से ‘पुरुषों के मेनोपोज’ के लक्षण उत्पन्न होते हैं. लेकिन यह एक बहुत विशेष मैडिकल स्थिति है. लेट औनसेट हाईपोगोनैडिज्म का निदान उन लक्षणों और परीक्षणों के आधार पर किया जा सकता है, जिन का उपयोग टेस्टोस्टेरोन का स्तर मापने के लिए करते हैं.

लक्षणः

इस के सब से आम लक्षण हैं

● यौनेच्छा और यौन कार्य में कमी
● थकान और ऊर्जा में कमी
● मूड में परिवर्तन, चिड़चिड़ापन और अवसाद
● मांसपेशियों और शक्ति में कमी
● शरीर में ज्यादा फैट
● हड्डियों का घनत्व कम होना, जिस के कारण ओस्टियोपोरोसिस हो सकता है
● संज्ञानात्मक परिवर्तन, जैसे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या स्मृति की समस्याएं

व्यक्तिगत या जीवनशैली की समस्याएं

उपरोक्त लक्षणों के लिए जीवनशैली एवं मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी जिम्मेदार होती हैं. उदाहरण के लिए यौनेच्छा में कमी, इरेक्टाईल डिस्फंक्शन, और मूड में परिवर्तन तनाव, अवसाद, और चिंता के कारण हो सकते हैं.

इरेक्टाईल डिस्फंक्शन के अन्य कारणों में धूम्रपान या हृदय की समस्याएं शामिल हैं, जो मनोवैज्ञानिक समस्या के साथ हो सकती हैं. यह ‘मिड-लाईफ क्राईसिस’ के कारण भी हो सकता है, जब पुरुषों को लगता है कि वो अपने जीवन के आधे पड़ाव पर पहुंच चुके हैं. उन्होंने अपनी नौकरी या व्यक्तिगत जीवन में क्या हासिल किया या क्या खो दिया, इस की चिंता उन्हें अवसाद की ओर ले जाती है.

कारण

इस का प्राथमिक कारण टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में धीरेधीरे कमी होना है. महिलाओं में हार्मोन का परिवर्तन अचानक होने की बजाय पुरुषों में यह परिवर्तन दशकों में धीरेधीरे होता है.

इस स्थिति को बढ़ाने वाले अन्य कारणों में मोटापा, पुरानी बीमारी (जैसे डायबिटीज़), विशेष दवाएं, और जीवनशैली, जैसे धूम्रपान और अत्यधिक मदिरा सेवन शामिल हैं.
कई अन्य कारण, जिनकी वजह से एंड्रोपोज के लक्षण समय से पहले प्रकट हो सकते हैं, उन में शामिल हैंः

● डायबिटीज
● धूम्रपान
● मदिरा सेवन
● तनाव
● चिंता या अवसाद

यदि इन में से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए. इन लक्षणों का कारण कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.

निदान व इलाज

निदान में लक्षणों का मूल्यांकन और टेस्टोस्टेरोन का स्तर मापने के लिए खून की जांच की जाती है. यदि युवा पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य से कम है, तो यह एंड्रोपोज का संकेत हो सकता है. जांच का सब से अच्छा समय सुबह होता है क्योंकि टेस्टोस्टेरोन का स्तर पूरे दिन बदलता रहता है. लक्षणों के अन्य कारणों में थायरायड की समस्याएं या अवसाद हैं.

पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन के इलाज की ओर पहला कदम जीवनशैली में परिवर्तन है. इस में स्वस्थ वजन बनाए रखना, बेहतर आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और पर्याप्त नींद लेना शामिल है. अगर किसी को मानसिक स्वास्थ्य की कोई समस्या है, तो उसे एंटीडिप्रेसेंट या चिंता को नियंत्रित करने की दवाओं से लाभ मिल सकता है.
लक्षण बने रहने पर डाक्टर से संपर्क करना चाहिए, जो टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरैपी का परामर्श दे सकते हैं. टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरैपी (टीआरटी) उन पुरुषों के लिए लाभदायक है, जिन में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बहुत कम और लक्षण गंभीर होते हैं. हालांकि टेस्टोस्टेरोन थेरैपी के अपने जोखिम और साईड इफैक्ट हैं, जिनमें कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं और प्रोस्टेट की समस्याएं शामिल हैं, इसलिए इन के लिए डाक्टर से नियमित निगरानी कराते रहना चाहिए.

पुरुषों में मेनोपोज वास्तव में होता है, हालांकि यह महिलाओं के मुकाबले बिल्कुल अलग होता है. एंड्रोपोज के लक्षण पुरानी बीमारी के साथ भी हो सकते हैं. इसलिए किसी भी लक्षण को उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा न समझें. यदि कोई भी लक्षण महसूस हो, तो फौरन अपने डाक्टर से संपर्क करें. वो इसके लिए सब से अच्छे इलाज का परामर्श दे सकते हैं.

लेखक मणिपाल हौस्पिटल, द्वारका, दिल्ली में यूरोलौजी विभाग में एचओडी एवं कंसल्टैंट हैं

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